भारत में मॉनसून के प्रसिद्ध स्थल
रिमझिम गिरे सावन, आया सावन झूमके... जैसे ना जाने कितने ही गाने आपको बारिश की ठंडी बूंदे और नमी वाली हवाओं के साथ धरती की भिन्नी-भिन्नी खुशबू की यादे दिला देती है। मॉनसून का नाम सुनते ही आपकी नजाने कितनी ही यादें ताजा हो जाती होंगी। कागज की कश्ती, बारिश का पानी, रंग-बिरंगे छातों के साथ बारिश में निकलना एक अलग ही सुखद अनुभव देता है। बारिश लगभग सभी को पंसद होती है। बारिश का नाम लेते ही हमारा रोम-रोम खिल उठता है। खुशनुमा मौसम, रंगीन फिजाएं जैसे कितनी ही खूबसूरती हमारे सामने आ जाती है। शहर हो या गांव हर जगह बारिश को पंसद किया जाता है। चिलचिलाती गर्मी से राहत देती हुई बारिश की बूंदे किसी उम्मीद से कम नहीं होती है। भारत में तो बारिश का खास लगाव है। भारत अगर छह ऋतुओं का देश है, तो मानसून उस चक्र की धुरी है। आज भी मानसून से होने वाली वर्षा, भारतीय अर्थव्यवस्था का आधार है। भारत एक कृषि प्रधान देश है जहां की कृषि ही वर्षा पर निर्भर करती है। हिन्द महासागर एवं अरब सागर की ओर से भारत के दक्षिण-पश्चिम तट पर आनी वाली वे विशेष हवाएँ, जो भारत, पाकिस्तान, बांग्लादेश आदि में भारी वर्षा करातीं हैं। मानसून भारतीय कृषि और अर्थव्यवस्था के लिए बेहद अहम है, इसके साथ ही भारत के लोक जीवन से भी गहरे जुड़ा है। यह गर्मी की तपिश से निजात दिलाता है और लोगों में उत्साह व खुशी का संचार करता है। इसलिए तो जहां अन्य देशों में लोग बारिश के डर से छाते के साथ निकलते हैं, बारिश में भिगने से बचते हैं वहीं भारत में बारिश का जमकर मजा लिया जाता है। यदि कोई बारिश में ना भीगा हो तो वो सही मायने में भारतीय नहीं कहलाएगा। भारत में लोगों को बारिश में घर में रहना नहीं बल्कि बाहर निकलकर मौसम का आनंद लेना पसंद है।
वैसे घूमना हर किसी को अच्छा लगता है, लेकिन जब मानसून यानी की बारिश का मौसम हो तो घूमने का मजा दोगुना हो जाता है, क्योंहकि इस सीजन में मौमस और प्रकृति दोनों का ही रूप निखर जाता है। जिससे हमारे देश यानी कि भारत में स्थित पहाड़ों, नदियों, झरनों व झीलों में घूमने का मन हर किसी का करने लगता है। वास्तव में, मानसून देश के भीतर यात्रा करने और भारत के कुछ महान स्थलों का पता लगाने के लिए एक शानदार समय है। यही वह समय है जब इन स्थानों को हरी-भूरी हरियाली से ढका दिया जाता है। जो एक सुंदर दृश्य को प्रदान करती है। चारों और मन लुभाने वाली हरियाली किसी का भी दिल जीत लेने कादम रखती है। भारत में कई ऐसी जगह है जो मॉनसून के समय और सुंदर हो जाती है। यहां हरियाली की अलग ही छंटा देखने को मिलती है। भारत में ऐसी कई जगह है जहां आप मॉनसून के समय जा सकते हैं यह शहर की भीड़-भाड़ से विपरित शांत और सुंदर जगह है जहां की खूबसूरती आपका मन मोह लेगी। बारिश तेज धूप से राहत पहुंचाने के साथ उन जगहों की सैर करने का मौका भी देती है जहां आप गर्मी में नहीं जा सकते यह वो मौसम होता है जिसमें आपको इन शहरों का रुख अवश्य करना चाहिए। भारत में मानसून हिन्द महासागर व अरब सागर की ओर से हिमालय की ओर आने वाली हवाओं पर निर्भर करता है। जब