भारत की 26 सर्वश्रेष्ठ रेल यात्राएं
भारत में यात्रा करना हमेशा यात्रियों को कुछ आकर्षक अनुभव प्रदान करता है। क्योंकि यहां की शानदार यात्रा पारिस्थितिकीय और भौगोलिक सुविधाओं से भरी हुई हैं। भारत में यात्रा करने के लिए वो सब कुछ उपलब्ध है जो किसी राहगीर या पर्यटक को चाहिए होता है। विशाल समुद्र तटों से लेकर पहाड़ तक, नदी झरनों से लेकर, हरे-भरे जंगल तक भारत की खूबसूरती में चार चांद लगाते हैं। जिससे आपकी यात्रा करने का अनुभव अविस्मरणीय हो जाता है। भारत में यूं तो यात्रा करने के लिए परिवहनों की कमी नहीं है। आप सड़क, रेल, हवाईजहाज किसी भी माध्यम द्वारा यात्रा कर सकते हैं लेकिन यदि आप भारत की प्राकृतिक सुंदरता और भौगोलिक क्षेत्रों का आनंद लेना चाहते हैं तो आपको भारत की यात्रा रेल माध्यम से करनी चाहिए। भारत का लगभग हर राज्य रेल मार्गौं से भली-भांति जुड़ा हुआ है। आप यहां एक छोर से दूसरे छोर तक आसानी से जा सकते हैं। यूं तो आप यात्रा करने के लिए किसी भी माध्यम को अपनी इच्छानुसार अपना सकते हैं और अपने गंतव्य पर जा सकते हैं, लेकिन लेकिन जब बात देश का पता लगाने और विभिन्न क्षेत्रों को जानने की आती है तो भारतीय रेलवे का कोई विकल्प नहीं है।
भारतीय रेल एशिया का सबसे बड़ा रेल नेटवर्क है। एक प्रबंधनाधीन यह विश्व का दूसरा सबसे बड़ा रेल नेटवर्क है। यह दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा नेटवर्क है जो एक ही मैनेजमेंट के अंतर्गत चलाया जा रहा है। रेलवेज के लिए देश में 115,000 किमी के ट्रैक बनाए जा चुके हैं। हर दिन करीब 12,617 ट्रेनों पर 30 लाख यात्री सफर करते हैं। भारतीय रेल ट्रैक की कुल लंबाई 64 हजार किलोमीटर से ज्यादा है। वहीं अगर यार्ड, साइडिंग्स वगैरह सब जोड़ दिए जाएं तो यही लंबाई 1 लाख 10 हजार किलोमीटर से भी ज्यादा हो जाती है। भारत के लगभग हर नुक्कड़ और कोने रेल सेवा के माध्यम से जुड़े हुए है। वैसे तो भारत में रेलवे के विकास की दिशा में सर्वप्रथम प्रयास 1843 ई. में तत्कालीन अंग्रेज़ गवर्नर-जनरल लॉर्ड हार्डिंग ने निजी कंपनियों के समक्ष रेल प्रणाली के निर्माण का प्रस्ताव रखकर किया। देश में पहली रेलगाड़ी का परिचालन 22 दिसम्बर 1851 ई. को किया गया, जिसका प्रयोग रूड़की में निर्माण कार्य के माल की ढुलाई के लिए होता था। किन्तु आज के समय देश का एक भी ऐसा कोना नहीं है जो रेलवे से ना जुड़ा हो। रेलवे ही एक ऐसा माघ्यम है जिससे आप पहाड़ों के बीच में जा सकते हैं, जंगलों का आनंद ले सकते है, समुद्र की गहराई नाप सकते हैं, नदी-झरनों की सुंदरता को निहार सकते हैं। रेलवे के प्रत्येक मार्ग में कई ऐसे सुंदर स्थल आते हैं जो आपको और किसी माध्यम से इतने करीब से देखने को नहीं मिलेगें।
यदि आप वास्तव में देश के रंगों को देखना चाहते हैं, तो बस एक ट्रेन को पकड़िए और भारत के चारों ओर घूमने की यात्रा पर निकल पड़िए। हम शर्त लगाते हैं कि आप और अधिक से अधिक रेल द्वारा भारत को जानने के लिए उत्सुक हो जाएगें और अपना बैग तैयार रखेगें। इस आर्टिकल के माध्मय से हम आपको भारत की 26 रेल मार्गों के बारे में बता रहे हैं जहां यात्रा कर आप इसे अपनी सुनहरी यादों में जगह देगें।
1. वास्को डी गामा गोवा से लोंडा कर्नाटक तक यात्रा

निस्संदेह भारत की सबसे अच्छी रेल यात्रा, जिसे कोई भी किसी हाल में छोड़ना नहीं चाहेगा वो है गोवा के वास्को डी गामा से कर्नाटक के लोंडा तक की रेल यात्रा। यहां की रेल यात्रा केवल एक आम रेल यात्रा नहीं है यह एक अविस्मरणीय अनुभव है जो आपको हमेशा याद रहेगा। गोवा के वास्को दी गामा से कर्नाटक के लोंडा तक का रेल मार्ग सबसे सुंदर प्राकृतिक विविधता से भरा हुआ है। यह अद्भुत यात्रा आपको शक्तिशाली पश्चिमी घाट, आश्चर्यजनक झरने और घने जंगल के घूमने वाले माध्यम से ले जाती है। मानसून के मौसम के दौरान यह यात्रा और भी आश्चर्यजनक हो जाती है क्योंकि फसल पूरी गति में लहराती है जहां आपको रंग-बिरंगे खेत, पानी की बौछारें देखने को मिलेगी। यह मार्ग सबसे सुंदर मार्गों में से माना जाता है। यह ट्रेन आपको गोवा से कर्नाटक तक ले जाती है। इस मार्ग पर रास्ते में गोयन जातीय गाँवों के लोग और हरी-भरी हरियाली आपका दिल निश्चित तौर पर जीत लेंगे। लेकिन जो आपकी धड़कनों को थाम लेने पर मजबूर कर देंगे वह 310 मीटर की ऊँचाई के चारों तरफ दूधसागर के दूधिया पानी के झरने हैं। जिसे देख आपके मुंह से यही निकलेगी कि अरे वाह। तो क्या आप ऐसी यात्रा का आनंद लेना नहीं चाहेगें।
