भारत में फोटोग्राफी के लिए सर्वश्रेष्ठ स्थान
भारत एक सुंदर देश है। जहां के हर कौने में सुंदरता विद्धमान है। विभिन्न राज्यों, विभिन्न संस्कृतियों और विविधताओं से भरे भारत में कई ऐसे स्थल है जो प्रकृति का अद्भुद नाजारा प्रस्तुत करते हैं। उत्तर के बर्फीले पहाड़ों से लेकर दक्षिण के समुद्री तटों तक, पूव की हरियाली से लेकर पश्चिम के रेगिस्तानों की चमक तक भारत को मनोहर दश्यों से संपूर्ण करती है। जब भी हम किसी सुंदर चीज को देखते हैं तो उसे हमेशा अपनी नजरों के माध्यम से कैद करना चाहते हैं ताकि लोग हमारी नजर से इस स्थल की खूबसूरती को देखें। लेकिन अपनी आंखो से यह कह पाना संभव नहीं होता है। इसलिए आज के समय में फोटोग्राफी एक ऐसा माध्यम बनकर उभरा है जिससे हम प्रकृति के सुंदर नजारो को कैद कर दुनिया के सामने प्रस्तुत कर सकते हैं। अपने साथ रख सकते हैं। यदि आपको प्रकृति के इन सुंदर नजरों को कैद करके रखने का शौक है तो भारत आपके लिए एक आदर्श स्थल है। जहां आप अपनी फोटोग्राफी की इच्छा को पूर्ण कर सकते हैं। हमारी यात्रा को यादगार और हमारे द्वारा लिए गए इनके फोटोग्राफ्स हमारी यात्रा को ज़िन्दगी भर के लिए जीवंत रखती हैं। किसी भी यादों को संजो कर रखने के लिए फोटोग्राफी ही सबसे ज़्यादा हमारी मदद करती है। और जब बात आती है भारत में फोटोग्राफी यात्रा कि तो आप ही बताइये भारत से अच्छी जगह और क्या होगी यात्रा के लिए और नए नए अनुभवों को अपने साथ फोटोग्राफी के ज़रिये अपने पास हमेशा संजो कर रखने के लिए! विभिन्न संस्कृतियों, परम्पराओं, प्राकृतिक सौन्दर्यों, ऐतिहासिक स्थलों और कई सारी आकर्षक चीजों के साथ भारत फोटोग्राफी यात्रा के लिए एक आदर्श जगह है। आप अपने फोटोग्राफर के नज़रिये से भारत की यात्रा को अपने पास हमेशा के लिए संजो कर रख सकते हैं। चलिए आज हम आपको बताते हैं कि आप अपने भारत के फोटोग्राफी टूर में कहाँ कहाँ जाएँ जहाँ जाकर आपकी फोटोग्राफी कुशलता में भी सुधार होगी और आपको भारत को एक नए नज़रिये से देखने का भी अनुभव होगा। कैमरा या वीडियो के माध्यम से सुंदर दृश्यों को कैप्चर करने का मज़ेदार और अद्वितीय अनुभव होता है। फोटोग्राफी एक कला है जिसे वास्तव में वर्णित नहीं किया जा सकता है, लेकिन केवल तभी दिखाई देता है जब अंतिम तस्वीर आपके सामने रखी जाती है। भारत में कुछ लुभावनी जगहें हैं जो दुर्लभ विचार या दृश्य प्रदान करती हैं। यह आपकी यादों को पकड़ने और दूसरों के साथ पुनर्निर्माण करने का एक माध्यम उपलब्ध कराती है।
फोटोग्राफी के माध्यम से आप अपनी छुट्टियों की यादों और क्षणों को हमेशा के लिए सहेज कर रख सकते हैं। इस आर्टिकल के माध्यम से हम आपको भारत की कुछ बेहतरीन स्थलों के बारे में बता रहें हैं जहां की सुंदरता देख आप उसे अपने कैमरे में कैद किए बिना रह नहीं पाएगें। यह भारत के सर्वश्रेष्ठ फोटोग्राफी स्थल हैं।
पांगोंग झील, लद्दाख
भारत के सुंदर स्थल लद्दाख में स्थित पांगोंग झील, नुब्रा घाटी से एक दम विपरीत दिशा में है। जब आप पांगोंग झील में पहुंचते हैं तो यह जगह आपको स्वर्ग में ले जाने का अनुभव कराएगी। लद्दाख में स्थित, यह झील सड़कों के माध्यम से सुलभ है और जब आप इस खूबसूरत गंतव्य पर पहुंचते हैं, तो आप ऊंचाई पर होने के बाद भी श्वांस की तकलीफ को नहीं महसूस करते आप इस झील की सुंदरता में खो जाएगें। नुब्रा घाटी घूमने के बाद ही पांगोंग झील घूमना उचित माना जाता है। पांगोंग झील की समुद्र तल से ऊँचाई लगभग 4,350 मीटर है। इस झील की सबसे ख़ास विशेषता यह है कि, पांगोंग झील दुनिया की सबसे ज़्यादा खारे पानी की झील है। इसका पानी, नीले रंग की तरह दिखता है। पांगोंग झील लगभग 160 किलोमीटर तक फैली हुई सबसे बड़ी झीलों में से एक है। इस झील के समीप आकर आपार आनंद शांति की अनुभूति होती है। इस झील की प्राकृतिक बनावट लाजवाब है जिसका शब्दों में वर्णन नहीं किया जा सकता। यह झील लद्दाख आने वाले हर पर्यटक को अपनी सुंदरता की वजह से, अपनी ओर खींच ही लेती है।
