भारत के शीर्ष 10 अविश्वसनीय विचित्र स्थान
भारत एक ऐसा देश है जहां सब कुछ व्यापत है। भारत की हर दिशा में अपने पर्यटको को देने के लिए बहुत कुछ है। उत्तर में लुभावने बर्फ से ढके पहाड़ों से लेकर दक्षिण में प्राचीन सुनहरे समुद्र तटों तक, पूर्व के ऐतिहासिक स्थलों से लेकर पश्चिम के रेगिस्तान तक भारत में सब कुछ स्थित है। जंगल, पेड़- पौधे, पहाड़ नदियां, समुद्र, रेगिस्तान सब मिलकर भारत को विविधता में एकता वाला देश बनाते हैं। भारत में लाखों की संख्या में पर्यटकों का एक राज्य से दूसरे राज्य में आना-जाना लगा रहता है। भारत के हर राज्य की एक विशेष खासियत एक विशेष पहचान है जो उस क्षेत्र के महत्व को प्रदर्शित करती है। भारत में यदि आपको लगता है कि आपने सब कुछ देख लिया है तो आप शायद गलत है क्योंकि भारत में ऐतिहासिक, सांस्कृतिक, रोमांचित पर्यटन के अलावा भी कई ऐसी रहस्यमयी स्थल है जिनके बारे में जान आपको अचंभा महसूस होगा। आप हैरान रह जाएगें कि क्या ऐसा भी होता है।
भारत रहस्यमयी स्थानों से भरपूर भूमि है। यहां के राज्यों के विभिन्न क्षेत्रों में कई ऐसे स्थल है जो अपने आप में अविश्वसनिय एवं विचित्र है। इन रहस्यमयी स्थानों के सच का पता आज तक शोधकर्ता और वैज्ञानिक भी नहीं लगा पाए हैं। यह अद्भुत भूमि अविश्वसनीय और रहस्यमय चीजों से भरी है जिसकी कोई कल्पना भी नहीं कर सकता है। इस खूबसूरत देश के हर कोने में ऐसा कुछ स्थल है जिसे अभी तक खोजा जा नहीं गया है। यदि हम देश के ऐतिहासिक अतीत का पता लगाने जाते हैं, तो हम कभी भी एक ही स्थान पर अपने सभी आकर्षण को समायोजित करने में सक्षम नहीं होंते हैं। हालांकि, इन विचित्र स्थानों के साथ, हम शर्त लगाते हैं कि आप इन अनछुए, अनदेखे स्थलों पर जाकर एक अलग ही रोमांच, एक अलग ही अनुभव महसूस करेगें। इस आर्टिकल के माध्यम से हम आपको भारत की कुछ ऐसे ही विचित्र और रहस्यमयी स्थलों के बारे में बता रहे हैं जिन्हें जानकर आप विश्वास नहीं कर पाएगें और साथ ही स्वंय को इन स्थानों पर ले जाने से भी नहीं रोक पाएगें
भारत में देखने के लिए सबसे विचित्र जगह
यहा भारत में कुछ विचित्र और खूबसूरत जगहें हैं जहां आपकों जीवन में एक बार असमान्य अनुभव करने अवश्य जाना चाहिए।
राजस्थान में प्रेतवाधित भानगढ़ किला
देश के सबसे प्रेतवाधित स्थानों में से एक, भानगढ़ किले की यात्रा करना एक रोमांचकारी यात्रा कहलाएगा। रहस्य से भरपूर भानगढ़ का किला आपको एक अलगह ही दुनिया में ले जाएगा। यदि आप एक रोमांचक और रोमांचकारी साहस की तलाश में हैं। तो आपको अलवर में स्थित, भानगढ़ किले में अवश्य जाना चाहिए। भानगढ़ किला, राजस्थान का एक ऐसा किला है जो दूर से ही आपको भूतिया प्रतित होगा। किले के आस-पास के इलाके एकदम सुनसान यहां के पेड़ भी काफी अजीबो गरीब मालूम पड़ेगें। ऐसा कहा जाता है कि पुराने ज़माने में एक तांत्रिक ने इस महल पर काला जादू कर दिया था और तब से भानगढ़ किला, भूतिया किला हो गया। भानगढ़ फोर्ट, राजस्थान के अलवर जिले में स्थित है। यह भारत के सबसे प्रमुख डरावने स्थलों में से एक है। इसे आम बोलचाल की भाषा में भूतों का भानगढ़ कहा जाता है। इस बारे में रोचक कहानी है कि 16 वीं शताब्दी में भानगढ़ बसता है। 