2. पंबन के माध्यम से मंडपम से रामेश्वरम तक की रेल यात्रा

मंडपम से रामेश्वरम तक पंबन पुल के माध्यम से रेल यात्रा को भारत की सबसे खतरनाक रेल मार्गों में से एक माना जाता है। यह भारत का एकमात्र ऐसा पुल है, जो समुद्र के ऊपर बना है और प्रकृति की ख़ूबसूरती को अपने में समेटे हुए है। लेकिन हम सभी को यह स्वीकार करना होगा कि कुछ खतरे सुंदर भी होते हैं! इसलिए, यहां हम इसे अपनी सूची में डालते हैं क्योंकि यह भारत में सबसे आश्चर्यजनक रेल-यात्राओं में से एक प्रदान करती है। यह पुल ही अनुठा है, तमिलनाडु में स्थित यह भारत का ऐसा पुल है जो समुद्र के ऊपर बना हुआ है और साथ ही प्रकृति को खूबसूरती को अपने में समेटे हुए है। यूं कह सकते हैं कि यह प्रकृति और तकनीक का बेजोड़ मेल है। तमिलनाडु में मंडपम को रामेश्वरम द्वीपसमूह से जोड़ने वाले फ़िरोज़ा हिंद महासागर पर बने एक संकीर्ण पुल पर चलने से, यह रेल यात्रा निश्चित रूप से आपको इसके साथ प्यार करा देगी। ट्रेन से समुद्र की गहराई को देखना एक अपने आप में रोमांचकारी अनुभव होगा। जब इस रेलवे पुल से ट्रेन गुजरती है तो लोग डर से कांप उठते हैं, कोई अनहोनी ना हो जाए इसके लिए आंखें मूंद कर प्रार्थना करते हैं, क्योंकि यहां सिर्फ दुर्घटना नहीं बल्कि भीषण दुर्घटना होने का अंदेशा बना रहता है और इसीलिए शायद इसे भारत का सबसे खतरनाक पुल कहा जाता है। मगर वो कहते हैं न, डर में भी एक अलग तरह का रोमांच होता है और इसके दीवानों के लिए तो पामबन पुल से होकर गुजरना जीवन भर के लिए एक अनुठा अनुभव होगा।
3. डिजर्ट क्वीन द्वारा जोधपुर से जैसलमेर तक की यात्रा
रेगिस्तान के व्यापक विस्तार में रेल यात्रा करना एक ही समय में उत्साही और डरावनी यात्रा होती है। यहाँ मीलों दूर तक कोई वनस्पति नहीं होती। जब परिवेश सुनहरा और सूखा हो जाता है, जब पृथ्वी की गंध रेत की सुगंध में बदल जाती है, जब हरियाली छोटी झाड़ियों में फैलती है, धूल के साथ स्तरित होती है- आप जानते हैं कि आप थार, महान भारतीय रेगिस्तान में हैं और यहां की यात्रा राजस्थान के ही राजशागी ढंग से की जाए तो क्या बात होगा। जी हां डिजर्ट क्वीन रेल के द्वारा जोधपुर से जैसलमेर तक की यात्रा में आपको राजशाही अनुभव होगा। डिजर्ट क्वीन यात्रा आपको सबसे उत्तम और अंतरंग रेगिस्तान अनुभव प्रदान करेगी। यह ट्रेन जोधपुर से जैसलमेर तक जाती है, दोनों राजस्थान के खूबसूरत रेगिस्तानी शहरों को आपस में जोड़ती है। आपको इस खुशी-सवारी के माध्यम से रेगिस्तान आजीविका की एक प्रामाणिक तस्वीर मिल जाएगी। रेगिस्तान के कुछ कीचड़ वाले घरों के इलाके से घूमते हुए और चारों ओर चरते हुए ऊंट दिखाई पड़ेगें। रेगिस्तान में क्षितिज पर सूर्योदय होते हुए देख सकते है। यह आपको मंत्रमुग्ध करके छोड़ देगा। तो देर किस बात की रेगिस्तान का आनंद डिजर्ट क्वीन से देखने के लिए तैयार हो जाए।
4. टॉय ट्रेन द्वारा दार्जिलिंग से नई जलपाईगुड़ी तक की यात्रा

दुनिया के उच्चतम रेलवे स्टेशन पर रेल यात्रा करने के बारे में कोई आपसे पूछे तो आप क्या अनुभव बताएगें। लेकिन ऐसा संभव है। पहाड़ों को चीरती हुई टॉय ट्रेन आपको ना केवल सबसे ऊंचाई पर होने का एहसास कराएगी बल्कि यह आपको प्रकृति के ऐसे सुंदर नजारों से रुबरु कराएगी जिनको देख आप आश्चर्यचकीत हो जाएगें। हिमालयी पर्यावरण के माध्यम से एक खुशी देनें वाली सवारी किसी भी मौके से नहीं छोड़ी जानी चाहिए। पश्चिम बंगाल की पहाड़ी रानी, नई जलपाईगुड़ी से दार्जिलिंग तक टॉय ट्रेन की यात्रा आपको शानदार अनुभव कराएगी। यूनेस्को द्वारा घोषित दार्जिलिंग-हिमालयन रेलवे की यह ट्वॉय ट्रेन मनोरम पहाड़ी इलाकों, हरे-भरे जंगल से गुजरती हुई जिस रोमांच की अनुभूति कराती है, पर्यटक उसी के कायल हैं। नई जलपाईगुड़ी और दार्जिलिंग के बीच खिलौना ट्रेन भारत में सबसे पुराने रेल आउटों में से एक है और 1 999 में इसे यूनेस्को विरासत स्थल घोषित किया गया था। हरे भरे चाय के बागानों के साथ मौसम बदलने लगता है। दार्जिलिंग से करीब पांच किलोमीटर पहले आता है बतासिया लूप। ट्रेन यहां घुमाव लेती है जिसका नजारा देखने लायक होता है। देश की आजादी के लिए जान गंवाने वाले गोरखा फौजियों का मेमोरियल है। ट्रेन से आप इसका मजा ले सकते हैं। यहां से दार्जिलिंग शहर के साथ कंचनजंगा पर्वत की चोटी भी देखी जा सकती है। यह टॉय ट्रेन यात्रा करने पर कुछ सबसे खूबसूरत यात्रा अनुभव प्रदान करती है। कंचनजंगा, सुन्दर चाय एस्टेट, आश्चर्यजनक नदियों और घुमावदार पहाड़ी वक्र के लुभावनी विचार- यह रेल यात्रा आपको सब कुछ देती है जो आप चाहते हैं।