सर्दियों के दौरान, यहां तापमान बहुत असहनीय हो सकता है और इसलिए देर से या जल्दी सर्दियों की शुरुआत के दौरान यहां आना सबसे अच्छा होता है। उस समय मौसम स्पष्ट है, बारिश नहीं होती है और इसलिए आप एक स्पष्ट कोण प्राप्त कर सकते हैं। शुरुआती सुबह और शाम कुछ विशिष्ट दृष्टिकोण प्रदान करते हैं। इस झील की एक और ख़ास विशेषता है, यह झील समय-समय पर अलग-अलग रंग बदलने के लिए भी मशहूर है। इस झील का रंग कभी नीला, कभी हरा, तो कभी लाल भी दिखाई देता है। जो की अद्भुत है। यह झील अनेकों विशेषताओं को समेटें हुए है। जो लद्दाख की खूबसूरती में चार चाँद लगाती है अधिकतर पर्यटक यहाँ आ कर अपना अधिक से अधिक समय व्यतीत करते है। आप यहां के सुंदर दृश्यों को अवश्य ही अपने कैमरे में कैद करना चाहेगें।
ऋषिकेश, उत्तराखंड
ऋषिकेश भारत का एक पवित्र शहर है। यह भारत के उत्तराखंड राज्य में स्थित है। उत्तराखंड राज्य के अंतर्गत ऋषिकेश ज्यादा पर्यटन को आकर्षित करने वाला गंतव्य है। ऋषिकेश कम ऊचाई पर बसा स्थल है, जहां पर्यटकों की सुख-सुविधाओं की सारी व्यवस्था है,साथ ही यहां से अन्य पहाड़ी गंतव्यों के लिए आसानी से जाया जा सकता है। यहां कई आश्रम एवं धार्मिक स्थल है। गंगा के घाटों पर होने वाली आरती और भजनों की पवित्र आवाज आपको अपार शांति का अनुभव कराएगी। इस शहर में एक तरह का जीवन शक्ति है, जो इसका सही चित्र बनाती है आप यहां दोनों दुनिया के सर्वश्रेष्ठ अनुभव को प्राप्त कर सकते हैं। गंगा के घाटों पर शाम को आरती का दृश्य कोईइ भी फोटोग्राफर छोड़ना नहीं चाहेगा। यह शक्ति और भक्ति के आपार संगम को दर्शाती है।
जैसे ही आप थोड़ा दूर चले जाते हैं, लहरों आपको भिगोने के लिए तैयार हो जाती हैं। सफेद जल राफ्टिंग फोटोग्राफी शायद के लिए अद्भुद नाजारा है। यहां आपको वास्तव में नाव में बैठने और लहरों को बांधने की ज़रूरत है, जबकि यह सुनिश्चित करना कि आपका कैमरा वाटरप्रूफ हो यह एक मनोरंजक अनुभव होगा। ऋषिकेश पर्यटन का सबसे आकर्षक स्थल है। विदेशी पर्यटक भी यहाँ आध्यात्मिक सुख की चाह में नियमित रूप से आते रहते हैं। ऋषिकेश खासकर रिवर राफ्टिंग, वैली क्रॉसिंग, ट्रेकिंग, रॉक क्लाइंबिंग, बंजी जंपिंगआदि एडवेंचर के लिए जाना जाता है। पहाड़ों से आती गंगा ऋषिकेश का ह्रदय मानी जाती है। आप इन दृश्यों को अपने कैमरे में कैद कर हमेशा के लिए सुरक्षित रख सकते हैं।
जीवित जड़ पुल, मेघालय
आपने अक्सर दुनिया भर के कई सुंदर पुलों को देखा और सुना होगा। लेकिन भारत के पूर्वोतर राज्य मेघालय में स्थित जीवित जड़ पुल अपने आप में एक अनूठा पुल है। क्योंकि यह पुलप प्रकृति निर्मित है जो पेड़ों की जड़ों द्वारा स्वंय बनाया गया है। लोकप्रिय रूप से जीवित जड़ पुल के रूप में इसे जाना जाता है, यह एक आकर्षण है जिसे अत्यधिक फोटोग्राफी में लिया जाता है। इस पुल को यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थल घोषित कर दिया गया है। यह पुल नोंगरियात गांव में ग्रामीणों को नदियों-नालों को पार करने में मदद करने वाले पेड़ों की जड़ों से बने पैदल पुल राज्य में आकर्षण का नया केंद्र बन गए हैं। पर्यटकों की ओर से इन पुलों को जीवित पैदलपुल नाम दिया गया है। इन पुलों को बनने में 12 से 15 वर्ष का समय लगता है। ये पुल बिना किसी सरकारी सहायता के अकेले ग्रामीणों के प्रयासों का नतीजा हैं। पुल को देखकर यह बेहद आसान कार्य लग सकता है, लेकिन यह वास्तव में हुनर और अपार धैर्य का परिणाम होते हैं। पुल का निर्माण करने के लिए रबर पेड़ की उन जड़ों का इस्तेमाल किया जाता है जो कि पेड़ की मूल जड़ों से अतिरिक्त होती हैं तथा तनों से ऊपर बढ़ती हैं। इसमें वास्तव में जड़ें होती हैं जो लगभग 100 फीट गहरी होती हैं और लगभग 50 लोगों का भार लेती हैं। धूप और उज्ज्वल होने पर यहां चित्रों को क्लिक करना सबसे अच्छा है ताकि आप वास्तव में इस पुल की गहराई को पकड़ सकें।
इन जड़ों को सावधानीपूर्वक नदियों के आरपार बिछाया जाता है। जड़ों को बिछाने के लिए सुपारी के पेड़ों के खोखले तनों का इस्तेमाल होता है। रबर पेड़ों की नरम जड़ें सुपारी के पेड़ के तनों के सहारे नदी के दूसरी ओर पहुंच जाती हैं। वहां पर इन जड़ों को मिट्टी में जड़ें जमाने दिया जाता है। इस तरह से पुल के प्राकृतिक ठोस आधार का निर्माण होता। समय बीतने के साथ ही जड़ें पैदल पुल का रूप ले लेती हैं। कुछ पुल तो 500 साल पुराने भी हैं। ऐसे ही एक प्राकृतिक पुल का नाम डबल-डेकर पुल है। इस पुल की विशेषता यह है कि एक बार पुल बनने के बाद उसकी जड़ों को ऊपर की ओर दोबारा मोड़ कर दूसरा पुल भी बनाया गया था। विश्व में यह अपनी तरह का एकमात्र पुल है। जहां फोटोग्राफी करने का आपका अलग ही अनुभव होगा।