300 सालों तक भानगढ़ खूब फलता फूलता रहा। फिर यहां कि एक सुन्दर राजकुमारी रत्नावती पर काले जादू में महारथ तांत्रिक सिंधु सेवड़ा आसक्त हो जाता है। वो राजकुमारी को वश में करने लिए काला जादू करता है पर खुद ही उसका शिकार हो कर मर जाता है। पर मरने से पहले भानगढ़ को बर्बादी का श्राप दे जाता है और संयोग से उसके एक महीने बाद ही पड़ौसी राज्य अजबगढ़ से लड़ाई में राजकुमारी सहित सारे भानगढ़ वासी मारे जाते है और भानगढ़ वीरान हो जाता है। तब से वीरान हुआ भानगढ आज तक वीरान है और कहते है कि उस लड़ाई में मारे गए लोगो के भूत आज भी रात को भानगढ़ के किले में भटकते है। सरकार ने भी पर्यटकों को यहां अंधेरा होने से पहले चले जाने की चेतावनी जारी कर रखी है। लोगों का मानना है कि आज भी उस तांत्रिक की आत्मा वही भटकती रहती है। सूर्यास्त के बाद इस किले में लोगों का प्रवेश वर्जित है। इस किले के आसपास बने घरों की छतें नहीं रहती हैं। अगर उन छतों को बनवा दिया जाएं, तो अपने आप चटक कर टूट जाती हैं।
लेह की चुंबकीय पहाड़ी
वैसे तो पूरे लद्दाख के बारे में मशहूर है कि यहां प्रकृति का साम्राज्य है और लद्दाख वासी प्रकृति की प्रजा हैं, लेकिन प्रकृति के इस साम्राज्य में अलग-अलग संरचनाओं, रंगों वाले पहाड़, पल-पल मिजाज बदलते मौसम और ध्वनि से लेकर रंग तक बदलती महान सिंधु नदी के अलावा जो अनेक चमत्कार बिखरे पड़े हैं, उनमें यह चुंबकीय पर्वत अप्रतिम है। लेह - कारगिल - श्रीनगर राजमार्ग पर 11,000 फीट की ऊंचाई पर स्थित, लेह का चुंबकीय पहाड़ एक गुरुत्वाकर्षण पहाड़ है जो हाल ही में सड़क यात्राओं पर पर्यटकों के बीच एक बहुत लोकप्रिय स्टॉप बन गया है।
ऐसा माना जाता है कि इस पहाड़ी की चुंबकीय शक्ति इतनी मजबूत है कि यह वास्तव में कार इंजन बंद होने पर भी पहाड़ी के शीर्ष पर कारों और अन्य प्रकार के वाहनों को धक्का दे सकती है। इसके अलावा, कुछ लोगों का भी मानना है कि इसकी चुंबकीय शक्ति कम उड़ान वाले विमान के संचरण को परेशान करने के लिए पर्याप्त मजबूत है। स्थानीय निवासियों और भारत-तिब्बत सीमा पुलिस के कई जवानों का कहना है कि इस पहाड़ के ऊपर से गुजरने वाले विमानों को इसके चुंबकीय क्षेत्र से बचने के लिए अपेक्षाकृत अधिक ऊंचाई पर उड़ना पड़ता है और अगर कभी विमानइस चुंबकीय क्षेत्र में आ जाए तो इसे वैसे ही झटके लगते हैं, जैसे हवा के दबाव क्षेत्र में पहुंचने के बाद लगते हैं।