5. नीलगीरी पहाड़ी रेलवे द्वारा उधगममंडलम से मेटतुपलयम तक की यात्रा

नीलगीरी पहाड़ी रेलवे द्वारा उधगममंडलम से मेटतुपलयम तक की यात्रा आपको एक शानदार अनुभव प्रदान करती है। नीलगिरी शब्द भी हमें प्रकृति के करीब महसूस करता है। प्रसिद्ध नीलगिरी पहाड़ियों में स्थित पर्वतीय शहर उडगमंडलम (उंटी) को मेट्टूपलयम शहर के साथ जोड़ता है राजसी पहाड़ों के साथ, हरे-भरे जंगलों और चाय की पत्तियों की महक आपकी इस यात्रा में खुशियों की सुंगध भर देगी। साथ, स्पष्ट नीले आसमान पर चलने वाले बर्फ-सफेद बादल-नीलगिरी में हमेशा हमारे लिए कुछ जादू से मंत्रमुग्ध करते हैं यहां की रेल यात्रा करते समय आपको देश के किसी भी हिस्से की रेल यात्रा याद नहीं आएगी क्योंकि आप पूरी तरह से यहां की सुंदरता में खो जाएगें नीलगिरी माउंटेन रेलवे 110 से अधिक वर्षों से यात्रियों की सेवा कर रहा है। जब स्टीम इंजन से निकलता है और खूबसूरत पहाड़ी स्टेशन ऊटी की तरफ चग जाता है, तो आप केवल एक और चार घंटे के लिए एक आनंददायक यात्रा की उम्मीद कर सकते हैं। नीलगिरि पर्वतीय रेल सिंगल ट्रैक एवं मीटर गेज लाइन वाली रेलमार्ग है| इसकी लंबाई लगभग 46 किलोमीटर (29 मील) है और इसे 1908 में शरू किया गया था। जुलाई 2005 में यूनेस्को ने नीलगिरि पर्वतीय रेलवे विश्व धरोहर स्थल के रूप में मान्यता दी थी और यह मान्यता मिलने के बाद इसकी आधुनिकीकरण की योजना को स्थगित कर दिया गया। शाहरुख खान द्वारा अभिनीत हिंदी फिल्म "दिल से" के प्रसिद्ध हिंदी गीत छैंया छैंया का फिल्मांकन इसी रेलवे की रेलगाड़ी की छत पर किया गया था।
6. पैलेस ऑन व्हील्स द्वारा दिल्ली से जयपुर तक की यात्रा
क्या आपने कभी सोचा है कि आप सुंदर नजारों को देखते हुए किसी राजा-महाराजा की तरह चलें। आपको राजशाही अनुभव कराने के लिए पैलेस ऑन व्हील्स रेल चलाई जाती है। निस्संदेह भारत में सबसे अच्छी लक्जरी ट्रेन, पैलेस ऑन व्हील्स वास्तव में यात्रियों को सभी शाही सुविधाओं को प्रदान करने के नाम को सही ठहराती है। पैलेस ऑन व्हील्स अपनी पहली तरह की ट्रेन थी जो पूरी तरह से वातानुकूलित डीलक्स सैलून, निजी रेस्तरां, लाउंज बार और कई अन्य विश्व स्तरीय सुविधाओं से लैस थी, ताकि आपकी यात्रा एक वर्ग अलग हो सके।। इसको भारतीय रेल द्वारा राजस्थान राज्य में पर्यटन को बढ़ावा देने के उद्देश्य से चलाया गया था यह गाड़ी नई दिल्ली से अपनी आठ-दिवसीय यात्रा पर निकलती है। इस यात्रा के दौरान ये राजस्थान में घूमती हुई जयपुर, जैसलमेर, जोधपुर, सवाई माधोपुर,,चित्तौड़गढ़ उदयपुर, बीकानेर एवं उत्तर प्रदेश में आगरा लरुकती है। इस बीच आपको देश की राजधानी से लेकर जयपुर तक की यात्रा मे कई सुंदर शहर और दृश्य देखने को मिलते हैं. इस रेल की राजशाही सेवा का आनंद आप कभी नहीं भूल पाएगें।
7. डिब्रूगढ़ राजधानी एक्सप्रेस द्वारा नई दिल्ली से लेडो असम तक की यात्रा
देश की राजधानी दिल्ली से असम के लेडो तक की यात्रा एक शानदार यात्रा अनुभव प्रदान करती है। वैसे तो इस या6 में दो ट्रेनें शामिल हैं, लेकिन कुछ आकर्षक यात्रा क्षणों का अनुभव करने के लिए आप निश्चित रूप से पहली छमाही को छोड़ सकते हैं। यात्रा का दूसरा भाग पश्चिम बंगाल में नई जलपाईगुड़ी से शुरू होता है और असम में तिनसुकिया के माध्यम से लेडो में समाप्त होता है। इस विशेष यात्रा में कई विशाल हरी धान के खेतों, चाय और कॉफी बागान और एक बेहद विविध और गतिशील स्थलाकृति शामिल है। डिब्रूगढ़ राजधानी एक्सप्रेस भारतीय रेल की राजधानी एक्सप्रेस की विशेष बेड़े में प्रीमियर रेलगाड़ी में से एक हैl वर्तमान में राजधानी एक्सप्रेस के तीन सेट है जो नई दिल्ली से गुवाहाटी और डिब्रूगढ़ को जोड़ती हैl आप अपनी इस यात्रा में कई सुंदर स्थलों का आनंद उठा सकते हैं।