ये हवाएँ भारत के दक्षिण-पश्चिम तट पर पश्चिमी घाट से टकराती हैं तो भारत तथा आस-पास के देशों में भारी वर्षा होती है। ये हवाएँ दक्षिण एशिया में जून से सितम्बर तक सक्रिय रहती हैं। वैसे किसी भी क्षेत्र का मानसून उसकी जलवायु पर निर्भर करता है। मानसून के दौरान सफर करने का अलग ही आनंद आता है। दरअसल, मानसून के मौसम में प्रकृति खूबसूरती और ज्यादा अच्छी लगती है। अगर आप भी प्रकृति प्रेमी है तो इस मौसम में घूमने-फिरने के लिए जाएं। हम आपको कुछ ऐसी जगहों के बारे में बताने जा रहे है जो मानसून में घूमने के लिए सबसे अच्छी हैं।
मॉनसून के समय घूमने के प्रसिद्ध स्थल
शिलांग, मेघालय
मेघालय की राजधानी शिलांग एक बेहद खूबसूरत आकर्षक स्थल है जो उत्तर पूर्वी राज्य में है। पहाड़ियों पर बसा यह छोटा सा शहर हमेशा से ही पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र रहा है, इसे पूरब का स्कॉटलैंड भी खा जाता है। देश के सबसे पुराने स्थानों में से एक, शिलांग में मानसून के मौसम में भारी बारिश होती है, जो भारत के अन्य शहरों की तुलना में अधिक समय तक चलती है। 'पूर्व का स्कॉटलैंड' कहा जाने वाला शिलॉंग, मानसून के दौरान यात्रा करने के लिए एक सर्वश्रेष्ठ स्थान है। यह सुंदर घाटियों, लुभावनी झरने, झीलों और विशाल प्राकृतिक सुंदरता से घिरा हुआ, शिलांग बरसात के मौसम के दौरान भारत में सबसे स्वच्छ शहर होता है। इस आकर्षण स्थल पर मानसून का अपना अलग ही मज़ा है। यूँ तो यहाँ पूरे साल मौसम सदा सुहावना रहता है लेकिन मानसून में यहाँ के मौसम में चार चाँद और लग जाते हैं। अगर आप इस मानसून यहाँ आने की सोच रहे हैं तो यह सफर आपके लिए बेहद रोमांचक होगा। मेघालय, ऐसा लगता है की मानों बादल वहीं बसते हैं। बारिश के मौसम में यह पहाड़ी शहर बेहद ख़ुशनुमा माहौल को अपने में संजोय हुए है। हर जगह हरियाली, तैरते हुए बादल, दहाड़ते हुए हाथी फॉल्स और स्प्रेड ईगल फॉल्स जैसे झरने, कलकल की आवाज़ के साथ बहती नदियां किसी को भी मंत्रमुग्ध कर सकते हैं। शहर का स्थानीय भोजन और आनंददायक अनुभव आप की आत्मा को बेहद शांती का अनुभव कराएगा।
पर्यटक मेघालय में चेरापूंजी और माससिनाम भी जा सकते हैं, दोनों राज्य में वर्षा की वास्तविक महिमा का अनुभव करने के लिए शिलांग से कुछ किलोमीटर दूर स्थित हैं। माससिनाम को तो दुनिया का सबसे अधिक वर्षा वाला क्षेत्र माना जाता है। इसके अलावा, सिर्फ मेघालय ही नहीं बल्कि आप इसके पड़ोसी राज्य में भी मॉनसून का मजा ले सकते हैं।
गोवा
गोवा वैसे तो हर मौसम मे जाने के लिए भारत की सबसे उपयुक्त जगह है जहां हमेशा सैलानियों का आना-जाना लगा रहता है। हालांकि गोवा को भारत में एक शीतकालीन गंतव्य के रूप में जाना जाता है, लेकिन कई लोग नहीं जानते कि गोवा मानसून के दौरान सबसे अच्छा स्थल है। हालांकि यह सच है कि कोई भी बरसात के मौसम के दौरान सुनहरे समुद्र तटों का आनंद नहीं ले सकता है लेकिन गोवा इसके अलावा भी काफी कुछ है। इस समय ना केवल गोवा में भीड़ कम होती है बल्कि आपको रहने के लिए कई होटल भी सस्ते मिल सकत हैं। मॉनसून के समय मोल्लेम नेशनल पार्क के पास