हवेलॉक द्वीप, अंडमान द्वीप समूह
भारत का अंडमान-निकोबार द्वीप समूह पर कई छोटे-छोटे द्वीप है। यहां का सबेस प्रसिद्ध औऐर फोटोग्राफी के लिए उपयुक्त द्वीप हेवलॉक है। यह द्वीप स्कूबा डाइविंग, समुद्र के नीचे मछली और मूंगा चट्टान को देखने के लिए जाना जाता है। स्कूबा डाइविंग अनुभव एक तरह का अलग अनुभव है और इस लुभावनी अनुभव की तस्वीरें लेना कुछ ऐसा है जो आप कभी भी भूल नहीं पाएंगे। असल में आपको इस अनुभव को कैप्चर करने के लिए एक विशेष कैमरा की आवश्यकता होगी लेकिन आपको इसे खरीदने की ज़रूरत नहीं है। किराए पर कैमरे उपलब्ध हैं या आप ऋण पर भी एक प्राप्त कर सकते हैं। हेवलॉक द्वीप अनछुए समुद्र तट और अप्रदूषित पर्यावरण की गोद में आरामदेह रिसॉर्ट उपलब्ध कराता है। भारत सरकार ने यहां पर्यावरण के विकास के लिए विकसित किया है और अब यहां के तट विश्व प्रसिद्ध हैं। एक अंग्रेजी पत्रिका ने हैवलॉक द्वीप को एशिया का सबसे अच्छा तट घोषित किया गया था।
अंडमान द्वीप समूह में ट्रॉपिकल आइलैंड पैराडाइज के नाम से जाना जाने वाला खूबसूरत बीच है- हैवलॉक आइलैंड. शीशे की तरह साफ पानी, चांदी की तरह चमकती सफेद रेत और अद्भुत कोरल्स के कारण यह आइलैंड दुनिया के सबसे खूबसूरत तट रेखाओं में से एक माना जाता है। समुद्र के नीचे अद्भुत तस्वीरें ली जा सकती हैं जिनमें मछली, धूप वाले जहाज और यहां तक कि मूंगा चट्टान भी शामिल है। कुछ रेवेन ज्वालामुखी लावा रूप हैं जो एक महान फोटोग्राफिक अनुभव के लिए आधार भी बनाते हैं। खूबसूरत द्वीपों में जॉली बॉय, हैवलॉक, क्लिन्क, चंथम, वाइपर, रोज, बारेन और रेड स्किन शामिल हैं। जहां प्राचीन काल में बनी जेलें, एक सक्रिय ज्वालामुखी, मध्ययुगीन आरा मिल, बहुरंगी मूंगे और कई अन्य पर्यटन स्थल हैं। यहां से आप हेवेलॉक आईलैंड, अंडमान के लिए भी जा सकते हैं जिसमें लगभग 113.93 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र शामिल है और यह आसपास के सबसे बड़े द्वीपों में से एक है। सुंदरता के साथ यहां स्नॉर्कलिंग और डाइविंग चित्रों का भी आप आनंद ले सकते हैं आपका यहां फोटोग्राफी का अनुभव अतुल्नीय होगा।
मनाली-लेह रोड
मनाली से लेह का मार्ग सबसे खूबसूरत फोटोग्राफी एल्बम मार्गों में एक का आधार है। चूंकि आप इस सड़क को ले रहे हैं, आप पाएंगे कि राजमार्ग की पेशकश करने के लिए बहुत कुछ है।मनाली लेह राजमार्ग उत्तर भारत में हिमाचल प्रदेश के मनाली और जम्मू कश्मीर के लेह को जोड़ने वाला राजमार्ग है। यह साल में केवल चार-पांच महीनों के लिए ही खुला रहता है। अक्टूबर में बर्फबारी होने के कारण यह बंद हो जाता है। पर्यटक और स्थानीय चाय के साथ छोटे सड़क के किनारे स्टालों आपका मन मोह लेगें। भले ही बंजर भूमि मील के लिए फैली हुई हो। यह साहसिक भरे और चट्टानी इलाकों में से एक है। आप बर्फ के ढके हुए चोटियों या यक्स के साथ रहस्यमय पहाड़ों को देख सकते हैं, जो अन्यथा उपजाऊ भूमि में हरी चरागाह बनाते हैं। यात्री अक्सर रात में जिस्पा या सरचू में रुकते हैं। हालाँकि केलांग, दारचा और पांग में भी बहुत शानदार रुकने का इंतजाम होता है। सबसे अधिक यात्री मई और जून में आते है।
ज्यादातर भारतीय यात्री रोहतांग दर्रा देखकर ही मनाली लौट जाते हैं। रोहतांग दर्रा गर्मियों में भी बर्फ से ढका रहता है। बसें मनाली से सुबह चार बजे ही चलना शुरू हो जाती है और नियमित अंतराल पर दोपहर बारह बजे तक चलती रहती हैं। ये बसें ज्यादातर केलांग जाती हैं। कुछ लोग मनाली से लेह तक मोटरसाइकिलों व साइकिलों पर भी जाते हैं। यहा पर आने वाले पयर्टको का मानना है कि यह क्षेत्र बहुत ही रहस्यात्मक क्षेत्र है| यहाँ अनेक आश्चर्यचकित करने वाली चीजे है जो पर्यटकों के आकर्षण का प्रमुख केंद्र है| हुल स्पीती के प्रमुख स्थलों केलांग , खाक्सर , लोसर ,काजा और ताम्बो के लिए गर्मियों में रोज बसे चलती है | आप यहां आकर फोटोग्राफी के लिए कई दृश्यों को देख सकते हैं जो आपका दिल खुश कर देगीं।