8. मंडोवी एक्सप्रेस द्वारा मडगांव से मुंबई तक की यात्रा
मुंबई में गोवा या इसके विपरीत पहुंचने के लिए मंडोवी एक्सप्रेस के द्वारा जाना एक शानदार यात्रा का अनुभव प्रदान करता है। यह यात्रा आपको आकर्षक सह्याद्री पहाड़ियों और अद्भुत अरब सागर के माध्यम से संख्यात्मक विचित्र गांवों, आखों को राहत पहुंचाने वाली हरियाली, 92 सुरंगों और 2000 पुलों पर से गुजरती हुई जाती है जो आपकी यात्रा को यादगारह अनुभव बना देती है। कोंकण रेल के सफर के दौरान रेल की खिड़की से नदियां, पहाड़ और हरियाली देखते देखते आपकी आंखे थक जाएंगी लेकिन नजारे खत्म होने का नाम नहीं लेंगे। रेल एक सुरंग में घुसती है, निकलने के बाद दूसरे सुरंग में घुस जाती है। पहाड़ों को काटकर कोंकण रेल के लिए रास्ते बनाए गए हैं। एक तरफ ऊंचे पहाड़ तो दूसरी तरफ गहरी खाई। कोंकण रेल गोवा का बड़ा इलाका तय करते हुए आगे बढ़ती है। रास्ते में काफी दूर तक एक तरफ गोवा का समंदर दिखाई देता है। देश के पश्चिमी तट पर 760 किलोमीटर का सफर कराती है।
9. द्वीप एक्सप्रेस द्वारा कन्याकुमारी से तिरुवनंतपुरम तक की यात्रा
द्वीप एक्सप्रेस देश की सबसे पुराने मार्गों में से एक है जो कन्याकुमारी और तिरुवन्नतपुरम के बीच चलती है। यात्रा के कुल दो घंटे आपको कुछ सबसे अच्छे दृश्यों हरियाली, लंबी प्रकृति-, और र नारियल के पेड़, कई जल निकायों और कुछ अद्भुत गांवों के बस्तियों से गुज़रने का अनुभव प्रदान करती है। द्वीप एक्सप्रेस आपको एक विशिष्ट दक्षिण भारतीय यात्रा पर ले जाती है। तीनों ओर सागरजल से घिरा यह स्थान तीन सागरों का संगम स्थल भी है। पूर्व में बंगाल की खाड़ी, पश्चिम में अरब सागर तथा दक्षिण में सुदूर दक्षिणी ध्रुव तक हिन्द महासागर का विशाल पारावार फैला है। अंतरीप के अग्रभाग में स्थित विवेकानंद शिला से अरब सागर की पीले और बंगाल की खाड़ी की नीले रंग की लहरें साफ-साफ दिखाई पड़ती हैं। त्रिवेन्द्रम से कन्याकुमारी की यात्रा रेल से की जाए अथवा बस से, रास्ते में हरे-भरे धान के खेत, नारियल, सुपारी, कटहल और काजू के वृक्षों की पंक्तियां देख कर मन प्रसन्न हो जाता है। रास्ते में छोटी-बड़ी कई सरिताएं हैं, साथ ही पूर्व और उत्तर की ओर लहराते सागर जल के दर्शन भी होते रहते हैं।
10. भारतीय महाराजा डेक्कन ओडिसी द्वारा जयपुर के माध्यम से मुंबई से दिल्ली तक की यात्रा
भारत में सबसे शानदार ले यात्राओं में से एक, भारतीय महाराजा डेक्कन ओडिसी द्वारा मुंबई से दिल्ली तक की यात्रा है। यह यात्रा ना केवल आपको राजशाही अनुभव प्रदान करती है बल्कि आपको शानदार नजारों के साथ किसी राजमहल में ले जाती है। भारतीय महाराजा डेक्कन ओडिसी राजस्थान के माध्यम से मुंबई और दिल्ली के बीच चलती है। वास्तव में, यदि पैसा आपके लिए चिंता का विषय नहीं है, तो निश्चित रूप से आप इस ट्रेन के अंदर शाही उपचार का स्वाद ले सकते हैं। ट्रेन पूरी तरह से समृद्ध पर्यटकों के लिए रणथंभौर अभयारण्य में बाघ देखने के साथ-साथ अजंता और एलोरा की मोहक गुफाओं में इतिहास का सामना करने और प्रेम की निशानी ताजमहल को दिखाने के साथ एक ऐतिहासिक और सामाजिक परिवेश बना शानदार अनुभव प्रदान करती है जिसे आप निश्चित रुप से भूला नहीं पाएगें। ईआरसीटीसी के सहयोग से मार्च, 2010 में महाराजा एक्सप्रेस नामक एक
लग्ज़री पर्यटक रेलगाड़ी शुरू की गई थी। महाराजा एक्सप्रेस 15 यात्री सवारी डिब्बों वाली एक पूर्णतया वातानुकूलित रेलगाड़ी है जिसमें यात्रा के लिए 4 श्रेणियां यथा डीलक्स रूम, जूनियर सुईट, सुईट और प्रेज़ीडेंशियल सुईट हैं जो कि आरामदायक यात्रा के लिए नवीनतम सुविधओं से सुसज्जित हैं। उत्कृष्ट डिजाइन की गाड़ी में मेहमानों का ध्यान रखने वेफ लिए निजी सेवकों की मौजूदगी सहित कई विशेषताएं हैं। लाइव टीवी, वाई-फाई इंटरनेट इत्यादि की भी सुविधा है। यह दुनिया की सबसे लग्जरी ट्रेन है जो भारत के महाराष्ट्र राज्य और भारतीय रेलवे के आपसी सहयोग से पर्यटनों के लिए परिचालित की जाती है. जिसमे महाराष्ट्र स्प्लेंडर मुंबई से गोवा के बीच नासिक, अजंता-एलोरा गुफा, कोल्हापुर, सिंधुदुर्ग से वापस होती है. जिसका सफर 8 दिन और 9 रातों का होता है.