राजस्थान में चूहों का मंदिर
भारत में वैसे तो कई धार्मिक स्थल मैजूद है जो अपने चमत्कारो के लिए विश्व विख्यात है। किन्तु भारत में एक ऐसा मंदिर भी है जहां सिर्फ और सिर्फ चूहों का बसेरा है। यह भारत का सबसे विचित्र मंदिर है जिसे करणी माता का मंदिर कहा जाता है। एक बार जब आप इस मंदिर का दौरा कर चुके हों, तो आपने वास्तव में देश में सबसे विचित्र जगह देखी ली होती है। यह मंदिर राजस्थान में स्थित है जो पूरी तरह से चूहे के लिए समर्पित है। देशपोक में स्थित, बीकानेर से लगभग 30 किलोमीटर दूर, करनी माता मंदिर का दौरा हजारों भक्तों द्वारा किया जाता है जो मानते हैं कि यहां चूहों की पूजा करना आशीर्वाद प्राप्त करने का एक तरीका है। यह राजस्थान में तीर्थयात्रा के शीर्ष स्थानों में से एक है और शीर्ष बीकानेर आकर्षण में से एक है। और भारत के रहस्यमय स्थानों मे से एक है।
देशनोक में करणी माता मंदिर देवी दुर्गा के अवतार करणी माता को समर्पित है। यह चूहे वाला मंदिर के रूप में भी जाना जाता है, मंदिर चूहे की पूजा के लिए एक प्रसिद्ध केंद्र है और हर दिन अनेक आगंतुकों को आकर्षित करता है। यह 600 साल का मंदिर हजारों काले, भूरे और सफेद चूहों (काबा) का घर है। यहां इन चूहों को काबा कहा जाता है। ऐसा माना जाता है कि इस मंदिर में चूहों को खाना खिलाने से अच्छा भाग्य आता है। स्थानीय विश्वास के अनुसार, चूहें पवित्र पुरुषों के रूप में पुनर्जन्म लेंगे।
इस मंदिर के रहस्य के पीछे किंवदंती यह है कि लक्ष्मण यहां पर तालाब से पानी पीने के प्रयास में डूब गए थे। करनी माता ने मृत्यु के देवता यमराज से अनुरोध किया कि उन्हें पुनर्जीवित कर दें। - यम उसे पुनर्जीवित करने के लिए केवल इस शर्त पर तैयार हुए कि लक्ष्मण चूहे के रुप में जीवित रहेगें। जिससे माता सहमत हो गई। और लक्ष्मण समेत करनी माता के सभी बच्चों को चूहों के रूप में पुनर्जन्म दिया गया। इस मंदिर परिसर में लगभग 20,000 चूहें हैं। चूहें मंदिर में स्वतंत्र रूप से रहते हैं और संगमरमर से ढके दीवारों और फर्श मे व देवी मूर्ति के आसपास दिखाई देते हैं। यहां सफेद चूहे को देखना बहुत शुभ माना जाता है। यदि कोई चूहा यहां मर जाता है, तो ठोस सोने से बने चूहे की एक मूर्ति को अपराध से तपस्या के रूप में यहां दान किया जाता है। कई लोग चूहों को मिठाई, दूध और अन्य खाद्य प्रसाद की खिलाते है। चूहों द्वारा बचे भोजन को भी पवित्र माना जाता है और प्रसाद के रूप में भक्त उसे ग्रहण करते है।
चेरापूंजी में जीवित जड़ सेतु (ब्रिज)