मनाली, हिमाचल प्रदेश
मनाली भारत के सबसे खूबसूरत पहाड़ी स्टेशनों में से एक है जो आबादी के बीच निर्वासित इलाकों की झलक प्रदान करती है। मनाली एक उच्च ऊंचाई पर स्थित है और आप उस ऊंचाई से नीचे की घाटी घाटियों को देख सकते हैं। तस्वीरों को कैद करने के लिए यह सही जगह है। आप या तो स्थानीय तिब्बती बाजार में जा सकते हैं या रोजमर्रा की तस्वीरों पर क्लिक कर सकते हैं। या रोहतंग पास के लिए कम रास्ता ले लो और शांत और शांतिपूर्ण क्षेत्रों की शूटिंग जारी रख सकते है। मनाली लकड़ी से बने कुछ बेहतरीन पहाड़ी वास्तुकला का घर भी है। आप पुराने मंदिरों या स्थानीय दर्शनीय स्थलों के भ्रमण स्थलों पर क्लिक कर सकते हैं। विशेष रूप से नदियों का किनारा ऐसा कुछ है जो एक सुंदर दृश्य प्रदान करता है। दिमाग में साहसिक फोटोग्राफी वाले लोगों के लिए, पैराग्लाइडिंग और अन्य समान गतिविधियां एक रोमांचकारी दृश्य प्रदान करती हैं। निश्चित रूप से यह जोखिम भरा है लेकिन उस ऊंचाई से चित्र प्राप्त करने की कल्पना करें।
मनाली में घूमनें की बहुत सी जगहें है। बर्फ से ढके पहाड़, नदी घाटियां, अदभुत कैफे और शांत स्थानों का नज़ारा चारो ओर दिखाई देता है। हिमाचल में स्थित यह हिल स्टेशन घरेलू और अंतरराष्ट्रीय पर्यटकों के लिए छुट्टी बिताने की बेहद मशहूर जगह है। यह स्थान साहसिक खेल के शौकिनों, छुट्टी मानने वाले परिवारों और हनीमून कपल्स , हिप्पी (लम्बे बाल वाले) बैकपैकर (पर्यटक) को अपनी ओर खींचता है। मनाली में अपने हॉलिडे के दौरान आपको इन प्रमुख जगहों की यात्रा जरूर करनी चाहिए। यहां के बागों में लाल और हरे सेब काफी मात्रा में पैदा होते है। यहां आने पर पर्यटक हिमालय नेशनल पार्क, हिडिम्बाी मंदिर, सोलांग घाटी, रोहतांग पास, पनदोह बांध, पंद्रकनी पास, रघुनाथ मंदिर और जगन्नानाथी देवी मंदिर देख सकते हैं। जो आपकी फोटोग्राफी में चार चांद लेगा देगी। मनाली को होने वाली साहसिक गतिविधियों के कारण भी जाना जाता है, यहां कई साहसिक गतिविधियों का आयोजन समय - समय पर किया जाता है जैसे - पर्वतारोहण, माउंटेन बाइकिंग, नदी राफ्टिंग, ट्रैकिंग, जॉरविंग और पैराग्लाइडिंग। मनाली के पास में रोहतांग दर्रा, देव डिव्वाा बेस कैंप, पिन नार्वती पास, बाल झील आदि है जो पर्यटकों को अवश्यक भाएंगे। आप भी यहां आकर फोटोग्राफी कर इस शानदार अनुभव में खो सकते हैं।
कच्छ का रण, गुजरात
कच्छ का रण गुजरात में कच्छ ज़िले के उत्तर तथा पूर्व में फैला हुआ एक नमकीन दलदल का वीरान स्थल है। पूर्णिमा की रात पर कच्छ एक भावना है जो वास्तव में मस्तिष्ककारी है। आप यहां शांति का अनुभव कर सकते हैं। दुनिया में सबसे बड़ा नमक रेगिस्तान किसी भी फोटोग्राफर के लिए एक खुशी का एहसास होगा। इसमें देश के कुछ सबसे दूरस्थ क्षेत्र हैं। कच्छ के रण जाने का सबसे अच्छा समय अक्टूबर के आसपास होगा क्योंकि पानी के बाद वाले इलाके सूख जाते हैं। कच्छ में देखने लायक कई स्थान हैं जिसमें कच्छ का सफ़ेद रण पर्यटकों को लुभा रहा है। इस के अलावा मांडवी समुद्रतट भी सुंदर आकर्षण है। भुज कच्छ की राजधानी है जिसमें कच्छ के महाराजा का आइना महल, प्राग महल, शरद बाग़ पैलेस एवं हमीरसर तलाव भुज में मुख्य आकर्षण है तथा मांडवी में स्थित विजय विलास पैलेस जो समुद्रतट पर स्थित है जो देखने लायक है।
काला डुंगर या ब्लैक हिल एक चढ़ाई है जिसे आप भूलना नहीं चाहेगें। समुद्र स्तर से 458 मीटर की ऊंचाई से कच्छ को देखना एक अद्भुद अनुभव होगा। आपको शायद पूर्णिमा की रात पर सबसे अच्छी तस्वीरें मिलेंगी लेकिन आप सुबह और शाम के सूरज के कुछ शानदार शॉट भी प्राप्त कर सकते हैं। कच्छह के रण की सबसे बड़ी खासियत यहां की सफेद रेत है जिसका यह रंग उसमें मौजूद नमक के कारण है। बारिश के दिनों में समुद्रतल से सिर्फ 15 मीटर की ऊंचाई पर स्थित इस रण में पानी भर जाता है। आप यहां पर फोटोग्राफी कर कई सुंदर चित्रों को सहेज सकते हैं।
संदाकफू, दार्जिलिंग