11. स्वर्ण रथ द्वारा बैंगलोर से गोवा तक की यात्रा
स्वर्ण यानि गोल्डन रथ उन उकुछ ट्रेनों में से एक है जो आपको भारतीय शहरों में यात्रा करते समय शाही अनुभव प्रदान कराती है। गोल्डन रथ बैंगलोर से गोवा तक चलती है और डेक्कन ओडिसी जैसे ट्रेनों पर आपको अनुभव की जाने वाली सभी लक्जरी जैसी सुविधाओं को प्रदान करती है। यह ट्रेन बलुआ पत्थर की गुफाओं, बोल्डर-स्ट्रेन्ड वर्ज, अद्भुत कबीनी वन्यजीव अभयारण्य, बदामी और हम्पी की विश्व धरोहर स्थलों, कई महलों और आखिरकार गोवा में रुकने से पहले पहाड़ियों से गुजरती है। गोल्डन चेरियट ट्रेन अपनी शाही सफर के लिए दुनियाभर में प्रसिद्द है जो भारतीय राज्यों जैसे कर्नाटक और गोवा के महत्वपूर्ण पर्यटन स्थलों का सफ़र कराती है। ट्रेन के 19 डिब्बे बैंगनी और स्वर्ण रंग से रंगे गये हैं। साउथ इंडिया की इस ट्रेन में सफर करने के दौरान एक आम इंसान भी राजसी ठाट-बाट जैसे अनुभव कर सकता है। ट्रेन में जिम से लेकर स्पा जैसी कई लग्जरी सुविधाएँ हैं। फाइव स्टार होटल की तरह सजी इस शाही ट्रेन में हर साल हजारों पर्यटक सफर करते हैं।
12. महाराजा एक्सप्रेस द्वारा गोल्डन त्रिभुज
दुनिया की अग्रणी शानदार ट्रेनों में से एक महाराजा एक्सप्रेस एक सुपर स्पेशियलिटी लक्जरी ट्रेन है जो राजस्थान, दिल्ली और आगरा के रेगिस्तान राज्य के माध्यम से यात्रा कराती है। यह शाही भारत के आकर्षण को एक विशिष्ट शाही तरीके से अनुभव करने के लिए कुछ अद्वितीय पैकेज यात्रा प्रदान करती है! महाराजा एक्सकप्रेस को दुनिया की सबसे महंगी लग्ज री ट्रेन माना जाता है। यह ट्रेन पिछले 5 साल से लगातार वर्ल्डन ट्रेवल अवार्ड जीतती आ रही है। ट्रेन में ऑनबोर्ड रेस्त्रां , लॉन्जे बार, डीलक्सव केबिन और जूनियर सूट जैसी सभी लग्जऑरी मौजूद हैं। यह ट्रेन 23 प्रमुख रूट्रों पर चलते हुए देश के 12 फेमस डेस्टिनेशंस को कवर करती है। 1 किमी लंबी इस ट्रेन में 14 मेंटर्स हैं। इनमें से 5 डीलक्स केबिन, 6 जूनियर स्वीट्स, 2 स्वीट्स और 1 ग्रांड प्रेसिडेंशियल स्वीट है। यह रेल आपको कई ऐतिहासिक स्थलों का भी अनुभव कराती है। राजस्थान की हेवलियों से लेकर प्यार की निशानी ताजमहल तक की यात्रा आप इसके माध्यम से आसानी से कर सकते हैं जो एक यादगार अनुभव प्रदान करती है।
13. हिमालयी क्वीन के द्वारा कालका से शिमला तक की यात्रा
एक और यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल के रुप में विख्यात कालका से शिमला तक का रेल मार्ग भारत में उपलब्ध है। यह मार्ग प्राकृतिक सुंदरताओं से भरा हुआ है। हिमालयी क्वीन के नाम से मशहूर टॉय ट्रेन आपरो कालका से शिमला तक की शानदार पहाड़ी यात्रा प्रदान करती है। यह 92 किमी लंबी यात्रा आपको 102 सुरंगों के माध्यम से ले जाती है जिसके बीच में 82 पुल आते हैं। दिलचस्प बात यह है कि इस ट्रैक को मार्ग में ऊंचाई में सबसे तेज वृद्धि के लिए गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड द्वारा विश्व रिकॉर्ड से सम्मानित किया गया था। कालका से शिमला के बीच चलने वाली टॉय ट्रेन जैसे-जैसे दूरी को तय करती है रास्ते में खूबसूरत नजारे और सुरंगें सफर को यादगार बना देती हैं। इतना ही नही जब ट्रेन घुमावदार पहाड़ों के बीच से गुजरती है तो नजारा देखने वाला होता है। यात्रा को पूरा होने में लगभग 5-6 घंटे लगते हैं इसलिए जल्दी वाले लोगों के लिए यह थोड़ा मुश्किल हो सकता है; लेकिन यदि आप एक प्रकृति-प्रेमी व्यक्ति हैं, तो हिमालयी रानी निश्चित रूप से आपको एक यादगार सवारी प्रदान करेगी। शिमला जाने वाले सैलानी बस के बजाय इस खिलौना ट्रेन से शिमला जाने को प्राथमिकता देते हैं। क्योंकि इस खिलौना ट्रेन का सफर इतना सुहाना है कि जितना मजा शिमला की हसीन वादियों में घूमने में आता है उतना आनंद ये छह घंटे का सफर आपको देता है।