स्थित गौरवशाली दुधसागर फॉल्स, और भी खूबसूरत हो जाता है और बारिश के दौरान भी एक प्रमुख पर्यटक आकर्षण है। गोवा के ऐतिहासिक लेनों के माध्यम से टहलने की बात करें और लंबी कतारों में इंतजार किए बिना गोवा रेस्तरां में एक स्वादिष्ट भोजन का आनंद लें सकते हैं। इसके अलावा, आप इन महीनों के दौरान रोमांचक बोंडरम फ्लैग फेस्टिवल समेत कई जीवंत मॉनसून त्यौहारों का भी आनंद ले सकते हैं। मानसून सीजन के दौरान गोवा में कई फेस्टिवल आयोजित किए जाते हैं। फर्टिलिटी फीस्ट ऑफ साओ जोआओ या सेंट जॉन बापिस्ट 24 जून को मनाया जाता है जबकि सेंट पीटर्स का फेस्टिवल जुलाई में आयोजित होता है| इसमें नदी के बीच में तैरते हुए स्टेज लगाए जाते हैं। इसके अलावा अगस्त में दीवर आईलैंड पर बोंदेरम फेस्टिवल मनाया जाता है। यह फेस्टिवल परेड और कई तरह के झंडों के साथ निकलता है। मानसून सीजन में यहां का नज़ारा पूरी तरह बदला होता है। फिजा में फैली मसालों की खुशबू आपको मदहोश कर देगी।
गोवा का मॉनसून सीजन जून से अगस्त रहता है। गोवा में मई से बारिश शुरू होती है सितंबर तक होती रहती है। गोवा कोंकम तट पर स्थित है इसलिए यहां खूब बारिश होती है। पूरी दुनिया से कटकर आपको गोवा के बीच सुकून देते हैं महादेई नदी में राफ्टिंग मॉनसून के दौरान रिवर राफ्टिंग का मज़ा भी ले सकते हैं। मह्देई नदी घने जंगलों से होकर गुज़रती है और इसमें राफ्टिंग करना आपके लिए बहुत एडवेंचरस रहने वाला है। मसालों के बगीचे गोवा में आप एक नहीं बल्कि कई मसालों के बगीचे देख सकते हैं। अलग-अलग मसालों की खुशबू यहां ठंडी हवाओं में घुली रहती है। आप यहां पर मसालों की खेती के बारे में भी जान सकते हैं और कुछ मसाले और तेल भी खरीद सकते हैं। इन गार्डन की वेलकम मील को लेना ना भूलें। मॉनसून के दौरान गोवा के आसपास के वन्यमजीव अभ्याूरण्यों की सैर कर सकते हैं। पणजी से कुछ किलोमीटर की दूरी पर भगवान महावीर अभ्याारण्यी, मोल्लेम नेशनल पार्क और मह्देई वन्यपजीव अभ्यावरण्य् स्थित हैं। जंगलों से होते हुए इस रास्तेम में रेगिस्ताईनी सड़क भी पड़ेगी। मॉनसून में वाइल्ड लाइफ का मज़ा ही कुछ और होता है। यहां पर आप बिसोन, बंदर, भालू आदि देख सकते हैं। अगर आपकी किस्मंत अच्छी् रही तो आपको यहां शेर भी देखने को मिल सकता है।
कुर्ग, कर्नाटक
कुर्ग भारत में सिर्फ एक लोकप्रिय हनीमून गंतव्य नहीं है, यह देश के सबसे अधिक वर्षा वाले स्थानों में से एक है। हालांकि कूर्ग पूरे साल खूबसूरत बना रहता है लेकिन मानसून के मौसम के दौरान सबसे सुंदर बन जाता है। ठंडी हवा, सख्त वातावरण, उच्च झरने, मुलायम धुंध और पवित्र नदी की खूबसूरती से इस जगह को मिलकर सचमुच का पृथ्वी पर स्वर्ग बना देती हैं। मंगलौर से कुर्ग की दूरी है 135 किलोमीटर। यहां से मडिकेरी तक सीधी बसें मिल जाती हैं। मडिकेरी कुर्ग जिले का हेडक्वार्टर है। मंगलौर से बस में मडिकेरी पहुंचने में साढ़े 4 घंटे लगते हैं, करीब इतना ही वक्त मैसूर से मडिकेरी पहुंचने में लगता है। समुद्र तल से 1525 मीटर की उंचाई पर बसा मडिकेरी कर्नाटक के कोडगु जिले का मुख्यालय है। कूर्ग अपनी कॉफी, शहद और