चेरापूंजी भारत में सबसे अधिक वर्षा वाला स्थान माना जाता है। इस प्रकार, देश में सबसे उपजाऊ भूमि भी चेरापूंजी में ही स्थित है। इसे प्राकृतिक जीवित जड़ सेतु के एक रुपमें देखा जा सकता है। मेघालय के राज्य चेरापूंजी में तो जीवित पुलों की भरमार है। इस क्षेत्र में रबर ट्री पाया जाता है। यह वटवृक्ष जैसा होता है, जिसकी शाखाएं जमीन को छू कर नयी जड़ें बना लेती हैं। मेघालय में खासी जनजाति के लोग रहते हैं। ये लोग रबर ट्री की सहायता से कई जीवित पुल बना चुके हैं। यहां पहाड़ों से अनेक छोटी-छोटी नदियां बहती हैं। इन नदियों के एक किनारे से दूसरे किनारे तक जाने के लिए जीवित पुल का ही प्रयोग किया जाता है। जीवित पुल बनाने के लिए नदी के एक किनारे के पेड़ों की जड़ों को नदी के दूसरे किनारे की दिशा में बढ़ाने के प्रयास किये जाते हैं। ऐसा करने के लिए लोग सुपारी के पेड़ के खोखले तनों का उपयोग करते हैं। तनों की सहायता से पहले पेड़ की जड़ को नदी के दूसरे तट तक ले जाया जाता है। जब जड़ वहां जमीन को जकड़ लेती है, तब उसे वापस पेड़ की ओर लाते हैं।
इस तरह कई पेड़ों की जड़ें मिल कर एक पुल का निर्माण करती हैं। कुछ पुल तो 500 साल पुराने भी हैं। ऐसे ही एक प्राकृतिक पुल का नाम डबल-डेकर पुल है। इस पुल की विशेषता यह है कि एक बार पुल बनने के बाद उसकी जड़ों को ऊपर की ओर दोबारा मोड़ कर दूसरा पुल भी बनाया गया था। विश्व में यह अपनी तरह का एकमात्र पुल है। सुरक्षा के लिए इन पुलों के नीचे की ओर पत्थर बिछा कर एक रास्ता बना दिया जाता है और दोनों ओर लोहे या किसी अन्य प्रकार की जाली लगा दी जाती है। जीवित पुल सैकड़ों वर्षों तक काम में आते हैं। इस पुल पर एक बार में लगभग 50 लोग चल कर पार कर सकते हैं। इनमें से कुछ जड़ सेतु तो 500 साल से अधिक पुराने हैं। इसे यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थल का भी एक हिस्सा घोषित किया है।
चेम्ब्रा में दिल के आकार की झील
केरल के वायनाड में स्थित चेम्ब्रा शिखर, एक विचित्र स्थान है जो आपकी रहस्यमयी यात्रा को पूर्ण करता है। चेम्ब्रा पर्वत भारत के केरल प्रदेश में पश्चिमी घाट के अन्तर्गत्त वायनाड पर्वत का सागर सतह से 2,100 मीटर (6,900 फीट) ऊँचाई पर स्थित है। चेम्ब्रा मेप्पदी शहर के नजदीक स्थित है और कलपेटा शहर से सिर्फ 8 किमी दूर है।
यहां पर एक दिल के आकार की झील स्थित है। दिल के आकार वाली यह झील वायनाड में चेम्ब्रा पीक के मार्ग में है। चेम्ब्रा झील को प्रेमियों का स्वर्ग भी कहा जाता है। वायनाड के जंगलों में बांदीपुर के नजदीक चेम्ब्रा पीक प्रसिद्ध ट्रैकिंग स्थल है। पहाड़ी की दूसरी तरफ स्थित इसके सुंदर आकार के अलावा यह माना जाता है कि चेम्ब्रा झील का पानी कभी सूखता नहीं है। यह स्थान केवल पैदल पहुंच योग्य है और आपको इस लुभावनी प्राकृतिक आश्चर्य को देखने के लिए मेप्पैडी में वन कार्यालय से अनुमति लेने की आवश्यकता होगी। हालांकि, झील पहुंचने के बाद, सख्त ट्रेक निश्चित रूप से इसके लायक होगा। चोटी के लिए हाफवे, आपको एक सुंदर दिल के आकार की झील मिलेगी जो आपको पूरी तरह से राहत पहुंचाएगी। दिल के आकार की यह झील इस जगह का मुख्य आकर्षण है। आप यहां परमेप्पड़ी कस्बे से लगभग 5 कि.