14. जम्मू मेल द्वारा उधमपुर से जम्मू तक की यात्रा
बर्फ की पहाडियोंके बीच छुक-छुक चलती ट्रेन का आनंद लेने के लिए आपको जम्मू मेल से यात्रा करनी चाहिए। यह ट्रेन जम्मू से उधमपुर तक की यात्रा मंि शानदार वादियों का अनुभव प्रदान करती है। यह यात्रा हमें इंजीनियरिंग प्रगति की ऊंचाई के साथ-साथ माँ प्रकृति की सुंदरता के साथ-साथ रास्ते में भी लाती है। यह ट्रेन महान शिवालिक पर्वत श्रृंखला, खड़ी घाटियों और कुछ गर्मी वाले राइवों के चट्टानी हिस्सों में से एक है। सुरंगों और पुलों की भव्यता इस क्षेत्र के कुछ लुभावनी विचार देती है। बर्फ से ढके पहाड़ों के बीच चलती ट्रेन आपको बेहद रोमांचित कर देती है। आपको इस यात्रा का लुत्फ अवश्य उठाना चाहिए।
15. मत्स्यगंध एक्सप्रेस द्वारा मंगलौर से रत्नागिरी तक की यात्रा
भारत के दक्षिणी हिस्सों में ट्रेन के माध्यम से यात्रा करने की अपनी विशिष्टता है। हिरण, जल निकायों और पहाड़ों की तीव्र बहुतायत जो उत्तर और उत्तर-पूर्व भारत और कुछ शानदार पुलों से पूरी तरह अलग हैं। आपको शानदार अनुभव प्रदान करती है। मुदगांव और होनवार के माध्यम से रत्नागिरी से मंगलौर के सुंदर रेल मार्ग में इन सभी शानदार सुविधाओं का आनंद ले सकते हैं। इस यात्रा में हर यात्री दावे के साथ खुश हो सकता है। मत्स्यगंध एक्सप्रेस लोकमान्य तिलक टर्मिनस (मुंबई) और मंगलुरू सेंट्रल के बीच चल रही एक दैनिक सुपरफास्ट ट्रेन है। मत्स्यगंध एक्सप्रेस मत्स्यगंध का शाब्दिक अर्थ है "मछली की गंध" - अपील को तब दिया गया था जब ट्रेन अरब भारत के कोकण रेलवे मार्ग के निकट पश्चिमी भारत के मछली पकड़ने के तट के साथ चलती है। यह नाम महाकाव्य महाभारत के चरित्र के नाम पर आधारित है। आसपास के शहरों में रहने वाली दक्षिणी कन्नड़, करवार और उडुपी जिले के मूल निवासी के लिए यह ट्रेन महत्वपूर्ण लिंक और भावनात्मक गड़बड़ी बन गई है। यह ट्रेन आपको एक यादहार अनुभव प्रदान करती है।
16. दुरंतो एक्सप्रेस द्वारा पुणे से दिल्ली तक की यात्रा
भारत में सबसे तेज़ी से चलने वाली ट्रेनों में से एक, दुरंतो एक सुपर स्पेशियलिटी ट्रेन है जो सामान्यतौर पर दिल्ली से पुणे की यात्रा के लिए 26 घंटे की दूरी 20 घंटे मे तय कर शानदार यात्रा प्रदान करती है। जिसमें हरित क्षेत्र, जल निकायों, ग्रामीण प्रतिष्ठानों से भरा आश्चर्यजनक क्षेत्र आपको देखने को मिलता है।, नमक पिरामिड, रेगिस्तान और छोटे पहाड़ियों झरनों और सुरंगो के माध्यम से यह सुंदर यात्रा आप आपको बार-बार आपनी ओर आकर्षित करती है। दुरन्तो एक्सप्रेस गाड़ियों की विशेषता यह है कि, तकनीकी विरामों को छोड़कर यह स्रोत से गंतव्य तक का सफर बिना रुके (अविराम) तय करती हैं।
17. डीईएमयू ट्रेन द्वारा काजीगुंड, श्रीनगर से बारामुल्ला तक की यात्रा
एक कम ज्ञात मार्ग, डीएएमयू ट्रेन द्वारा श्रीनगर से बारामुल्ला तक काजीगुंड से रेल यात्रा उत्साही लोगों के लिए आनंददायी अनुभव होगा। यह यात्रा आसपास के कुछ सबसे आकर्षक विचारों को सुनिश्चित करती है। सर्दी के दौरान की गई यात्रा बर्फ-पहने पर्यावरण के और भी वर्तनी अनुभव का वादा करती है। यह ट्रेन बनिहाल रेलवे स्टेशन से शुरू होकर काजीगुंड, अनंतनाग, अवंतीपोरा, श्रीनगर, बड़गाम, सोपोर रेलवे स्टेशनों पर ठहराव लेती हुए बारामूला रेलवे स्टेशन पर पहुंची जिसमें बच्चों ने बीच रास्ते में आने वाले नजारों का आनंद उठाया। जम्मू-उधमपुर के बीच रेलवे ने 2005 में ट्रेन का परिचालन शुरू किया जबकि इसके आगे कटड़ा तक 2014 में टेन का परिचालन शुरू किया गया। इस यात्रा में आपको बर्फ से ढकी खूबसूरत पहाड़ियों का शानदार अनुभव प्राप्त होता है।
