भारत में एडवेंचर्स पर्यटन

भारत एक विविधताओं का देश है। भारत की सांस्कृतिक, धार्मिक एवं भौगोलिक स्थित इसे अपने आप में खास बनाती है। जब भी सांस्कृतिक और ऐतिहासिक पर्यटन की बात आती है तो भारत हमेशा दुनिया के सामने सबसे प्रसिद्ध पर्यटन स्थलों में से एक रहा है। भारत को पर्यटन के लिहाज से संपूर्ण देश माना जाता है जहां नदियां भी है और पर्वत भी। समुद्री तटों की खूबसबूरती भी है तो पहाड़ी क्षेत्रों की ठंडक भी है। यहां रेगिस्तान भी है और किले भी। भारत में धार्मिक रुप से भी पर्यटन के स्थल हैं और सांस्कृतिक रुप से भी। यहां पानी में गोताखोरी भी का जी सकती है और पहाड़ों से छलांग लगाकर हवा में तैरने का आनंद भी लिया जा सकता है। यही वजह है कि प्रत्येक वर्ष लाखों की संख्या में देश-विदेश से पर्यटक भारत के इन पर्यटन क्षेत्रों की यात्रा करते हैं और अपने जीवन में सुखद अनुभव को आनंद लेते हैं। पर्यटक भारत की विरासत को जानने उसके इतिहास को समझने और दैनिक जीवन से आराम पाने के लिए भारत भ्रमण को तवज्जो देते हैं। भारत में कई ऐसे स्थान है जहां हर उम्र, हर वर्ग के व्यक्ति के लिए पर्यटन के लिहाज से बहुत कुछ देखने के लिए है।

भारत में साहसिक पर्यटन

एक समय तक पर्यटन के रुप में केवल सांस्कृतिक, ऐतिहासिक चीजों को देखना, समझना भर ही माना जाता था किन्तु भारत में आज के समय में पर्यटन में कई ऐसी चीजें जुड़ी है जो ना केवल पर्यटन को फलीभूत कर रही हैं बल्कि लोगों में उत्साह और उमंग को भी विकसित कर रही हैं। भारत के पर्यटन में कई ऐसे आयाम जुड़े हैं जिन्होंने पर्यटन को अलग ही रुप दिया है।

भौगोलिक विविधता ने इन आयामों को आकार देने में एक प्रमुख भूमिका निभाई है। भारत में शक्तिशाली पहाड़, नीलमणी से युक्त समुद्र, वन्यजीवन की विशाल किस्में और चमकते रेगिस्तानों ने भारत में रोमांच पसंद करने वालों के लिए भंडार खोल दिए हैं। जिसके कारणवश दूर-दूर से रोमांच पंसद करने वाले पर्यटक इनकी और आकर्षित हो रहे हैं। रोमांचकारी पर्यटन यानि एंडवेंचर्स पर्यटन आज देश में सबसे अधिक महत्वपूर्ण व पंसदीदा पर्यटन बन गया है। रोजाना एक जैसी चीजें करने से, दैनिक व्यस्तता के जरिए आज मनुष्य की ऊर्जा क्षीण होती जा रही है। जिसे फिर से जागृत करने और दिमाग को नयापन देने के लिए रोमांचकारी गतिविधियों की ओर पर्यटकों का खासा रुझान हो रहा है।

भारत में रोमांचकारी गतिविधियों को करने के लिए कई ऐसे पर्यटन स्थल है जो पर्यटकों के बीच खासे लोकप्रिय है। यहां उन्हें एक से बढ़कर एक रोमांचकारी एवं साहसिक खेलों को खेलने का अनुभव प्राप्त होता है। एक वक्त तक अपनी जान जोखिम में डालकर कोई खेल खेलना लोगों को अच्छा नहीं लगता था किन्तु आज बच्चों एवं वयस्कों से लेकर बुजुर्गों तक में रोंमांचकारी करतबों को करने की लालसा बढ़ रही है। यही कराण है कि पर्यटन के क्षेत्र में रोमांचकारी पर्यटन आज सबसे ज्यादा प्रसिद्धि पा रहा है। भारत में रोमांचकारी पर्यटकों की भीड़ को खींचने के लिए सबकुछ है। देश में अब वैश्विक स्तर पर साहसिक पर्यटन एक प्रमुख चेहरे के रूप में उभरा है। हर साल हजारों उत्साही पर्यटक साहस की तलाश में देश की यात्रा करते हैं।

भारत में कुछ लोकप्रिय साहसिक खेल प्रमुख रुप से पर्यटकों का ध्यान अपनी ओर आकर्षित करते हैं। यह खेल पर्यटन के क्षेत्र में प्रमुख रुप से उभरे हैं। इनमें से प्रमुख पर्वतारोहण, ट्रेकिंग, हाइकिंग, रॉक क्लाइंबिंग, स्कीइंग, नदी / व्हाइट वाटर राफ्टिंग, स्केटबोर्डिंग / वॉटर स्कीइंग, पैरा पैराग्लाइडिंग, बंजी जंपिंग, स्कूबा डाइविंग/गोताखोरी इत्यादि है जिन्हें पर्यटक बहुत पसंद करते हैं। उत्तर और उत्तर-पूर्वी हिस्सों के हिमालयी क्षेत्र, पश्चिमी और पूर्वी घाटियां दक्षिण, दक्षिण पश्चिम और दक्षिण-पूर्वी हिस्सें पर्वतारोहण, ट्रेकिंग, स्कीइंग और चट्टानों पर चढ़ाई के लिए सर्वोत्तम गंतव्यों में से एक है। जबकि राफ्टिंग और पानी में गोताखोरी जैसे खेलों के लिए उत्तर, पश्चिम और दक्षिण की नदियों में लोकप्रिय हैं। यही नहीं पूर्वी तटीय क्षेत्रों और समुद्री क्षेत्रों में पानी से जुड़े कई रोमांचकारी खेल पर्यटकों को पसंद आते हैं जिनके लिए वो इन क्षेत्रों की यात्रा करते हैं। एक शब्द में कहें कि पूरा भारत लगभग हर प्रकार के साहसिक खेल परोसता है जो प्रशंसक की आत्मा की रोमांच की प्यास को तृप्त करता है।