मी दूरी पर एरुमकोल्ली के चाय बागान देखे जा सकते हैं। चेम्ब्रा चोटी के रास्ते में आम तौर पर, चोटी के लिए ट्रेकिंग में 180 मिनट लगते हैं, और आगंतुक पूरे वायनाड और मलप्पुरम, नीलगिरी जिलों (तमिलनाडु) और कोझिकोड के मनोरम दृश्य का आनंद ले लेते हुए ट्रेंकिंग करते हैं।
अहमदाबाद में मृत के साथ भोजन
क्या कभी आप किसी मरे हुए के साथ खाना खा सकते हैं। है ना अजीब बात। लेकिन ऐसा मुमकिन है। भारत के पश्चिमी राज्य गुजरात के अहमदाबाद में स्थित. न्यू लकी रेस्तरां आपको ऐसा ही अनुभव प्राप्त करवाता है। जहां आप मृतकों के साथ दोपहर का भोजन या रात का खाना खा सकते हैं। अहमदाबाद में लाल दरवाजा में स्थित, यह दिलचस्प रेस्टोरेंट एक मुस्लिम कब्रिस्तान के ऊपर बनाया गया है।
इस जमीन के मालिक ने कब्रों को छूने की अनुमति नहीं दी है। रेस्तरां और इसकी बैठने की व्यवस्था का निर्माण किया। ऐसा कहा जाता है कि यह जगह सोलहवीं शताब्दी के सूफी संत की हैं। रेस्तरां स्थानीय लोगों के बीच बहुत लोकप्रिय है और कृष्णन कुट्टी रेस्तरां के मालिक के अनुसार, कब्र के बीच भोजन सौभाग्य माना जाता है। नहीं है कि एक अजीब अवधारणा है, ज्यादा नहीं लोगों को यह प्रयास करने के लिए चाहते हैं उनका मानना है कि कबूतर उनके लिए भाग्यशाली हैं। हालांकि इन कब्रों के इतिहास के बारे में कुछ भी निश्चित नहीं है। किंवदंती यह है कि वे एक सूफी संत के अनुयायी थे जो पास में रहते थे। इस लोकप्रिय स्थान के संरक्षकों में प्रसिद्ध चित्रकार एमएफ हुसैन भी शामिल हैं। उन्होंने एक बार कहा कि इस रेस्टोरेंट ने उन्हें 'जीवन और मृत्यु की भावना' महसूस की है। रेस्तरां कर्मचारियों के लिए, यह कब्रों और ग्राहकों के लिए बराबर सम्मान देने का विषय है। कब्रों को लोहे की सलाखों द्वारा संरक्षित किया गया है जिन्हें हर दिन साफ किया जाता है और लोगों से कहा जाता है कि वे इसके बहुत करीब न जाएं और लोग इस बात का सम्मान भी करते हैं।
शेतपाल सांपों की भूमि, महाराष्ट्र
भारत को अक्सर 'सांपों की भूमि' के रूप में जाना जाता है। जिसका श्रेय भारत के राज्य महाराषट्र के क्षेत्र शेटपाल को जाता है। शेतपाल के छोटे गांव में स्पष्ट रूप से सापों को देखा जा सकता है। सोलापुर जिले में स्थित, शेतपाल के पास एक अनुष्ठान है जो सिर्फ रोमांचक है डरावना नहीं। शेतपुर नाम के इस गांव के हर घर में सांपों की पूजा होती है। गांव में सांपों के रहने के लिए एक अलग से जगह बनाई जाती है। इसे देवस्थानम कहा जाता है। इसका अर्थ होता है- देवताओं के रहने का स्थान। पुणे से करीब दो सौ किलोमीटर दूर शेतपुर गांव का इलाका मैदानी हैं। यहां का वातावरण सूखा है, जो कि सांपों के रहने के लिए अनुकूल है। जिसके कारण यहां कई तरह के सांप पाए जाते हैं।