18. गुवाहाटी से सिलचर तक की यात्रा
यदि आप उत्तर-पूर्वी भारतीय स्वाद का पता लगाना चाहते हैं, तो आपको रेल के माध्यम से यात्रा करनी होगी। जब ट्रेन आधी दूरी तय कर लेती है तो आपको सुन्दर हरी घाटी, घूमने वाली नदी जिंगा, नदी के किनारे सर्पिन ट्रैक, बराक घाटी में चाय बागानों के विशाल किनारे, देखने को मिलने लगते हैं आपको समझ में आने लगेगा कि आप असम पहुंच गए है। यहां के चाय बगानों की महक आपको रोम-रोम खिला देगी। सुंदर हरियाली वाला यह मार्ग आपकी आखों को राहत पहुंचाएगा। लुवाडिंग के माध्यम से गुवाहाटी से सिलचर तक का ट्रेन मार्ग उन यात्रियों के लिए एक रेलवे यात्रा है जो प्रकृति को थोड़ा और गहराई से महसूस करना चाहते हैं।
19. कोल्लम से सेन्गोत्ताई तक की यात्रा
कोल्लम से सेन्गोत्ताई तक का रेल मार्ग 1907 में शुरू हुआ था; तब से मार्ग यात्रियों को कुछ सबसे आकर्षक रेल अनुभवों से गुजार रहा है। अन्य सभी प्राकृतिक सुंदरताओं के अलावा यह मार्ग कई अविस्मरणिय स्थलों को भी दिखाता है। सबसे अच्छा हिस्सा तब आता है जब यह आकर्षक इलायची पहाड़ियों को पार करता है। मार्ग की सुंदरता न केवल सुंदर प्रकृति पर स्थित है, प्रसिद्ध 13-आर्केड पुल का आर्किटेक्चर चमत्कार भी आपकी यात्रा को यादगार बना देते है। पहाड़ों की सुंदरता देख आपकी आखें वहीं टिकी रह जाती है। यह यात्रा आपको खुशी के साथ शानदार अनुभव प्रदान करेगी।
20. अराक्कु घाटी से विजाग तक की यात्रा
यदि आप पहले ही बंगाल की भव्य खाड़ी में आ चुके हैं और अब इस क्षेत्र में कुछ नया खोज रहे हैं, तो हम प्रकृति का अनुभव सामान्य से थोड़ी करीब के अनुभव के लिए शहर से एक खूबसूरत अराक्कु घाटी तक रेल-यात्रा का प्रस्ताव देते हैं। पूर्वी घाटों के साथ, हरे-भरे हरे कॉफी बागानों और घने जंगलों और कई सुरंगों और मार्ग से चलते हुए विज़ाग (विशाखापत्तनम) से अराकु तक यात्रा प्रकृति-प्रेमियों के लिए एक खुशी प्रदान करती है। एक और दिलचस्प नोट पर, यह देश में उन दुर्लभ ब्रॉड गेज पहाड़ी रेलवे मार्गों में से एक है, जो वास्तव में छत्तीसगढ़ की खानों से लौह अयस्क को बंदरगाह शहर विजाग तक ले जाने के लिए स्थापित किए गए थे। आपको यहां घूमने-फिरने की बेहतरीन डेस्टिनेशन्स के साथ कॉफी की भीनी-भीनी महक भी मिलेगी. इसके अलावा अरकु घाटी विजाग शहर से 114 किलोमीटर की दूरी पर है जो उड़ीसा की सीमा के बहुत करीब है. घाटी अनंतगिरी और संकरीमेट्टा आरक्षित वन का दावा करती है, जो अपनी समृद्ध जैव विविधता के लिए जाने जाते हैं. घाटी रक्तकोंडा, चितामोगोंडी,गलीकोंडा और संकरीमेट्टा के पहाड़ों से घिरी हुई है. गलीकोंडा पहाड़ी को आंध्र प्रदेश के राज्य में सबसे ऊंची पहाड़ी का दर्जा मिला हुआ है। उसे आप इस यात्रा में देख सकते हैं।
21. रायगढ़ से कोरापुट तक की यात्रा
एक और मोहक रेल यात्रा जो आपको कोरापुट में 800 मीटर की ऊंचाई से 200 मीटर पर रायगढ़ तक कुछ आश्चर्यजनक अनुभव प्रदान करती है वो है रायगढ़ से कोरापुट तक की यात्रा। इस यात्रा मे आप विभिन्न पहाड़ी क्षेत्रों के साथ आगे बढ़ते हुए कई झरने नदी एवं हरे-भरे स्थल देखगें जो आपकी आखों को तो राहत पहुचाएंगे ही साथ ही आपको दिल को खुश कर देगें। आसपास के घने जंगलो के बीच की यात्रा आपको काफी रोमांचित अनुभव प्रदान करेगी जिसे आप भूल नहीं पाएगें।
22. चंबल एक्सप्रेस द्वारा ग्वालियर से आगरा तक की यात्रा