भारत में पर्वतारोहण

उत्तरी और उत्तर-पूर्वी भारत विभिन्न पर्वत श्रृंखलाओं के साथ फैला हुआ है। यहां की वादियां पर्यटकों में जान फूंकने का काम करती है। पूरे विश्व में पर्वत उत्साही पर्यटकों के लिए भारत के यह पहाड़ी क्षेत्र किसी सौगात से कम नहीं है। ऊंची-ऊंची पहाड़ियां, वन और ठंडी हवाएं किसी के भी ह्रदय मे रोमांचकारी रंग भरने के लिए संपूर्ण हैं। यही कारण है कि पूरे वर्ष भारत में पहाड़ों की सुंदरता में डूबने के लिए लाखों पर्यटक इनकी और आकर्षित होते हैं। अपनी यात्राओं को अधिक संतोषजनक और सुखद बनाने के लिए, कई पर्यटन एजेंसियां निजी और सरकार दोनों रुप में पर्यटको को उचित मार्गदर्शन के साथ यात्रा कराती हैं। पर्यटकों की सहायता करती  हैं। पर्वतारोहण अभियान पूरे वर्ष विशेष रूप से वर्ष के सबसे अनुकूल समय के दौरान शौकिया और कुशल पर्वतारोहियों दोनों के लिए विशेष स्थल उपलब्ध कराता है।

मुख्य रूप से उत्तर भारत में कई जगहें हैं जो कुछ अच्छे पर्वतारोहण अभियानों के लिए शानदार अवसर प्रदान करती हैं। जिनमें गढ़वाल हिमालयी रेंज, लद्दाख रेंज और उत्तरी भारत की कश्मीर घाटी और कंचनजंघा, सिक्किम हिमालयी रेंज, भारत के पूर्वी और उत्तर-पूर्वी हिस्सों के कुछ अन्य हिस्से पर्वतारोहण और ट्रेकिंग के लिए सबसे लोकप्रिय स्थान हैं। जहां पर्यटक सबसे ज्यादा रोमांचकारी गतिविधियों को करने के लिए जाते हैं।

भारत में पर्वतारोहण के लिए सबसे महत्वपूर्ण स्थलों की जानकारी नीचे दी गई हैः-

नंदा देवी

पर्वतारोहण के स्थल

नंदा देवी पर्वत भारत के उत्तराखंड राज्य के अंतर्गत गढ़वाल ज़िले में स्थित है। यह पर्वत हिमालय के दक्षिण-पूर्वी क्षेत्र का प्रसिद्ध पर्वतशिखर है। जिसकी चमोली से दूरी 32 मील पूर्व है। भारत के उत्तरी क्षेत्र उत्तराखंड के गढ़वाल हिमालय के सर्वोच्च शिखर नंदा देवी के दो शिखर हैं- नंदा देवी शिखर (7816 मीटर) और नंदा देवी पूर्वी शिखर (7434 मीटर)। नंदादेवी चोटी समुद्रतल से 25,645 फुट ऊँची है। ये चोटियां पूरे हिमालय पर्वत श्रृंखला की सबसे कठिन चोटियों में हैं, क्योंकि नंदादेवी चोटी चारों ओर से पर्वतीय दीवारों से घिरी है, जो 70 मील की परिधि में फैली हैं। 1934 ई। में प्रथम बार इस परिधि में प्रवेश किया गया था। लेकिन इतनी मुश्किलों के बाद भी उत्साही पर्वतारोहियों के दृढ़ संकल्प को यह ऊंची चोटियां समाप्त नहीं करती। साहसिक पर्यटकों के लिए यह जगह एक पंसदीदा पर्वतारोहण का केन्द्र बिंदू बन गई है। हिंदुओं का विश्वास है कि शंकर भगवान की पत्नी नंदा इसी पर्वत पर निवास करती हैं।

अंग्रेज़-अमरीकी पर्वतारोही दल ने सर्वप्रथम 1936 ई। में इस पर विजय प्राप्त की थी। पर्वतारोही टिलमैन और ओडेल ने 1936 में दक्षिण रिज के माध्यम से नंदा देवी के मुख्य शिखर पर पहली बार सफल चढ़ाई की थी। आश्चर्यजनक रूप से यह उस समय एक इंसान द्वारा चढ़े जाने वाला सबसे ऊंचा पर्वत था। इसके बाद अन्नपूर्णा पर 1950 में चढ़ाई की गई थी। दूसरा अभियान 1951 में फ्रांसीसी पर्वतारोहियों के आठ सदस्यीय समूह द्वारा निर्धारित किया गया था। लेकिन उनकी टीम के नेता और दो सदस्य चढ़ाई के दौरान खो गए थे और उनकी खोजी मिशन के दौरान ही नंदा देवी के पूर्वी शिखर पर लुइस डुबोस्ट और तेनज़िंग नोर्गे ने चढ़ाई की थी वो अपने साथियों को ढूंढ रहे थे।