पौराणिक कथा के अनुसार, सांप सम्मानित हिंदू भगवान - भगवान शिव का प्रतीक माने जाते है। हालांकि, यह और अधिक दिलचस्प बात यह है कि इस गांव में यहां पर घूमने के बावजूद कोई भी सांप काटने की सूचना नहीं मिली है। यहां घरों में सांप बिना किसी डर के घूमते हैं। साथ ही, यहां सांपों के रहने के लिए स्थान बनाया जाता है। छत पर लकड़ी से बने हिस्से सांपों के रहने के लिए बिल्कुल अनुकूल जगह है। बच्चे और बड़े सभी इन सांपों के साथ परिवार के सदस्य की तरह ही बर्ताव करते है। सांपों की सबसे जहरीली प्रजाति कोबरा सांप यहां पाए जाते हैं। कोबरा दुनिया का सबसे जहरीला सांप होता है। यहां रहने वाले लोग भगवान शिव की पूजा करते हैं और उनके लिए श्रद्धा रखते हैं। कोबरा को लोग भगवान शिव का अवतार मानते हुए उसकी पूजा करते है और सांपों को दूध पिलाते हैं। यहां बहुत अधिक संख्या में सांप पाए जाते हैं इसलिए इसे सांपो का घर कहा जाता है।
केरल और इलाहाबाद में जुड़वा गांव
आपने फिल्मों और कहानियों में जुड़वा लोगों के बारे में तो सुना ही होगा जो देखने बोलने में एक जैसे प्रतित होते हैं। लेकिन क्या आपको पता है भारत में ऐसे भी स्थान है जहां सिर्फ जुड़वां बच्चो का ही जन्म होत है जिन्हें देख आप पहचान नहीं पाएगें कि किसका नाम क्या है। केरल के मलप्पुरम जिले में कोडिनी के छोटे गांव में एक अजीब घटना है जिसने दुनिया भर में वैज्ञानिकों को रहस्यमय किया है। 2000 की आबादी वाले इस गांव में जुड़वा 350 जोड़े हैं। कोडिनी में रहने वाले हर परिवार में जुड़वां की एक जोड़ी है। इसके अलावा, यह दर हर साल बढ़ती जा रही है और सबसे आकर्षक तथ्य यह है कि कोई भी नहीं जानता कि यह क्यों हो रहा है। हैरानी की बात है की इस गाँव में नवजात बच्चों से लेकर हर उम्र के जुड़वाँ जोड़े रहते हैं। जुड़वाँ बच्चे पैदा होने के मामले में भारत के केरल का कोडिन्ही दूसरे स्थान पर है, जबकि एशिया में इसका पहला स्थान है। से ट्विन टाउन भी कहा जाता है क्योंकि यहां पर प्रत्येक एक हजार जन्मों पर छह जोड़ियां जुड़वां बच्चों की होती हैं। कोदिन्ही के प्रत्येक परिवार में एक से ज्यादा जुड़वां बच्चों की जोडि़यां हैं। हर 1000 जन्मों में से जुड़वा के चार जोड़े जन्म लेते हैं, कोडीनी के प्रति 1000 जन्मों में 45 जुड़वां होते हैं। वैज्ञानिकों का तर्क है कि यह यहां पर काम पर कुछ वंशानुगत कारक के कारण हो सकता है, लेकिन वे इस बात पर निश्चित नहीं हैं।