नारंगी बागानों के लिए जाना जाता है और विशेष रूप से बारिश के दौरान उन्हें निश्चित रूप से जाना चाहिए। जुलाई और सितंबर के महीनों के बीच, यहां पर घाटियों और पहाड़ों ने खुद को हरे रंग के खूबसूरत रंगों में शामिल किया है, जो यहां पर उभरते जीवंत फूलों के साथ मिलकर आंखों के लिए एक बहुत ही सुखद दृष्य बनता है। मानसून के मौसम के दौरान कर्नाटक के शिमोगा जिले में जोग फॉल्स देश में दूसरे सबसे ज्यादा झरना भी जा सकता है। यहां की धुंधली पहाड़ियां, हरे वन, कॉफी के बगान और प्रकृति के खूबसूरत दृश्य मडिकेरी को अविस्मरणीय पर्यटन स्थल बनाते हैं। दक्षिण भारतीय इतिहास का एक महत्वपूर्ण केंद्र होने के साथ ही, विशेष रूप से मदिकेरी निरन्तर चलने वाली सौंदर्ययुक्त ठंडी हवाओं के कारण प्रसिद्ध है, पश्चिमी घाटों के साथ यहाँ भी पर्यटक लोग हरियाली खोजने आते हैं। अरेबियन सागर की मनमोहक सुंदरता के कारण, कूर्ग की यात्रा उन लोगों के लिए एकदम सटीक सिद्ध होगी, जो व्यस्त शहरी जीवनशैली से ऊब चुके हैं और खुशनुमा समय की तलाश कर रहे हैं।
बीहड़ घने वर्षावन, दूर तक फैली हुई हरियाली, काली मिर्च और इलायची की मीठी सुगंध, कॉफी से लदे हुए बागान और ठंडे पहाड़ी इलाकों से युक्त कूर्ग वास्तव में दक्षिण भारत का रहस्यमय गहना है। कूर्ग की कठोर निस्तब्धता इसकी रंगीन और ज्वलंत संस्कृति, शानदार प्राकृतिक सौंदर्य और मानव प्रयास से ही दूर की जा सकती है। पिछले कुछ वर्षों से अत्यधिक पर्यटकों के आगमन के बावजूद भी कूर्ग काफी हद तक प्रदूषण मुक्त और स्वच्छ है। इस क्षेत्र का प्राकृतिक सौंदर्य और दृष्टिकोण मनमोहक है। कूर्ग को ‘भारत का स्कॉटलैंड’ कहना अनुचित नहीं होगा।
उत्तराखंड राज्य में फूलों की शानदार घाटी सचमुच जीवित प्रतीत होती है जैसे ही मानसून का मौसम भारत में शुरू होता है इसकी खूबसूरती में चार चांद लग जाते हैं। नन्दा देवी राष्ट्रीय उद्यान और फूलों की घाटी राष्ट्रीय उद्यान सम्मिलित रूप से विश्व धरोहर स्थल घोषित हैं । फूलो की घाटी उद्यान 87।50 किमी वर्ग क्षेत्र में फैला हुआ है । चमोली जिले में स्थित फूलों की घाटी को विश्व संगठन , यूनेस्को द्वारा सन् 1982 में राष्ट्रीय उद्यान घोषित किया गया । हिमाच्छादित पर्वतों से घिरा हुआ और फूलों की 500 से अधिक प्रजातियों से सजा हुआ है। यह लगभग 300 किस्मों के अल्पाइन फूलों का घर है, जो विदेशी से लेकर जंगली फूलों की किस्मों तक हैं। ब्लू कोरीडालिस, जंगली गुलाब, सैक्सिफ्रेज, आप इसे नाम देते हैं, इस सुरम्य घाटी में यह सब है। बर्फ से ढके पहाड़ों की पृष्ठभूमि के खिलाफ रंगीन फूलों का शानदार दृश्य आपके मस्तिष्क पर छाप छोड़ देगा।
फूलों की यह घाटी जून से लेकर सितंबर तक खुलती है। बाद में यह पूरी घाटी बर्फ से ढंक जाती है। अगर यहां के फूलों का खूबसूरत नजारा देखना चाहते हैं, तो जुलाई से अगस्त तक का समय सबसे बेहतर है। यहां की पहली बारिश के बाद फूलों की खूबसूरती देखते बनती है। जुलाई से पहले इस घाटी में एक भी फूल नहीं खिलता। इस समय पहाड़ों से पिघलती बर्फ का आनंद लिया जा सकता है। जुलाई से अगस्त तक यह घाटी फूलों से भर जाती है