संदाकफू दुनिया में सबसे ऊंची चोटियों में से एक है। दार्जिलिंग में स्थित संदाकफू भारत के ईस्ट में फैला है। यह एक सपना देखने वाला स्थान है जिसे आप भूलना नहीं चाहेगें। दार्जिलिंग समुद्र तल से 3,636 मीटर की ऊंचाई पर बसा एक खूबसूरत शहर है तथा संदाकफू ईस्ट में दार्जिलिंग जिले में है। संदाकफू का मतलब जहरीले पेड़-पौधों से है। संदाकफू की पहाड़ों की चोटियों पर जहरीले एकोनाइट पेड़ पाए जाते हैं। इस जगह की असली सुंदरता सपनों के परिदृश्य के साथ शानदार दृश्य पेश करती है। आप सुबह दार्जिलिंग शहर से बाहर निकल सकते हैं और जीप द्वारा क्षेत्र तक पहुंच सकते हैं। फिर आप कुछ महान चित्रों को पकड़ने के लिए ट्रेक अप और असंख्य स्थान ढूंढ सकते हैं। उच्च पर्वत शिखर के साथ, आप यहां विदेशी आर्किड किस्मों की तस्वीरें भी पकड़ सकते हैं।
यदि आपके चढ़ाई के लिए चोटी बहुत अधिक है, तो आप थोड़ा कम भी जा सकते हैं। यहां वनस्पतियों और जीवों की उल्लेखनीय विविधता शानदार है। दार्जिलिंग में संदाकफू का सिंगालीला रेंज ट्रैकिंग के लिए फेमस है। इसलिए इसे पैराडाइज ऑफ ट्रैकर्स के नाम से भी जाना जाता है। यहां अनेक खूबसूरत चोटियां हैं जैसे एवरेस्ट, कंचनजंघा, मकालू और ल्ओत्से जो आपको रोमांच से भर देंगी। आप यहां फोटोग्राफी कर अपने आपको आशीर्वादित मानेगें।
सोम्गो झील, सिक्किम
सोम्गो झील पूर्वोत्तर राज्य सिक्किम में स्थित एक सुंदर झील है। यह उच्च ऊंचाई झील फोटोग्राफर के लिए खुशी के साथ चुनौतियों की पेशकश करती हैं। और सोम्गो झील समुद्र तल से लगभग 12,000 फीट उपर है। यह एक झील है जो गर्मियों के दौरान पिघलने वाले हिमनदों से पानी पाती है। यह गंगटोक से करीब 40 किमी दूर है और चीनी सीमा के नजदीक है। झील के लिए ट्रेक सौंदर्य की सार को पकड़ने का सबसे अच्छा तरीका है। यह झील एक किलोमीटर लंबी, अंडाकार है। स्थानीय लोग इसे बेहद पवित्र मानते हैं. मई और अगस्त के बीच झील का इलाका बेहद खूबसूरत हो जाता है। सोम्गो लेक में दुर्लभ फूल देखे जा सकते हैं। इनमें बसंती गुलाब, आइरिस और नीले-पीले पोस्त शामिल हैं। झील में जलीय जीव और पक्षियों की कई प्रजातियां मिलती हैं। यह जगह लाल पांडा के लिए भी जानी जाती है। सर्दियों में झील का पानी जम जाता है।
जैसे ही आप पहाड़ी चोटी के साथ ट्रेक करते हैं, आप विभिन्न वनस्पतियों और जीवों को देखने में सक्षम हों जाते है। आप साल के किसी भी समय झील पर जा सकते हैं, जमे हुए दिखने के लिए सर्दियों में या गर्मी के दौरान हरे रंग की हरियाली देखने के लिए गर्मी में आना सही रहेगा। हांलाकि यहां मॉनसून में आने से बचना चाहिए। इस झील के पास दुर्लभ किस्मों के फूल यहां देखे जा सकते हैं। इनमें बसंती गुलाब, आइरिस और नीले-पीले पोस्त शामिल हैं। झील में जलीय और पक्षियों की कई प्रजातियां मिलती हैं। लाल पांडा के लिए भी यह एक मुफीद जगह है। आप यहां फोटेग्राफी के शानदार दृश्यों को पा सकते हैं।
तवांग, अरुणाचल प्रदेश
भारत का उत्तर-पूर्व संस्कृति, पर्यावरण और जीवनशैली में भी विविधता प्रदान करता है। एक फोटोग्राफर के लिए यह अरुणाचल प्रदेश भारतीय उपमहाद्वीप के चेहरे पर सबसे अधिक फोटोग्राफिक स्थानों में से एक है। यहां के आसपास आप तवांग के कम आबादी वाले शहर का दृश्य प्राप्त कर सकते हैं। यह पहाड़ी शहर आपको अरुणाचल प्रदेश की वास्तविक संस्कृति की झलक देती है। यह अभी भी पर्यटकों द्वारा छेड़छाड़ नहीं है और पहाड़ प्राचीन और साफ है। स्थानीय आवास सस्ता और साफ है। शहर की तस्वीरें लेने के अलावा, आप आस-पास की ऊंचाई या यहां तक कि जंगल तक भी जा सकते हैं। यहां आप कुछ बेहतरीन चित्रों पर क्लिक करने के लिए वन्यजीवन और राज्य के सुन्दर जंगलों के साथ जनजातीय संस्कृति की एक झलक ले सकते हैं।