नन्दादेवी के दोनों शिखर एक ही अभियान में छूने का गौरव भारत-जापान के संयुक्त अभियान को 1976 में मिला था। 1980 में भारतीय सेना के जवानों का एक अभियान असफल रहा था। काफी लंबे अंतराल के बा 1976 में मुख्य शिखर तक पहुंचने के लिए एक नया रास्ता तीन अमेरिकी पर्वतारोहियों, जेम्स स्टेट्स, लो रीचर्ड और जॉन रोज़केले ने खोजा था। लेकिन नए उत्तर रिज के माध्यम से यह अभियान एक त्रासदी के कारण समाप्त हो गया था क्योंकि नंदा देवी अनसोल्ड, समूह के एक महत्वपूर्ण सदस्य की मुख्य शिखर के पास ही मृत्यु हो गई थी। तब से,नंदा देवी में कई अभियान हुए हैं, लेकिन कुछ  ही सफलतापूर्वक समाप्त हुए हैं। भारतीय उपमहाद्वीपों में नंदा देवी सबसे खतरनाक पर्वतारोहण बिंदुओं में से एक है और संभवतः इसी कारण से यह साहसी लोगों की लिए सबसे पसंदीदा चोटियों में से एक है।

क्या तुम्हें पता था? उत्तराखंड का गढ़वाल हिमालयी क्षेत्र खतरनाक और मोहक ट्रेकिंग संगतता के लिए भी प्रसिद्ध है। यहां के विशाल पहाड़ ऊंची चोटी वाली पहाड़ियों की एक श्रृंखला से घिरे हुए है। इस क्षेत्र की औसत ऊंचाई लगभग 17000 फीट है। सुंदर नदी ऋषि गंगा बहती है। नन्दादेवी के दोनों ओर ग्लेशियर यानी हिमनद हैं। इन हिमनदों की बर्फ पिघलकर एक नदी का रूप ले लेती है। पिंडारगंगा नाम की यह नदी आगे चलकर गंगा की सहायक नदी अलकनन्दा में मिलती है। उत्तराखंड के लोग नन्दादेवी को अपनी अधिष्ठात्री देवी मानते है। यहां की लोककथाओं में नन्दादेवी को हिमालय की पुत्री कहा जाता है। एवरेस्ट की तुलना में नन्दादेवी शिखर पर चढ़ना ज्यादा कठिन है। यही कारण है कि इसे दुनिया के सबसे आश्चर्यजनक स्थलों में से एक माना जाता है। नन्दादेवी शिखर के आसपास का क्षेत्र अत्यंत सुंदर है। यह पूरा क्षेत्र नन्दा देवी राष्ट्रीय उद्यान घोषित किया जा चुका है। इस नेशनल पार्क को 1988 में यूनेस्को द्वारा प्राकृतिक महत्व की विश्व धरोहर का सम्मान भी दिया जा चुका है। पर्यटक इस लिहाज सें भी सबसे ज्यादा इसकी ओर आकर्षित होते हैं

याद रखने वाली चीज़ें:

• नंदा देवी की ट्रेकिंग यात्रा की कुल अवधि में कुछ दिन लगते हैं। यह यात्रा गंभीर और दृढ़ है।
• नंदा देवी अभयारण्य में ट्रेकिंग के लिए जाने का सबसे अच्छा समय मार्च से नवंबर के महीनें के बीच का होता है।
• नंद देवी की चढ़ाई करने का मार्ग मुश्किल है। यह लता से शुरू होता है और धरतीनी अलप के चारों ओर लता खारक की तरफ जाता है, मालथुनी के आसपास डिब्रूगेटा आल्प के पास नदी के किनारे देवदी, रमनी, भुजगरा नदी और पटलखान के माध्यम से आधे रास्ते तक इसका बिखराव है। पातालखन ट्रेक यात्रा में पहला पड़ाव है जहां से ऋषि गंगा नदी पार करने के लिए एक उत्तरी मोड़ लिया जाता है।
• ट्रेकर्स के लिए विशाल और फिसलने वाली चट्टानी स्लैब पहली मुश्किल चुनौती होती है। हजारों फीट नीचे गिरने के लिए बस एक गलती करने की जरुरत होती है। यहां एक बार जो खो गया वो खो ही जाता है।
• स्लैब स्थानीय रूप से वैकुंथ सेदी या स्वर्ग की सीढ़ियों के रूप में जाना जाता है जिसके माध्यम से ट्रेकर्स नंदा देवी के स्वर्ग यानि शिखर तक पहुंचते हैं।