पर अगस्त खत्म होते-होते फूल अपने आप ही पीले पड़ने लगते हैं और धीरे-धीरे मुरझा जाते हैं। मौसम की बात करें, तो यहां की रात और सुबह काफी ठंड होती है। यह घाटी ट्रेकर्स और साहसीवादियों के लिए एक स्वर्ग है। यहां पहुंचने के लिए, गोविंद घाट से घांगरिया में बेस शिविर में 13 किलोमीटर की दूरी तय करनी पड़ती है। वहां से, घाटी एक और 3 किलोमीटर की पैदल दूरी पर है। फूलों की घाटी के लिए एक मांग की आवश्यकता होती है लेकिन एक बार जब आप वहां पहुंच जाते हैं, तो हर कदम निश्चित रूप से इसके लायक होगा। फूलों की घाटी के लिए प्रवेश शुल्क क्रमशः विदेशी और भारतीयों के लिए 600 रुपये और 150 रुपये है।
केरल के सबसे लोकप्रिय पहाड़ी स्टेशनों में से एक मुन्नार है जो मानसून के मौसम के दौरान एक आदर्श स्थल माना जाता है। केरल, अपने आप में, एक बहुत ही सुंदर राज्य है। यह भारी वर्षा प्राप्त करता है, जिसे राज्य के चारों ओर हरे-भरे हरियाली से देखा जा सकता है। मानसून का मौसम यहां मई के महीने के दौरान शुरू होता है और नवंबर के अंत तक जारी रहता है। केरल में कोवलम बीच बारिश पाने के लिए देश के पहले स्थानों में से एक है और तूफान के रोल से पहले यात्रा करने के लिए भी एक महान जगह है। केरल के अन्य मानसून स्थलों में पल्लीवासल, एलेप्पी, पेरियार नेशनल पार्क और कुंडला शामिल हैं।
गहरी घाटियों, सुरम्य दृश्यों और घने जंगलों ने इसे अपने प्रियजनों के साथ शांत और आराम छुट्टियों के लिए आदर्श स्थान बना दिया है। इसके अलावा, मानसून एक ऑफ-सीजन हैं, इसलिए इस समय मुन्नार बेहद सस्ता हो जाता है। मुन्नार अपनी प्राकृतिक खूबसूरती के लिए तो मशहूर है ही लेकिन अगर नेचर ब्यूटी का मजा लेना चाहते हैं, तो इस जगह जरूर जाएं। कुछ अलग करना चाहते हैं तो आपको बारिश के मौसम में बोटिंग का मजा जरूर लेना चाहिए। मुख्य शहर से 20 किलोमीटर दूर है कुंडला लेक जहां तक पहुंचने में 1 से 2 घंटे का वक्त लगता है। मुन्नार वैली की हरियाली के बीच इस झील में बोट राइड करने का मजा ही कुछ और है।
मुन्नार से 30 किलोमीटर दूर है लक्कोम वॉटरफॉल्स जो एराविकुलुम नेशनल पार्क से बिलकुल सटा हुआ है। एराविकुलुम नदी की धारा से बनता है यह जगह एडवेंचर पसंद करने वाले लोगों के बीच काफी मशहूर है। मानसून में यहां का मौसम रोमांटिक होता है। बारिश कुछ देर के लिए बंद हो और आसमान साफ हो जाए तो सबसे पहले जाएं मुन्नार से 3 किलोमीटर दूर स्थित फोटो पॉइंट जो मट्टूपेट्टी और टॉप स्टेशन जाने के रास्ते में पड़ता है। यहां से दिखने वाली चाय बागानों की हरियाली और प्राकृतिक खूबसूरती किसी को भी अपनी ओर आकर्षित कर सकती है। वैसे आप यहां साल के किसी भी महीने घूमने के लिए आ सकते हैं। चूंकि यह ऊंचाई पर स्थित है इसलिए यहां वर्षभर मौसम खुशनुमा बना रहता है। लेकिन अगर आप यहां मानसून के दौरान यानी अगस्त से सितंबर के बीच आते हैं तो मुन्नार की पहाड़ियों पर 12 साल में एक बार खिलने वाले दुर्लभ नीलकुरिंजी फूलों का दीदार भी कर पाएंगे।
कोडाईकनाल, तमिलनाडु