अरुणाचल प्रदेश के तवांग शहर में स्थित यह मोनैस्ट्री भारत की सबसे बड़ी और दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी मोनैस्ट्री है। सबौद्ध धर्म और इस धर्म के कल्चर से जुड़ी बातें सीखने के लिए यह बेस्ट जगह है। यहां जाकर आप बौद्ध भिक्षुओं से बात कर सकते हैं, बौद्ध धर्म के बारे में जानकारी हासिल कर सकते हैं यह प्राकृतिक रूप से बहुत ख़ूबसूरत है। छुपे हुए स्वर्ग के नाम से यह पर्यटकों में काफ़ी लोकप्रिय है। तवांग बहुत ख़ूबसूरत है। पर्यटक यहाँ पर ख़ूबसूरत चोटियाँ, छोटे-छोटे गाँव, शानदार गोनपा, शांत झील और इसके अलावा बहुत कुछ देख सकते हैं। तवांग मठ एशिया का सबसे बडा बौद्ध मठ है। तवांग मठ में 700 बौद्ध साधू ठहर सकते हैं। आप इसकी सुंदरताको अवश्य कैमरे में कैद करना चाहेगें। तवांग मठ के पास एक जलधारा भी बहती है। यह जलधारा बहुत ख़ूबसूरत है और यह मठ के लिए जल की आपूर्ति भी करती है।
मेघालय गुफाएं
साहस किसी भी फोटोग्राफर के लिए एक खुशी का अनुभव है। एक फोटोग्राफर का साहसी होना बहुत जरुरी है। पहाड़ों के दिल में गहराई से जाना कुछ ऐसा है जिसमें साहस और कौशल की भी आवश्यकता है। ऐसी ही रोमांच से भरपूर जगह मेघालय की गुफाएं है। यहां की सुरम्य गुफाएं न केवल शानदार दृश्य पेश करती हैं बल्कि आपको रोमांच की भावना भी भरती हैं। गुफाओं के अंदर गहरे होने से आपको चमगादड़ लटकने या यहां तक कि कहीं भी बाहर आने वाली एक छोटी सी धारा के कुछ दृश्य प्राप्त करने में मदद मिल सकती है। मेघालय निश्चित रूप से गुफाओं की रानी है क्योंकि आप क्रेम माल्मलुह, माससिनाम, मासस्माई क्रेम फीलट, क्रेम लिआट प्राह और सिजू में आ सकते हैं। मेघालय मं अनुमानित 500 प्राकृतिक चूनापत्थर एवं बलुआपत्थर की गुफाएं हैं, जो राज्य भर में फ़ैली हुई हैं। इनमें से उपमहाद्वीप की अधिकांश सबसे लम्बी और सबसे गहरी गुफाएं हैं। इनमें क्रेम लियाट प्रा सबसे लम्बी और सायन्रियांग पामियंग सबसे गहरी गुफा है।
आप आसानी से छुपे हुए चमत्कारों का पता लगा सकते हैं जो पहाड़ियों के गहरे अंधेरे रहस्यों के साथ प्राकृतिक गठन विचार प्रदान करते हैं। आप यह देखकर आश्चर्यचकित होंगे कि यहां तक कि गुफाओं, वनस्पतियों और जीवों के दिल में भी वृद्धि हुई है। अजीब रॉक संरचनाएं और चूना पत्थर कुछ ऐसा है जो वास्तव में खूबसूरती से दूर किया जा सकता है। मावसिनराम गुफा अपनी स्टलैग्माइट के लिए मशहूर है। ये चोटियां शिवलिंग के आकार की तरह दिखती है। मॉस्मई गुफा को क्रेम फिलुत के नाम से भी जाना जाता है। यह गुफा नाहसिंहथियांग झरनों से ज्यादा दूर नहीं है। सीजू की गुफाएं भी चूने के पत्थरों से बनी है। मॉस्मई गुफा की आंतरिक बनावट बेहद खूबसूरत है। इसके भीतर बड़े बड़े हॉल हैं। हर एक की बनावट ऐसी है जैसे कोई रंगमंच सजा हो। गुफा में घुप अंधेरा रहता है। टॉर्च की एक रोशनी या प्रकाश की कोई किरण पड़ते ही यहां की छुपी हुई खूबसूरती का हैरतअंगेज नजारा देखने को मिलता है। आप यहां फोटोग्रापी कर स्वंय को रोमांचित महसूस करेगें।
राजस्थान के रेगिस्तान
भारत का पश्चिमी राज्य राजस्थान अपने महलों और रेगस्तानों के लिए मशहूर है। यहां के रेगिस्तान चित्र लेने के लिए सबसे कठिन इलाकों में से एक हैं। यह एक उत्कृष्ट रेगिस्तानी अनुभव है लेकिन कुछ मज़ा के साथ भी है। चुनौती यह है कि इस दृश्य को कैद करने में कितना सुंदरता हो सकती है। जैसलमेर और यहां तक कि बीकानेर के शहरों के माध्यम से कई रेगस्तान उपलब्ध हैं। यहां आने का सबसे अच्छा समय सर्दियों के महीनों के दौरान होगा क्योंकि आप तस्वीरें लेने के लिए ठंडी जलवायु का आनंद ले सकते हैं। इस अवधि के दौरान आप ठंडे रेत पर चलने की आजादी का भी आनंद ले सकते हैं, जो गर्मी की शुरुआत के साथ शत्रुतापूर्ण और असहनीय होती है। गर्मियों के महीने में भी बहुत सारे सैंडस्टॉर्म और धुन-तूफान होते हैं। यहां फोटो क्लिक करने का सबसे अच्छा समय सुबह या सूर्यास्त के दौरान होता है।
इसके साथ ही आप राजस्थान के पश्चिमी हिस्से में थार के रेगिस्तान के हृदयस्थल पर स्थित जैसलमेर के वास्तुशिल्प, मधुर लोकसंगीत, विपुल सांस्कृतिक व ऐतिहासिक विरासत को कैद कर सकते हैं। यहां पाई जाने वाली पीली रंग की रेत की वजह से इस शहर को गोल्डन सिटी कहा जाता है। विभिन्न आकृतियों वाले पीली रेत के टीलों पर हवा से बन गई धारियां पानी की छोटी-छोटी लहरें जैसी लगती हैंकैमल सफारी के अलावा यहां के एडवेंचर कैंप पर्यटकों के बीच अपना खास स्थाल रखते हैं। सैम सैंड दून्स कैमल सफारी के लिए सबसे शानदार जगह है। बीकानेर में प्रसिद्ध मेला लगता है जिसे राजस्थान पर्यटन विभाग आयोजित कराता है। आप यहां आकर कई सुंदर और प्राकृतिक दृश्यों को कैमरे के माध्यम से सहेज सकते हैं।