कामेट पर्वत

भारत में पर्वतारोहण के स्थल

गढ़वाल क्षेत्र का दूसरा सबसे ऊंचा पर्वत कामेट है। यह पर्वत तिब्बत की सीमा के पास उत्तराखंड राज्य में स्थित है। कामेट भारतीय मिट्टी में तीसरा सबसे ऊंचा पर्वत है और दुनिया का 29 वां सबसे ऊंचा शिखर है। कामेट तिब्बती पठार पर स्थित है और इसलिए आसानी से सुलभ नहीं है। कामेट शिखर को ज़ांस्कर शृंखला का भाग और इसका सबसे ऊंचा शिखर माना जाता है। यह हिमालय की मुख्य शृंखला के उत्तर में सुरु नदी एवं ऊपरी करनाली नदी के बीच स्थित है। देखने में यह एक विशाल पिरामिड जैसा दिखाई देता है, जिसके चपटे शिखर पर दो चोटियां हैं। पर्वतारोही कामेट पर्वत के निकटवर्ती पूर्वी तथा पश्चिमी कामेट ग्लेशियरों से होकर ही शिखर की ओर चढ़ते हैं। इस मार्ग में कई जगह ऐसे पहाड़ हैं, जैसे बहुत ऊंची चट्टानी दीवार हो, जबकि कई जगह बहुत संकरा और काफी तिरछा मार्ग है। वहां बर्फ पर बहुत फिसलन होती है, लेकिन रस्सियों की सहायता से पर्वतारोही आगे बढ़ते हैं। कामेट पर चढ़ने का पहला प्रयास 1855 में शुरू किया गया था इस शिखर पर एक ब्रिटिश टीम ने सफलता प्राप्त की थी। उस अभियान का नेतृत्व फ्रेंक स्मिथ ने किया था। पहला चढ़ाव फ्रैंक स्माइथ, एरिक शिपटन, आर एल होल्डसवर्थ और लावा शेरपा द्वारा किया गया था और यह यात्रा ब्रिटिश अभियान का हिस्सा थी। कामेट पर्वत पर दूसरी फतह दार्जिलिंग में स्थित हिमालय पर्वतारोहण संस्थान के अभियान को मिली थी। यह अभियान मेजर नरेन्द्र जुयाल के नेतृत्व में 1955 में सफल हुआ था। जानते हो दार्जिलिंग का हिमालय पर्वतारोहण संस्थान पर्वतारोहण का प्रशिक्षण केन्द्र है। जिन लोगों में हिमालय के पहाड़ों पर जाने का जोश होता है, वह पहले ऐसे किसी संस्थान से बेसिक और एडवांस कोर्स करते हैं। दार्जिलिंग का हिमालय पर्वतारोहण संस्थान पर्वतारोहण का प्रशिक्षण केन्द्र है। पर्वतारोही पहले ऐसे संस्थान से बेसिक और एडवांस कोर्स करते हैं। 2001 जुलाई माह में हरियाणा के माउंटेनियरिंग एवं एलाइड स्पोर्ट्स एसोसिएशन के अभियान के सदस्यों ने कामेट शिखर पर विजय की।
1936 में नंदा देवी पर चढ़ने तक यह सबसे ऊंचा पर्वत था। तीन प्रमुख शिखर कमेट के आसपास स्थित हैं जो मुकुत पर्वत (ऊंचाई: 7242 मीटर, उत्तरपश्चिम बाध्य), अबी गामिन (ऊंचाई: 7355 मीटर, उत्तर-पूर्वोत्तर बाध्य) और मन (ऊंचाई: 7272 मीटर, दक्षिण-दक्षिण पूर्व बाध्य)।

याद रखने वाली चीज़ें:
• कामेट में पर्वतारोहण आज भी एक आसान काम नहीं है। यात्रा में लगभग 25-27 दिन लग सकते हैं।
• पर्वत रानीखेत के माध्यम से सुलभ है और पर्वतारोही पहाड़ों और जंगलों की मोटी घाटी के बीच घुमावदार मार्ग का एक लंबा सख्त कोर्स लेते हैं।
• कामेट शिखर में पूर्व कामेट ग्लेशियर से मीड के कर्नल की ऊंची प्लेटों पर जाकर एक पहुंचने योग्य मार्ग है। पहाड़ की चोटी इस तरह से साधकों के लिए अभी तक खतरनाक रूप मौजूद है।

हनुमान टिब्बा

भारत में पर्वतारोहण के स्थल

हनुमान टिब्बा धौलाधर रेंज के बीस कुंड ग्लेशियर में स्थित है। हनुमान टिब्बा धर्मशाला के पास एक प्रमुख पर्यटक आकर्षण केंद्र है। इस शानदार पर्वत की समुद्र तल से ऊंचाई 5892 मीटर है। बताया जाता है की ये मक्लिओडगंज के सामने स्थित है। यह बीस कुंड पर्वत-ताज के पांच पहाड़ों का सर्वोच्च शिखर है। यह चोटी मार्ग के रास्ते से एक चौंकाने वाला रास्ता प्रदान करता है। धौलाधार पर्वतमाला के उच्चतम बिंदु पर स्थित ये जगह अपने आप में स्वर्ग से कम नहीं है पर्वतारोहियों को इस पर्वत पर चढ़ाई करने के लिए सुंदर बर्च जंगलों के माध्यम से मनाली-सोलांग नल्ला मार्ग की आवश्यकता होती है। फिर बीस कुंड की हरी घास के मैदान परह चलना होता है जो 3540 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है अंत में कुख्यात तेंटू पास से गुजरना पड़ता हैं। इसके अलावा 'व्हाइट माउंटेन' के रूप में लोकप्रिय हनुमान का टिब्बा आने वाले सैलानियों को एक क्लासिक ट्रेकिंग मार्ग प्रदान करता है

याद रखने वाली चीज़ें:

• बीस कुंड निस्संदेह भारत में पर्वतारोहण के लिए सबसे प्रसिद्ध बेस-कैंप साइट में से एक है। हनुमान टिब्बा अभियान में लगभग 12-16 दिन लगते हैं।
• अभियान पर कठोर चढ़ाई के लिए पूर्व अनुभव वाले पर्वतारोहियों की आवश्यकता है।
• हनुमान टिब्बा पर चढ़ने का सबसे अच्छा मौसम मई से अक्टूबर के महीने का है।

दूनागिरी

भारत में पर्वतारोहण के स्थल

गढ़वाल हिमालयी रेंज का एक और ऊंचा शिखर दूनागिरी (7066 मीटर) है। यह नंदा देवी चोटी के उत्तर-पश्चिम में स्थित है और अभ्यारण्य को घेरे हुए है। उत्तराखण्ड प्रदेश के अन्तर्गत कुमांऊँ क्षेत्र के अल्मोड़ा जिले में एक पौराणिक पर्वत शिखर का नाम दूनागिरी है। इसे द्रोण, द्रोणगिरी, द्रोण-पर्वत, द्रोणागिरी, द्रोणांचल, तथा द्रोणांचल-पर्वत आदि नामों से भी जाना जाता है। दूनागिरी भी नंदा देवी की तरह एक बहुत प्रसिद्ध पर्वत है, दूनागिरी में भी बहुत कम ही सुलभ मार्ग है। इस शिखर पर पहली बार आंद्रे रोच, डी। ज़ोग और एफ और स्टीरी द्वारा 1939 में चढ़ाई की गई थी। ये सभी स्विस नागरिक थे। लेकिन पहली सफलता केवल 1976 में जो टास्कर और डिक रेंशो द्वारा आई थी। दूनागिरी अल्पाइन-शैली पर्वतारोहियों के बीच विशेष रूप से लोकप्रिय है। दूनागिरी पूरे कुमाऊं और गढ़वाल के हिमालयी क्षेत्र का सबसे लंबा दृश्य देता है। यह स्थल पर्वातारोहियों के साथ-साथ एक धार्मिक स्थल भी है।

