नेशनल वॉर मेमोरियल
भारत के वीर शहीदों की याद में दिल्ली के इंडिया गेट के नजदीक नेशनल वॉर मेमोरियल का निर्माण किया गया है। यह मेमोरियल शहीदों को समर्पित हैं। देश की राजधानी दिल्ली में स्थित नेशनल वॉर मेमोरियल का उद्धाटन 25 फरवरी 2019 को भारत के प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने किया था। यह वॉर मेमोरियल करीब 22,600 जवानों के प्रति सम्मान का सूचक है, जिन्होंने आजादी के बाद से अनेकों लड़ाइयों में देश की रक्षा के लिए अपने प्राणों की आहुति दी है।
40 एकड़ में फैला यह स्मारक 176 करोड़ रुपये की लागत से तैयार किया गया है। छह भुजाओं वाले आकार में बने मेमोरियल के केंद्र में 15 मीटर ऊंचा स्मारक स्तंभ है। जिसके नीचे अखंड ज्योति इंडिया गेट की तरह ही जलती रहेगी।
मेमोरियल की खासियत
शहीदों के सम्मान में बनाए गए नेशनल वॉर मेमोरियल में भित्ति चित्र, ग्राफिक पैनल, शहीदों के नाम और 21 परमवीर चक्र विजेताओं की मूर्तियां भी लगाई गई हैं। साथ ही स्मारक को चार चक्र पर केंद्रित किया गया है, जिसे अमर चक्र, वीरता चक्र, त्याग चक्र, रक्षक चक्र नाम दिया गया है। इसमें थल सेना, वायुसेना और नौसेना के शहीद जवानों को श्रद्धांजलि दी गई है। शहीदों के नाम दीवार की ईटों में उभारकर लिखे गए हैं। स्मारक का निचला भाग अमर जवान ज्योति जैसा रखा गया है। स्मारक के डिजाइन में सैनिकों के जन्म से लेकर शहादत तक का जिक्र है। ऐसी गैलरी भी है जहां दीवारों पर सैनिकों की बहादुरी की तस्वीरों को प्रदर्शित किया गया है। जिन जवानों ने हमारी रक्षा के लिए अपने प्राणों की आहूति दी है उन्हें सम्मानित करते हुए इस मेमोरियल का निर्माण किया गया है।
रोजाना मुफ्त में मिलता है प्रवेश
नेशनल वॉर मेमोरियल आम जन के लिए हर दिन खुला रहता है। यहां प्रवेश मुफ्त रखा गया है। सर्दियों में नवंबर से मार्च तक खुलने का समय सुबह 9 बजे से शाम साढ़े छह बजे तक रखा गया है, वहीं गर्मियों में अप्रैल से अक्टूबर तक यह सुबह 9 बजे से शाम साढ़े सात बजे तक का है। हर रोज सूर्यास्त से ठीक पहले यहां रिट्रीट सेरेमनी आयोजित की जाती है। हर सप्ताह रविवार को चेंज ऑफ गार्ड सेरेमनी देखने का मौका भी दर्शकों को यहां मिलेगा।
मेमोरियल का इतिहास
इंडिया गेट के पास 40 एकड़ में बने इस युद्ध स्मारक की लागत 176 करोड़ रुपये आई है और यह रिकार्ड एक साल में बनकर पूरा हुआ है। इसकी 16 दीवारों पर 25,942 योद्धाओं का जिक्र किया गया है। ग्रेनाइट पत्थरों पर योद्धाओं के नाम, रैंक व रेजिमेंट का उल्लेख किया गया है। इन्होंने 1962 के भारत-चीन युद्ध, 1947, 1965, 1971 व 1999 के भारत-पाकिस्तान युद्ध तथा श्रीलंका में शांति बहाल कराने के दौरान अपना सर्वोच्च बलिदान दिया। इसका निर्माण गत वर्ष फरवरी में शुरू हुआ था। दिल्ली के इंडिया गेट के पास स्थित नेशनल वॉर मेमोरियल का डिजाइन एक वैश्विक प्रतिस्पर्धा के माध्यम से चुना गया था। मुख्य संरचना को चार चक्रों के रूप में बनाया गया है, जिनमें से प्रत्येक सशस्त्र बलों के विभिन्न मूल्यों को दर्शाया गया है। चक्रव्यूह की संरचना से प्रेरणा लेते हुए इसे बनाया गया है। इसमें चार वृत्ताकार परिसर हैं और एक ऊंचा स्मृति स्तंभ भी है, जिसके तले में अखंड ज्योति दीप्तमान है। स्मारक में आजादी के बाद शहीद हुए 25,942 भारतीय सैनिकों के नाम इन पत्थरों पर लिखे गए हैं।
60 साल पहले उठी थी स्मारक की यह मांग
आजादी के बाद भी कई युद्धों और अभियानों में सैनिकों ने त्याग और बलिदान की मिसाल कायम की है। उनकी कुर्बानी को याद करने और सम्मान देने के लिए एक राष्ट्रीय स्मारक की जरूरत महसूस की गई। इसको बनाने की मांग तो करीब 60 साल पहले उठी थी। लेकिन इसे अंतिम मंजूरी साल 2015 में मोदी सरकार ने दी। अब यह स्मारक बनकर तैयार है। इस मेमोरियल में शहीद हुए 26 हजार सैनिकों के नाम हैं। अब शहीदों से जुड़े कार्यक्रम अमर जवान ज्योति के बजाए नेशनल वॉर मेमोरियल में ही होंगे। 1947-48, 1961 में गोवा मुक्ति आंदोलन, 1962 में चीन से युद्ध, 1965 में पाक से जंग, 1971 में बांग्लादेश निर्माण, 1987 में सियाचिन, 1987-88 में श्रीलंका और 1999 में कारगिल में शहीद होने वाले सैनिकों के सम्मान में इसे बनाया गया है।
फोन एप पर मिलेगा स्मारक
नेशनल वॉर मेमोरियल काफी बड़े क्षेत्र में फैला हुआ है। इसलिए एक सुविधा फोन एप की भी रखी गई है। इस एप के जरिए शहीद का नाम टाइप करने पर उसका स्मारक कहां पर है, उसकी लोकेशन आपके फोन में पता चलेगी। ये सुविधा उन लोगों के लिए खास रहेगी, जिनके गांव या जिले के सैनिक इन युद्धों में शहीद हुए थे।
कैसे पहुंचे नेशनल वॉर मैमेरियल
नेशनल वॉर मेमोरियल इंडिया गेट के पीछे, राष्ट्रीय संग्रहालय के पास स्थित है।
नवंबर से मार्च तक- सुबह 9 से शाम 6.30 बजे तक खुला रहता है।
अप्रैल से अक्टूबर तक- सुबह 9 से शाम 7.30 बजे तक खुला रहता है।
नोटः नेशनल वॉर मेमेरियल में किसी विशेष दिन पर प्रवेश निषेध हो सकता है।
प्रवेश शुल्क- निःशुल्क