इसी तरह, इलाहाबाद के पास मोहम्मदपुर उमरी गांव में 900 की आबादी के जुड़वाओं के 60 जोड़े से अधिक हैं, जो राष्ट्रीय औसत से अधिक है। इलाहाबाद के पास मुहम्मदपुर उमरी की भी यही कहानी है। गांव की कुल 900 लोगों की जनसंख्या में 60 से ज्यादा जुड़वां बच्चों की जोडि़यां हैं। उमरी का जुड़वां बच्चों की दर राष्ट्रीय औसत की तुलना में 300 गुना ज्यादा है और शायद यह दुनिया में सबसे ज्यादा है। शोधकर्ताओं का कहना है कि इसका कारण जीन्स हो सकते हैं, लेकिन बहुतों के लिए यह ईश्वरीय चमत्कार से कम नहीं है। । यह गांव तकरीबन ढाई सौ परिवारों का है और यहां एक दो नहीं बल्कि, एक सौ आठ जुड़वां हैं, जो अस्सी साल से लेकर छह माह तक के हैं। बताया जाता है कि उमरी गांव लगभग 250 साल पुराना है। पिछले 80 साल से यहां हमशक्ल जुड़वां बच्चे पैदा हो रहे हैं। गांव वालों का कहना है कि ऊपर वाले की मर्जी के बिना कुछ भी नहीं होता और इस गांव की मिट्टी में ही कुछ ऐसा है कि लोगों को एक नहीं बल्कि दो-दो औलादें मिलती हैं। एक बार सरकार ने गांव के लोगों के खून का नमूना भी लिया था, लेकिन आज तक पता नहीं चला कि आखिर उस जांच में क्या निकला। यहां माता-पिता खुद असमंजस में पढ़ जाते हैं कि कौन सा बच्चा बीमार है कौन सा सही है।
उत्तराखंड में कंकाल झील
उत्तराखंड के चमोली जिले में 16,500 फीट की ऊंचाई पर स्थित, रूपकुंड झील सचमुच सुंदर हिमालय के बीच स्थित एक आकर्षक झील है। इसे अक्सर मिस्ट्री लेक यानि रहस्यमयी झील कहा जाता है जिसका कारण है कि यहां पानी से ज्यादा मानव कंकाल मिलते हैं। यहां 600 से अधिक मानव कंकाल खोजे गए हैं। रूपकुंड झील हिमालय के ग्लेशियरों के गर्मियों में पिघलने से उत्तराखंड के पहाड़ों मैं बनने वाली छोटी सी झील हैं। जिसके चारो और ऊचे ऊचे बर्फ के ग्लेशियर हैं। यहाँ तक पहुचे का रास्ता बेहद दुर्गम हैं इसलिए यह जगह एडवेंचर ट्रैकिंग करने वालों कि पसंदीदा जगह हैं। यहाँ पर गर्मियों मैं बर्फ पिघलने के साथ ही कही पर भी नरकंकाल दिखाई देना आम बात हैं। यहाँ तक कि झील के अंदर देखने पर भी तलहटी मैं भी नरकंकाल पड़े दिखाई दे जाते हैं।
ऐसा माना जाता है कि यहाँ पर सबसे पहला नरकंकाल ट्रेकिंग के दौरान वर्ष 1942 में मिला था। तब से अब तक यहाँ पर सैकड़ो नरकंकाल मिल चुके हैं। जिसमे हर उम्र व लिंग के कंकाल शामिल हैं। 1942 में हुए एक रिसर्च से हड्डियों के इस राज पर थोड़ी रोशनी पड़ सकती है। रिसर्च के अनुसार ट्रेकर्स का एक ग्रुप यहां हुई ओलावृष्टि में फंस गया जिसमें सभी की अचानक और दर्दनाक मौत हो गई। हड्डियों के एक्स-रे और अन्य टेस्ट्स में पाया गया कि हड्डियों में दरारें पड़ी हुई थीं जिससे पता चलता है कि कम से कम क्रिकेट की बॉल की साइज़ के बराबर ओले रहे होंगे। वहां कम से कम 35 किमी तक कोई गांव नहीं था और सिर छुपाने की कोई जगह भी नहीं थी। यहां मिले कंकालों में से अधिकांश कंकाल आठवीं शताब्दी में वापस आते हैं और बर्फ पिघलते समय बहुत स्पष्ट रूप से दिखाई देते हैं। चूंकि, झील पूरे साल जमी रहती है केवल गर्मी में ही यहां जाया जा सकता है।
राजस्थान में बुलेट बाबा