कंचनजंघा

भारत में पर्वतारोहण के स्थल

कंचनजंघा पर्वत का नाम लगभग हर पर्वतारोही ने सुना होगा और लगभग सभी पर्वतारोहियों की यही अभिलाषा रहती है कि वो एक बार कंचनजंघा की चढ़ाई कर सके। कंचनजंघा दुनिया का तीसरा सबसे ऊंचा पर्वत है और भारत का पहला सबसे ऊंचा पर्वत है। समुद्र तल से कंचनजंघा पर्वत की ऊंचाई 8586 मीटर है। यह सिक्किम के उत्तर पश्चिम भाग में नेपाल की सीमा पर स्थित है। यह दार्जिलिंग से 74 की।मी। उत्तर-पश्चिमोत्तर में स्थित है।

पेशेवर पर्वतारोहियों का कहना है कि यह साहसिक पर्वतारोहियों के लिए एक लोकप्रिय गंतव्य है। 1899 में अन्वेषणकर्ता-पर्वतारोही डगलस फ्रेशफ़ील्ड ने इस पर्वत की परिक्रमा की। 1905 में एक एंग्लो-स्विस दल ने प्रस्तावित यालुंग घाटी मार्ग से जाने का प्रयास किया और इस अभियान में हिंसखलन होने से दल के चार सदस्यों की मृत्यु हो गयी। बाद में पर्वतारोहियों ने इस पर्वत समूह के अन्य हिस्सों की खोज की। 1929 और 1931 में पोल बोएर के नेतृत्व में एक बाबेरियाई अभियान दल ने जेमु की ओर से इसपर चढ़ाई का असफल प्रयास किया। 1930 में गुंटर वो डीहरेन फर्थ ने कंचनजंघा हिमनद की ओर से चढ़ने की कोशिश की।  यद्यपि इसकी चढ़ाई कभी भी आसान नहीं है। इस पर्वत को असमान्य रूप से खतरनाक और कठिन पर्वत का नाम दे दिया गया है। कंचनजंघा बहादुर दिल पर्वतारोहियों को आकर्षित करता है।

1954 तक इस पर चढ़ने का कोई प्रयास नहीं किया गया था। फिर नेपाल स्थित यालुंग की ओर से इस पर ध्यान केन्द्रित किया गया। 1951,1953 और 1954 में गिलमोर लीवाइस की यालुंग यात्राओं के फलस्वरूप 1955 में रॉयल ज्योग्राफ़िकल सोसायटी और एलपाईं क्लब (लंदन) के तत्वावधान में चार्ल्स इवान के नेतृत्व में ब्रिटिश अभियान दल ने इस पर चढ़ने का प्रयास किया और वे सिक्किम के लोगों के धार्मिक विश्वासों और इच्छाओं का आदर करते हुये मुख्य शिखर से कुछ कदम की दूरी पर ही रुक गए। कंचनजंघा खूबसूरत वादियों में स्थित है जो पर्वतारोहियों का दिल जीतने का दम रखती हैं। कंचनजंघा पार्क यूनेस्को की वर्ल्ड हैरिटेज की लिस्ट में शामिल है। सिक्किम स्थित कंचनजंघा नेशनल पार्क सबसे बड़ा राष्ट्रीय उद्यान है। सिक्किम के उत्तरी जिले में 850 वर्ग किमी क्षेत्र में फैला है। पर्वतारोहियों ने इस पर्वत समूह के अन्य हिस्सों की खोज की है। यहां कुदरत ने बेतहाशा खूबसूरती से इसे सरोबार किया है। जो एक अनुपम दृश्य प्रदान करती है।

याद रखने वाली चीज़ें:
• कंचनजंघा नेपाली, सिक्किमी या यहां तक कि दाजिलिंग के स्थानीय लोगों के लिए एक पवित्र पर्वत है,इसलिए पहाड़ पर चढ़ने की अनुमति भारतीय और नेपाली दोनों सरकारों द्वारा अक्सर नहीं दी जाती है। पहाड़ पर अभी भी बहुत अधिक खोज नहीं की गई है। इसके प्राचीन सौंदर्य को संरक्षित करने वाले कई बिंदु यहां अभी बचे हुए हैं जिनकी खोज होनी बाकी है।
• कंचनजंघा अभियान में 45-48 दिन या उससे अधिक समय की आवश्यकता होती है। कंचनजंघा की चढ़ाई अन्य पर्वतों पर चढ़ने से बहुत कठिन है। इस पर चढ़ाई करने के लिए अत्यधिक विशेषज्ञता पेशेवर पर्वतारोहियों की जरूरत होती है।
• अधिकांश अभियान बीरतनगर से शुरू होते है जो नेपाल से 4500 मीटर की ऊंचाई पर आधार शिविर रखते हैं।
• तापलेजंग से ट्रेक विशेष रूप से हिमस्खलन प्रवण चट्टानी इलाकों से भरा हुआ है, जिसमें कुछ सबसे चरम मौसम की स्थिति में आगे बढ़ने वाले रास्ते में बाधा डालती है। दुनिया के तीसरे सबसे ऊंचे पर्वत पर चढ़ने का सबसे अच्छा समय वसंत (मार्च से मई) और शरद ऋतु (सितंबर से नवंबर) के महीने का होता है।