अल्मोड़ा, उत्तराखंड
उत्तराखंड राज्य का अल्मोड़ा फोटोग्राफरों के लिए एक खुशी भरा स्थल है क्योंकि यह संस्कृति का एक अद्वितीय मिश्रण और प्राकृतिक सौंदर्य प्रदान करता है। यह शहर कुआमन के नजदीक है और वास्तव में भारत के समृद्ध इतिहास का हिस्सा है। यह शहर उत्तराखंड के पूर्वी हिस्से में स्थित है और इसमें कुछ ऐतिहासिक स्थलों जैसे रुद्रेश्वर महादेव नंदा देवी, अष्ट भैरव आदि हैं। आप यहां भव्य मंदिरों और वास्तुकला पर क्लिक कर सकते हैं या कम खोज वाले जंगली इलाकों में जा सकते हैं।
अल्मोड़ा में मकान लकड़ी के बनाये जाते हैं जो कि पहाड़ियों की ढलान पर होते हैं अल्मोड़ा में बहुत सारे मंदिर स्थित है जिनमे कसार देवी, नंदा देवी, डोली दाना, श्यायि देवी, खकमरा, अष्ट भैरव, जखण्डेवी, कटारमल सूर्य मंदिर, पाताल देवी, रघुनाथ मंदिर, भद्रेश्वर, बनरी देवी, चिताई, जागेश्वर, बिनसर महादेव, गढ़नाथ और बैजनाथ आदि सम्मिलित है। प्राकृतिक सुंदरता के साथ-साथ यहां बर्फ से ढकी हिमालय की चोटियों के अलावा नीले व हरे रंग की खूबसूरत पर्वत श्रेणियां भी लुभाती हैं। यहां ऐसे कई विस्मयकारी दृश्य हैं, जो पर्यटकों को मंत्रमुग्ध कर देते हैं। चारों तरफ पहाड़ और जंगल से घिरा अल्मोड़ा आपको फोटोग्राफी के बेहतरीन दृश्य उपलब्ध कराता है।
खज्जियार, हिमाचल प्रदेश
हिमाचल प्रदेश सुंदर और लुभावनी दृश्यों से संपन्न राज्य है। यहां का सुदंर शहर खज्जियार विदेश के स्वीट्जरलैंड की तर्ज पर स्थापित है। इसे भारत का मिनी स्वीट्जरलैंड कहा जाता है। क्योंकि इसकी खूबसूरती भी युरोप के देश स्विट्जरलैंड से कम नहीं है। यहां का मौसम, चीड़ और देवदार के ऊंचे-लंबे, हरे-भरे पेड़, हरियाली और पहाड़ तथा आत्मिक शांति और मानसिक सुकून देने वाली वादियां आपको स्विट्जरलैंड का एहसास कराती है। यह पर्यटक स्थल छोटा भले ही है लेकिन लोकप्रियता में बड़े-बड़े हिल स्टेशनों से कम नहीं है। यहां फोटोग्राफी के लिए आप स्वंय को संपन्न पाएगें।
हजारों साल पुराने इस छोटे से हिल स्टेशन को खासकर खज्जी नागा मंदिर के लिए जाना जाता है। यहां नागदेव की पूजा होती है। लेकिन पर्यटक मुख्य रूप से इस हिल स्टेशन की आबोहवा का आनंद लेने के लिए आते हैं। खज्जियार का मौसम दिनभर तो सुहाना रहता है लेकिन शाम ढलने पर यहां का मौसम कुछ इस कदर मनमोहक और रोमांचित करने वाला हो जाता है कि आप खुद को किसी और ही दुनिया में पाने लगते हैं। खज्जियार का आकर्षण चीड़ एवं देवदार के वृक्षों से ढके खज्जियार झील में है। झील के चारों ओर हरी-भरी मुलायम और आकर्षक घास खज्जियार को सुंदरता प्रदान करती है। झील के बीच में टापूनुमा दो जगहें हैं, जहां पहुंचकर पर्यटक और रोमांचित हो जाता है। आप यहां आकर कई फोटों को क्लिक कर सकते हैं और यहां की कभी ना भूलने वाली यादों को सहेज सकते हैं।
वाघा बार्डर
भारत और पाकिस्तान के बीच चाहे कितने ही रिश्ते तनावपूर्ण क्यो नी हो किन्तु भारत में एक ऐसी जगह जो भारत के साथ-साथ पाकिस्तान को भी गौरवान्तित करती है। भारत की गर्व कहे जाने वाले वाघा बॉर्डर पर आते ही आप भी स्वंय को गर्व से भारतीय कहेगें। देशभक्ति की भावना वितरित करने वाला वाघा बॉर्डर पंजाब के अमृतसर शहर में स्थित है। यह भारत और पाकिस्तान की सीमा रेखा भी है। वाघा सीमा भारत की सीमाओं की भव्यता को देखने के लिए एक आदर्श स्थान है। । जैसे-जैसे आप दोनों पक्षों की तस्वीरें लेते हैं और आश्चर्य करते हैं कि इन दोनों पक्षों के बीच वास्तव में क्या अंतर है, जिसमें समान संस्कृति, भूगोल और जलवायु है। अंदर की तस्वीरों की अनुमति नहीं है, इसलिए आपको क्लिक करने से पहले अनुमति की आवश्यकता होगी, लेकिन अगर आपको परमिट मिलता है, तो यह एक शानदार अनुभव होगा।