भारत एक धार्मिक भूमि है। यहां कई ऋषि-मुनि, साधु फकीर हुए हैं जो लोगों की आस्था का प्रतीक माने जाते हैं। लेकिन भारत में ऐक ऐसी भी जगह है जहां भगवान का स्वरुप समझ बुलेट मोटरसाइकिल की पूजा की जाती है। जिसे बुलेट बाबा का नाम से जाना जाता है। है ना कुछ अलग। भारत के पश्चिमी राज्य राजस्थान के जोधपुर में बांदाई में बुलेट बाबा का स्वरुप मान मोटरसाइकिल की पूजा की जाती है लोग प्रर्थना स्वरुप यहां शराब की बोतले चढ़ाते हैं। ये जगह ओम बन्ना नाम का पवित्र दर्शनीय स्थल है जो पाली जिले में स्थित है ये पाली शहर से मात्र बीस किमी दूर है यहां लोग सफल यात्रा और मनोकामना मांगने के लिए दूर-दूर से आते है। यहां ओम बन्ना एक बुलेट के रूप में पूजे जाते है। ये मंदिर अपने आप में अनोखा है इसी वजह से यह पूरी दुनिया का अनोखा और एक मात्र बुलेट मंदिर है।
कहा जाता है कि ओम बन्ना का पूरा नाम ओम सिंह राठौड़ है। ये चोटिला ठिकाने के ठाकुर जोग सिंह के बेटे थे। राजपूतो में युवाओ को बन्ना कहा जाता है इसी वजह से ओम सिंह राठौड़ सभी में ओम बन्ना के रूप में प्रसिद्ध हुए। सन 1988 में ओम बन्ना अपनी बुलेट पर अपने ससुराल बगड़ी, साण्डेराव से अपने गांव चोटिला आ रहे थे तभी उनका एक्सीडेंट एक पेड़ से टकराने से हो गया। ओम सिंह राठौड़ की उसी वक़्त मृत्यु हो गई। एक्सीडेंट के बाद उनकी बुलेट को रोहिट थाने ले जाया गया पर अगले दिन पुलिस कर्मियों को वो बुलेट थाने में नही मिली। वो बुलेट बिना सवारी चल कर उसी स्थान पर चली गई जहां उनका एक्सीडेंट हुआ था। अगले दिन फिर उनकी बुलेट को रोहिट थाने ले जाया गया पर फिर वही बात हुई ऐसा तीन बार हुआ चौथी बार पुलिस ने बुलेट को थाने में चैन से बांध कर रखा पर बुलेट सबके सामने चालू होकर पुनः अपने मालिक सवार के दुर्घटना स्थल पर पहुंच गई। ग्रामीणो और पुलिस वालो ने चमत्कार मान कर उस बुलेट को वही पर रख दिया। मोटरसाइकिल को उस स्थान पर स्थायी रूप से स्थानांतरित कर दिया गया था और वहां बुलेट बाबा मंदिर नामक एक मंदिर बनाया गया था। कई समर्थक और यात्री अपनी बुलेट बाबा को प्रार्थना करते हैं क्योंकि उनका मानना है कि ओम बाबा की भावना गुजरने वाले यात्रियों की रक्षा करती है। उस दिन से आज तक वहां दूसरी कोई बड़ी दुर्घटना वह नही हुई जबकि पहले ये एरिया राजस्थान के बड़े दुर्घटना क्षेत्रो में से एक था।
भारत अपने रहस्यमय और अविश्वसनीय पर्यटन स्थलों के लिए जाना जाता है। ये विचित्र स्थान आपको अपनी यात्रा के दौरान मनोरंजन और उत्साहित रखेंगे। उपर्युक्त के अलावा, भारत के अन्य लोकप्रिय रहस्यमय पर्यटन स्थलों में मणिपुर में फ्रोजन झील, उदयपुर में फ़्लोटिंग पैलेस, कच्छ का रण, अंडमान और वास्टलैंड में सक्रिय ज्वालामुखी शामिल हैं जहां आपको कई रहस्यमयी और विचित्र स्थल देखने को मिल जाएगें।