राठोंग

भारत में पर्वतारोहण के स्थल

यदि कंचनजंघा कुछ पेशेवर पर्वतारोहियों के बीच चढ़ने के लिए कुछ हद तक प्रतिबंधित है, तो पूर्वी भारत में कई अन्य जगहें हैं जो निश्चित रूप से उत्साही लोगों के लिए रोमांच की प्यास को तृप्त करने का काम करती है। रातोग 6678 मीटर की सुंदर चोटी है जो मुख्य रूप से बर्फीले ग्लेशियर के लिए जानी जाती है। यह सिक्किम राज्य के पश्चिमी हिस्से में स्थित है। यह भारत और नेपाल की सीमा पर स्थित है। रातोंग शिखर पर पहली चढ़ाई भारतीय सेना द्वारा और दो भारतीय नागरिकों द्वारा 1963 में भारतीय प्री-एवरेस्ट चढ़ाई टीम की पहल में की गई थी। डोगंरी से होने वाली याक सफारी, उत्तर व पश्चिम सिक्किम में माउंटेन बाइकिंग और युनथांग व जोरथांग में हैंग पैराग्लाइडिंग सिक्किम में रोमांच तलाशने वालों के लिए अन्य आकर्षण हैं। एक बात और, सिक्किम में हेलीकॉप्टर सेवा खाली बागडोगरा से लाने-ले जाने के लिए ही नहीं है बल्कि वह कंचनजंघा समेत हिमालय के पर्वतों का आकाश से विहंगम दृश्य भी कराती है।

याद रखने वाली चीज़ें:
• इस क्षेत्र पर ग्लोबल वार्मिंग का प्रत्यक्ष प्रभाव है किन्तु बढ़ती गर्मी ने पूरे क्षेत्र की भौगोलिक विशेषता को बदल दिया है।
• तब से रातोंग अधिक जोखिम भरा क्षेत्र हो गया है। इस घटना ने हाल ही में कई पर्वतारोहण पहलों को प्रभावित किया है।
• अधिकांश अभियान दार्जिलिंग स्थित हिमालय पर्वतारोहण संस्थान द्वारा आयोजित किए जाते हैं और मुख्य रूप से उनके स्थायी आधार से संचालित होते हैं जो सिक्किम में चौरीकियन घाटी में आते हैं।
• रातोंग पेशेवर और निष्पक्ष पर्वतारोही दोनों के लिए मोहक चढ़ाई प्रदान करता है।
• मार्च से मई और फिर अक्टूबर से दिसंबर के बीच पेमायांग्शे से रालंग तक मोनेस्टिक ट्रैक होता है।

भारत में ट्रेकिंग और रॉक क्लाइंबिंग

भारत में ट्रेकिंग और रॉक क्लाइंबिंग

भारत में अच्छी तरह से संपन्न और विविध स्थलाकृतिक सुविधाओं का एकीकरण है, जिनमें से कुछ उच्चतम चोटियों, सबसे अच्छे ट्रेकिंग ट्रेल्स, घने जंगल और जलाशय हैं। यह वास्तव में हमारे देश को साहसिक पर्यटन के लिए एक  स्थान बनाता है। हालांकि हम सभी की भारतीय छुट्टी के लिए अपनी-अपनी प्राथमिकताएं हैं, लेकिन आप में से साहसिक यात्रियों के लिए, भारत एक आश्चर्यजनक जगह है। तनाव दूर करने के लिए व्यायाम हमेशा से सबसे बेहतरीन उपाय रहा है। लेकिन ट्रेकिंग के जरिए रोमांच और व्यायाम इसे नई ऊंचाई देता है। इस शब्द से घबराइए मत; ट्रेकिंग सभी उम्र के लोगों के लिए एक बेहतरीन अनुभव है! भारत में रॉक क्लाइंबिंग के लिए कई जगहें हैं। उत्तरी भारत इसके लिए अधिकतम विकल्प प्रदान करता है लेकिन भारत के अन्य हिस्सों में भी चढ़ाई के लिए कई जगहें उपलब्ध हैं।

उत्तर भारत में ट्रेकिंग

उत्तरी भारत में पहाड़ियों की अधिकतम संख्य होने के कारण पेशेवर और शौकिया पर्यटकों के लिए रॉक क्लाइंबिंग के लिए कई सुविधाएं उपलब्ध हैं। प्रकृति के बीच आरामदायक और सुखद रोमांच के लिए हिमाचल प्रदेश और उत्तरांचल सूची में सबसे ऊपर हैं। यहां के ट्रेक सबसे लोकप्रिय ट्रेक में से एक हैं, हालांकि ये सब फूलों की घाटी के बीच हैं, जो एक प्रसिद्ध विश्व धरोहर स्थल है। ये ट्रैक घनी पहाड़ियों, अल्पाइन के फूलों से घिरे हैं और हिम तेंदुए जैसी दुर्लभ प्रजातियों का निवास भी है! इस दौरान, रोमांच के लिए उत्साहित लोग जम्मू-कश्मीर के जांस्कर में जमी नदी के बीच प्रसिद्ध चादर ट्रैक भी जा सकते हैं। यदि आप लैंड ऑफ थंडर ड्रैगन को देखने चाहते हैं, तो भव्य ड्रक पाथ ट्रैक के लिए अपने बैग पैक करें। यह भूटान को सही ढंग से समझने का सबसे बेहतरीन तरीका है, यह ट्रैक काफी आसान हैं! जंगल, ऊंची चोटी और हरे-भरे पड़ों के बीच प्रकृति का आनंद लें सकते हैं।
हिमालयी चट्टान पर्वतारोही के बीच सबसे लोकप्रिय हैं। इसलिए, हिमाचल प्रदेश राज्य में मनाली, कुफरी, भरमौर, धर्मशाला, नारकंद और जिस्पा में कई चट्टानी चढ़ाई वाले क्षेत्र हैं जो शायद इस तरह के सबसे कठिन क्षेत्र हैं।