प्रसिद्ध चंबल घाटी हमेशा से भारत में सबसे प्रसिद्ध और विख्यात स्थानों में से एक रही है या यू कहे कि शीर्ष पर रही है। हम में से कई चंबल के डकैतों के बारे में कुछ आकर्षक और भयानक कहानियों को सुनकर बड़े हुए है। चंबल की घाटियों में छिपे डाकूओं की कहानियो से भला कौन नहीं परिचित होगा। कुछ साल पहले तक, शहर में चोरी, छेड़छाड़ और हत्याओं की अधिकतम संख्या होने की सूचना मिली थी। लेकिन हाल के वर्षों में, उन सभी बुरी खबरों ने एक बड़ा आराम लिया है, चंबल बढ़ते शहरों में से एक के रूप में उभरा है। एक प्रसिद्ध जगह होने के सभी कठिनाइयों के बावजूद, चंबल के माध्यम से आगरा से ग्वालियर तक की यात्रा यात्रियों के लिए एक अद्भुत अनुभव होगी। जहां आपको कहानियों के माध्यम से सुने क्षेत्र देखने को मिलेगें जो किसी रोमांचकारी अनुभव से कम नहीं होगा।
23. टॉय ट्रेन पर माथेरान से नेराल तक की यात्रा
नेराल से माथेरान तक की यात्रा भारत में सबसे खूबसूरत टॉय ट्रेन यात्राओं में से एक प्रदान करती है। माथेरान हिरणों में चित्रित पश्चिमी घाटों में सुंदरता का एक टुकड़ा है और महाराष्ट्र में सबसे लोकप्रिय सप्ताहांत स्थलों में से एक है। दिलचस्प बात यह है कि माथेरान में कोई अन्य कम्यूटेशन माध्यम नहीं है, इसलिए किसी के पास पहाड़ी और सड़कों पर चलने या शहर तक पहुंचने के लिए टॉय-ट्रेन के माध्यम से यात्रा करने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचता है। इस डेढ़ घंटे की यात्रा के दौरान आपको आनंद लेने के लिए कई सुंदर मनोरम दृश्य देखने को मिलेगें जो आपकी छुट्टियों को और भी उत्कृष्ट बना देगें।
24. हसीमारा के माध्यम से सिलीगुड़ी से अलीपुरद्वार तक की यात्रा
हसीमारा के माध्यम से सिलीगुड़ी से अलीपुरद्वार तक की यह अद्भुत रेल यात्रा आपको कुछ आश्चर्यजनक जंगली वातावरण से यात्रा करने का अनुभव प्रदान करती है। सिलीगुड़ी से अलीपुरद्वार की ट्रेन कई धाराओं, झरने, चाय बगानों और दिलचस्प चार खूबसूरत वन्यजीव अभ्यारण्य - महानंद वन्यजीव अभयारण्य, जलदाप अभयारण्य, चप्रामरी वन और बुक्सा टाइगर रिजर्व के माध्यम से चलती है। जब इनके पास से गुजरते हैं तो आपको विभिन्न जानवर भी देखने को मिल जाते हैं। यहां के सुंदर क्षेत्र और जीव-जंतु आपकी यात्रा में चार चांद लगा देते हैं जिसे आप कभी छोड़ना नहीं चाहेगें।
25. भुवनेश्वर से ब्रह्मपुर तक की यात्रा
यदि आप एक मजोदार यात्रा और कुछ हटके करना चाहते हैं और प्रकृति पर खुद को प्रस्तुत करते हैं, तो आपको ओडिशा में आश्चर्यजनक पर्यटक आकर्षण चिलिका झील का दौरा करना चाहिए। लेकिन अधिकांश लोग सड़क मार्गों के माध्यम से गंतव्य तक पहुंचते हैं। भुवनेश्वर से ब्रह्मपुर तक पूर्वी घाटों के सुंदर आस-पास के माध्यम से चलने वाले बहुत से लोग सुबह की ट्रेन यात्रा नहीं करते हैं। लेकिन आप यदि यह यात्रा रेल द्वारा करते हैं तो आप विशाल हरियाली और पहाड़ों के माध्यम से खूबसूरत चिलिका झील तक का यह अद्भुत सफर का आनंद ले सकते है। यह यात्रा आपके लिए एक शानदार अनुभव होगी जिसे आप कभी भूला नहीं पाएगें।
26. हिम्मतमनगर से उदयपुर तक की यात्रा
भारत के सबसे पुराने पहाड़ों में से एक, अरावली में कुछ गतिशील विशेषताएं हैं जिनमें ग्रे चट्टानी सतह, खड़ी छत, बिखरी हुई झाड़ियों और लहरदार पहाड़ शामिल हैं। इस मार्ग के माध्यम से ली गई ट्रेन-यात्रा आपको इतिहास के साथ एक सुंदर मिलनसार और इस क्षेत्र के मनोरंजक लोक आकर्षण प्रदान करेगी। इस यात्रा के लिए आपको हिम्मतनगर से उदयपुर तक की यात्रा करनी होगी जो आपको शानदार दृश्यों के साथ एक यादगार अनुभव प्रदान करेगी।
भारत में अन्य सुंदर रेल मार्ग भी हैं इसलिए, अगली बार जब आप छुट्टी पर जाने की योजना बनाएं तो विमान या बस से जाने के बजाय अंतहीन आसमान, पहाड़ी क्षेत्रों, जगलों, नदियों एवं झरनों को देखते हुए, ट्रेन से यात्रा करें और भारत की सुंदरता का आनंद लें।