कोडाईकनाल का शाब्दिक अर्थ है 'जंगलो का उपहार है। कोडाईकनाल घने हरे जंगलों से घिरा हुआ है, जो बरसात के मौसम के दौरान और भी सुंदर हो जाता है। आकर्षक झरने, सहज झील और एक चट्टानी इलाके, इसे देश में जाने के लिए बेहतरीन पहाड़ी स्टेशनों में से एक बनाता है। इसके अलावा, बारिश की अद्भुत सुगंध आपका मन मोह लेगी। तमिलनाडु में जाने के लिए अन्य लोकप्रिय स्थान हैं कूनूर, ऊटी और डोडादाबेटा। तमिलनाडु का यह एक छोटा पहाड़ी शहर आपकी छुट्टीयों को यादगार बना देगा। एर तरफ़ जहां बारिश के दौरान, कोकर के वॉक और ब्रायंट पार्क आपको बेहद ख़ूबसूरत मार्ग प्रदान करते हैं, वहीं दूसरी तरफ़ डॉल्फिन नॉक, कुरुंजी अंवर मंदिर, पंभर फॉल्स, स्तंभ रॉक्स इत्यादि की सुंदरता भी बढ़ जाती हैं। बारिश के बाद झरने भी देखने के लायक होते हैं। यदि आप यहां छुट्टियां बिताते हैं तो आप वास्तव में बहुत ही भाग्यशाली व्यक्ति हैं।
पलनी की खूबसूरत पहाडि़यों में एक नगीने सा सजा कोडाइकनाल तमिलनाडु का मनमोहक पर्वतीय स्थल है। नैसर्गिक छटा के मध्य अंतरंग पलों की तलाश में निकले हनीमूनर्स हों या स्वास्थ्य लाभ और नई ताजगी के लिए आए सैलानी, सभी को कोडाइकनाल का प्राकृतिक वैभव सम्मोहित करता है। यही कारण है यहां साल भर पर्यटकों का आना लगा रहता है। तमिलनाडु में स्थित कोडाईकनाल अपनी खूबसूरती के साथ भू-विविधता के लिए भी पसंद किया जाता है। तमिलनाडु का रोमांटिक हिल स्टेशन कोडैकनाल बेहद आकर्षक स्थल है। जहाँ के खूबसूरत दृश्य पर्यटकों को साल भर लुभाते रहते हैं। यहाँ दूर दूर तक हरियाली और खूबसूरत फूल नज़र आते हैं जिनकी खुशबू आपका दिल चुरा लेगी।
जब हम भारी बारिश के बारे में बात करते हैं, तो कोई मुंबई को नहीं भूल सकता।, बॉलीवुड की भूमि से कुछ किलोमीटर दूर लोनावला बारिश के मौसम में घूमने के लिए सबसे अच्छी जगह है। इस मौसम में यहां की खूबसूरती और भी निखर कर सामने आती है। पानी से भरी सड़कों से बचने के लिए, कई लोग मुंबई के शोर शराबों से दूर लोनावाला की यात्रा करते हैं। यह छोटा शहर प्रकृति प्रेमियों के लिए एक पंसदीदा स्थान बन गया है।
मानसून के दौरान चारों ओर हरियाली छा जाती है और सभी सूखे झरने और तलाब पानी से भर जाते हैं। लोनावला का नाम एक झील के नाम पर रखा गया है। लोनावला में बारामीटर पहाड़ियां, भुसिर झील, आईएनएस शिवाजी, कुने पॉइंट, लोनावला झील, राई वन व शिवाजी पार्क, टाटा झील, टाइगर्स लैप, तुंगरली झील व बांध, बल्वन झील व बांध, भाजा गुफाएं, बेड़सा की गुफाएं आदि स्थल दर्शनीय है। खंडाला में अमृतांजन पॉइंट, ड्यूक नोस, राजमची दुर्ग, रिवर्सिग पॉइंट, रेवुड पार्क और भुशी बांध, योग संस्थान आदि दर्शनीय स्थल है। लोनावाला का आकर्षण है यहां स्थित बुद्धिस्ट रॉक, राजमाची। इसके अलावा यहां आप लोनावाल झील, टाइगर्स लीप, लॉयंस प्वाइंट, लोहागढ़ किला और टंगरी झील की सैर भी कर सकते हैं। लोनावाला में गर्मी हो या सर्दी सभी मौसम का आनंद लिया जा सकता है। प्राकृतिक सुंदरता का आनंद लेना हो तो यहां बारिश में आकर इसका खास मजा लें। वैसे मई से लेकर अक्टूबर तक के महीने में यहां का मौसम लभगभ एक सा होता है और यह सबसे माकूल समय होता है जब सैलानियों का हुजुम इस ओर उमर पड़ता है।