देश की राजधानी दिल्ली में भी कई ट्रेकिंग के स्थल हैं। दिल्ली में लाडो सराए, धौज (मुख्य शहर के बाहरी भाग) नामक स्थान पर हैं। बांध दामा झील भारत के कुछ सबसे प्रसिद्ध चट्टानों पर चढ़ने वाले स्थलों में से एक हैं। उत्तरांचल राज्य के गढ़वाल हिमालयी क्षेत्रों में गंगोत्री एक और प्राकृतिक चट्टानी चढ़ाई स्थल है जो कठिनाइयों और जोखिमों से भरा है। लेकिन साहस का हिस्सा होने का जोखिम वास्तव में उत्साही लोगों को इसके प्रति आकर्षित करता है।

पूर्वी भारत में ट्रेकिंग

भारत के पूर्वी क्षेत्रों में भी ट्रेकिंग के लिए कई स्थान है। दार्जिलिंग, पश्चिम बंगाल में स्थित हिमालय पर्वतारोहण संस्थान हैं। दार्जलिंग और सिक्किम समेत कई क्षेत्र बड़ी चट्टान चढ़ाई यात्रा प्रदान करते है। बंगाल के उत्तरी हिस्से के अलावा, चट्टानी चढ़ाई चढ़ने के लिए पर्वतारोहियों के लिए कई अन्य स्थान हैं। पुरुलिया, सुसुनिया, जय चंडी, मथाबुरा इत्यादि। यह स्थान विशेषज्ञ और नौसिखिया चट्टानी पर्वतारोही के बीच बहुत लोकप्रिय हैं क्योंकि ये क्षेत्र प्राकृतिक चट्टानों और पहाड़ियों से संपूर्ण हैं जहां चट्टानी चढ़ाई का लुत्फ उठाया जा सकता है।

सिक्किम में ट्रेकिंग

सिक्किम सच्चे ट्रेकिंग उत्साही लोगों के लिए कुछ बेहतरीन स्थानों की पेशकश करता है। पूर्वी भारत के इस पहाड़ी राज्य के सबसे अच्छे ट्रेकिंग गंतव्यों को नीचे दिया गया है:

1. गोचा ला ट्रेक

भारत में ट्रेकिंग के स्थल

गोचा ला ट्रेक निस्संदेह सिक्किम में सबसे प्रसिद्ध ट्रेकिंग गंतव्य है। यह ट्रेक कचंनजंघा पर्वत का सबसे शानदार दृश्य पेश करता है। गोचा ला ट्रेक एक और लोकप्रिय ट्रेक, ज़ोज़री ट्रेक का विस्तारित संस्करण है। ज़ोज़री घास के माध्यम से अद्भुत मार्ग इस क्षेत्र में हिमालयी सीमा की असीमित सुंदरता को दर्शाते हैं। यहां की चढ़ाई को खत्म होने में लगभग 8-9 दिन लगते हैं।

2. ज़ोंगरी ट्रेक

भारत में ट्रेंकिंग के स्थल

युकसोम ज़ोंगरी ट्रेक सिक्किम राज्य में दूसरी सबसे लोकप्रिय उच्च ऊंचाई लघु ट्रेकिंग गंतव्य है। यह ट्रेक वास्तव में गोचा ला के अन्य प्रसिद्ध बिंदु की ओर जाता है और इसे लंबी यात्रा का छोटा संस्करण माना जाता है। ज़ोंगरी ट्रेक युक्सम से शुरु होती है और इस ट्रेक को खत्म होने में लगभग चार से पांच दिन का समय लग जाता है।

सांस रोकने वाले पंडिम और कंचनजंघा के लुभावनी दृश्य पर्वतारोहियों के लिए बिल्कुल सटीक है। एक बार फेडांग पहुंचने के बाद यह रास्था और खतरनाक हो जाता है। यहां के ट्रेकिंग की ऊंचाई 4020 मीटर है और कुछ अपरिहार्य मौसम परिस्थितियों के कारण यात्रा में पांच से नौ दिन लगते हैं। ज़ोज़री में यात्रा करने का सबसे अच्छा समय मार्च से जून तक और अगस्त से नवंबर तक का होता है।

3. उत्तर सिक्किम उच्च ऊंचाई ट्रेक

भारत में ट्रेंकिग के स्थल

सिक्किम में सबसे अच्छी और सबसे तीव्र ट्रेकिंग यात्रा उत्तरी सिक्किम हाई अल्टीड्यूड(उच्च-उंचाई) ट्रेक है जिसे अत्यधिक प्रशिक्षित पेशेवर पर्वतारोहि ही करते हैं। उन्हें भी यहां ट्रेकिंग करने के लिए सख्त सलाह दी जाती है। क्योंकि यह एक पेशेवर पर्वतारोहियों की जगह है। जिसे पेशेवर विशेषज्ञता की आवश्यकता होती है। ट्रेकिंग ट्रेल की औसत ऊंचाई लगभग 4340 मीटर है और मौसम परिस्थितियों में सामान्य रहने पर आम तौर पर 15-17 दिनों का समय लगता हैं। मई से नवंबर का महीना इस यात्रा के लिए सबसे अच्छा समय माना जाता है।