वास्तव में बाघा बॉर्डर एक सैनिक चौकी है, जो अमृतसर और लाहौर के बीच स्थित है। यह भारत-पाकिस्तान का एकमात्र सड़क सीमारेखा है और यहां विस्तृत निर्माण, सड़क और अवरोध बने हुए हैं। इस सीमा चौकी के प्रवेश द्वार को स्वर्ण जयंती गेट कहते हैं और इसके आसपास का परिवेश काफी हरा-भरा है। वाघा बॉर्डर पर शाम के वक्त होने वाले परेड को देखने के लिए स्थानीय लोग और पर्यटक बड़ी संख्या में आते हैं। साथ ही परेड से पहले होने वाला रंगारंग समारोह आपका मन मोह लेगा। वहीं परेड के दौरान आप भारत और पाकिस्तान के सैनिक को आक्रामक मुद्रा में देख सकते हैं। यहां पर हर शाम एक मनोरंजक समारोह होता है और इसमें सभी की देशभक्ति और ऊर्जा भरी कलाकारी देखने को मिलती है। जो सुरक्षाकर्मी इस बीटिंग रिट्रीट को करते हैं, उन्हें देख परख कर चुना जाता है यह समारोह 1949 में शुरू हुआ था और दोनों देशों की सरकार ने इसपर मुहर लगायी थी। तभी से पूरे ज़ोर शोर के साथ यह समारोह किया जाता है। है। सीमा पर स्थित इस जगह में बहुत बड़ा तोरण पथ है और दोनों देश के अपने अपने दरवाज़े है। यहाँ पर बैठने की व्यवस्था हैं, ताकि लोग आराम से इस समारोह को देख सके। आप यहां फोटोग्राफी का एक शानदार अनुभव प्राप्त करने के साथ स्वंय को गौरवान्तित भी महसूस करेगें।
भांनगढ़ किला, राजस्थान
यदि आप भूत-प्रेत और अलौकिक शक्तियों को जानने के लिए उत्सुक है और उसे अपने कैमरे में कैद करना चाहते हैं तो भारत के पश्चिमी राज्य राजस्थान का भानगढ़ आपके लिए एकदम सही जगह है। भानगढ़ किले को उसके भूतिया होने के लिए जाना जाता है। अंधेरे की एक छाया यहां लुभावती है और चित्रों पर क्लिक करने से वास्तविक रोमांच मिलता है क्योंकि आपको आश्चर्य होता है कि क्या आपको एक फ़्लोटिंग छाया या कुछ ऐसा दिखाई देगा जिसे आपने उम्मीद नहीं की थी। ऐतिहासिक दृष्टिकोण से अरावली की गोद में सोया यह शहर महत्वपूर्ण है ही, साथ ही फ़ोटोग्राफ़ी के शौकीन लोगों के लिए भी यहाँ के खंडर और प्राकृतिक वातावरण बेमिसाल हैं। 'वर्तमान में भानगढ़ पर्यटन का खूबसूरत केंद्र बन चुका है।
दिल्ली और जयपुर के बीच पड़ने वाला राजस्थान का भानगढ़ किला भूतहा किले के नाम जाना जाता है। 17वीं शताब्दी में बनाया गया यह किला पूरी तरह नेस्तोनाबूद है। कहते हैं कि यहां जो भी मकान बनाया जाता है उसकी छत कभी नहीं टिकती। इस तरह यहां कभी कोई मकान नहीं बन पाता। कहते हैं शाम ढलते ही यहां आत्माएं घूमने लगती हैं और सूर्यास्त के बाद जो भी यहां जाता है कभी वापस लौटकर नहीं आता। यहाँ बाज़ार, गलियाँ, हवेलियाँ, महल, कुएँ और बावड़िया तथा बाग़-बगीचे आदि सब कुछ हैं, लेकिन सब के सब खंडहर हैं। आप यहां फोटोग्राफी करने का एक अलग ही अनुभव पाएगें।
डल झील, कश्मीर
भारत का स्वर्ग कहे जाने वाले कश्मीर में वाकई कई ऐसे स्थल है जिन्हें देख आपका रोम-रोम खिल उठेगा। कश्मीर में स्थित डल झील को देख आप शिकारा, भव्य और रंगीन कपड़े हाउसबोट आपको बॉलीवुड शम्मी कपूर फिल्म कश्मीर की कली की याद दिला देगें बेशक, आज कश्मीर में फिल्मों की शूंटिग कम होने लगी है लेकिन जल झील की सुंदरता आपको फिल्मों में ले जाएगी। है। फूलों, नावों और शिकारों या यहां तक कि पहाड़ों की तरह शूट करने के लिए यहां बहुत विविधता है। झील पर स्थित धुंधली पहाड़ियों और धुंध वे दृश्य हैं जिन्हें आप याद नहीं कर सकते हैं। डल झील ‘कश्मीर के मुकुट में गहना’ ही नहीं बल्कि यहां के मूल निवासियों की आय का ज़़रिया और परिवहन का साधन भी है। डल झील पर सजे शिकारा पर्यटकों से ठसाठस भरे रहते हैं, जो डल झील के संकरे जलमार्ग के माध्यम से पर्यटकों को ले जाते हुए उन्हें कश्मीर की वास्तविक संस्कृति से परिचित कराते हैं, यह यहां के नाविकों की दिनचर्या का हिस्सा है। बाहरी लोगों के लिए यह एक अलग दुनिया है।
डल झील प्राकृतिक सौंदर्य का नज़ारा दिखाई देता है,और झील के बगल में स्थित हज़रतबल मस्ज़िद यहां की खूबसूरती को और बढ़ा देती है। मुगल गार्डन पर्यटकों का ध्यान अपनी ओर खींचता है जबकि शांति के लिए आप शंकराचार्य पहाड़ी पर स्थित शंकराचार्य मंदिर में आ सकते है। एशिया का सबसे बड़ा ट्यूलिप गार्डन श्रीनगर में स्थित है, जिसे लोग इंदिरा गांधी मेमोरियल ट्यूलिप गार्डन के नाम से भी जानते हैं। यह जगह बहुत सी हिंदी फिल्मों का हिस्सा रही है। आप यहां आकर यहां की सुंदर तस्वीरो को कैद कर फिल्मी झरोखों की तरह संभाल सकते हैं। यहां फोटोग्राफी का अनुभव शानदार होगा।