4. युकसम गोचा ला ट्रेक

भारत में ट्रेंकिग के स्थल

उत्तरी सिक्किम का एक और साहसिक ट्रेकिंग गंतव्यों  में से एक युकसम गोचा ला ट्रेक है। थोलंग ट्रेक एक बेहद लोकप्रिय ट्रेकिंग स्पॉट है जो बागडोरा क्षेत्र से शुरू होता है और लिंघे में समाप्त होता है। औसतन 2400 मीटर की ऊंचाई  वाला यह खूबसूरत निशान ग्रीनरीज़ से भरी तेजस्वी घाटी के बीच घिरा हुआ क्षेत्र है। यह चमकदार रिंग पी ची के साथ है। थोलगं ट्रेक कवर करने के लिए लगभग नौ दिन का समय लगता हैं।

5. वर्से ट्रेक

भारत में ट्रेंकिग के स्थल

सिक्किम में लोकप्रिय मुलायम ट्रेक में से एक वर्सारी ट्रेक है जो भारत और नेपाल की सीमा पर स्थित है। यह आकर्षक रोडोडेंड्रॉन के साथ एक खूबसूरत पहाड़ी इलाके को प्रदान करता है। इस ट्रेकिंग यात्रा के दिलचस्प तथ्यों में से एक शीर्ष पर जाने के लिए कैम्पिंग सुविधा की उपलब्धता है। प्रकृति प्रेमियों के पास पक्षियों की एक अच्छी श्रृंखला के लिए देखने का भी यहां विकल्प होता है। इस मार्ग की औसत ऊंचाई 3000 मीटर से ऊपर है और ट्रेक को पूरा होने में नौ से दस दिनों का समय लगता हैं। वर्से में ट्रेक के लिए जाने का सबसे अच्छा समय दिसंबर से मार्च तक है।

6. सिक्किम- दार्जिलिंग- कंचनजंघा ट्रेक

भारत में ट्रंकिंग के स्थल

सिक्किम- दार्जिलिंग- कंचनजंघा ट्रेक लोकप्रिय उच्च ऊंचाई लंबी ट्रेकिंग यात्राओं में से एक है। इसमें पूर्वी हिमालयी सीमा का लंबा निशान शामिल है। यह ट्रेक गोचाला और सांडकफू ट्रेक को  एक के रूप में प्रदान करता है। भाग्यशाली पर्वतारोही को ही सबसे उंचे पर्वत को देखने का दुर्लभ मौका मिलता है। सैंडकफू से एक ही फ्रेम में एवरेस्ट और कंचनजंघा चोटी एक साथ दिखाई देती है। यहां मुख्य ट्रेकिंग दार्जिलिंग से शुरू होती। इस पूरी यात्रा को पूरा करने के लिए आमतौर पर 14-15 दिनों का समय लगता है।

दक्षिण भारत में ट्रेकिंग

भारत के दक्षिणी हिस्से में पश्चिमी घाटों और दक्कन के पठारों को एक अलग पारिस्थितिकी और भौगोलिक सुविधाओं के रुप में जाना जाता है। जो इन भागों को परिभाषित करते हैं। पहाड़ों और अपेक्षाकृत फ्लैट हाइलैंड्स के साथ उपहार, दक्षिण भारत में ट्रेकिंग और रॉक क्लाइंबिंग के लिए कई अद्भुत स्थान हैं। साहसिक पर्यटन ने यहां कई अज्ञात स्थानों को खोजने में सक्षम बनाया है। जिससे ट्रेकिंग का आकर्षण उत्तर से दक्षिण की तरफ भी आया है। दक्षिण भारत में कई स्थान है जो पहाड़ो और चट्टानों की चढ़ाई के लिए रोमांच पसंद करने वाले पर्यटकों के लिए आकर्षण का केन्द्र हैं।

कर्नाटक में ट्रेकिंग

कर्नाटक में पेशेवर और शौकिया ट्रेकिंग, हाइकिंग और रॉक क्लाइंबिंग दोनों के लिए उपयुक्त स्थानों की अधिकतम संख्या है। दक्षिणी हिस्से में ज्यादातर चट्टानी चढ़ाई स्थलों के मामले में राज्य की राजधानी बैंगलोर ही एक स्थान है। जहां ट्रेंकिग की जा सकती है। तराहल्ली, सावनदुर्ग, रामानगर चढ़ाई स्थानों के रूप में बहुत लोकप्रिय हैं। वहीं  शहर के चारों ओर चढ़ाई करने के लिए कई अन्य स्थान भी मौजूद है।

नीचे बैंगलोर और उसके आसपास ट्रेकिंग के लिए उपलब्ध क्षेत्रों की सूची है

1. रामादेवारा बेटा ट्रेक

दक्षिण भारत में ट्रेंकिग के स्थल

मुख्य शहर से लगभग 60 किमी दूर, रामादेवारा बेटा रामानगर टाउन के पास बैंगलोर के आसपास के सबसे लोकप्रिय ट्रेकिंग स्थलों में से एक है। यहां पर असमान पहाड़ी क्षेत्र समुद्र तल से 3066 फीट ऊपर स्थित है और उत्साही लोगों को बड़ी ट्रेकिंग और रॉक क्लाइंबिंग संभावनाएं प्रदान करतें हैं। यहां बड़ी संख्या में ट्रेंकिग करने वाले पर्यटक आते हैं।

2. कुंती बेटा ट्रेक  

दक्षिण भारत में ट्रेंकिग के स्थल

भारत के पूर्वी क्षेत्रों के अलावा दक्षिण में भी पर्वतारोहियों के लिए कई ट्रेकिंग के स्थल है। बैंगलोर के पास एक और लोकप्रिय ट्रेकिंग गंतव्य कुंती बेटा है। कुंती बेटा शहर से 123 किमी दूर स्थित है और पर्वतारोहियों के लिए ट्रेकिंग और चढ़ाई के अवसरों से भरा एक स्थल प्रदान करता है। कुंती बेटा समुद्र तल से 950 मीटर ऊपर स्थित है। इस जगह पर ट्रेकिंग कुछ हद तक मुश्किल है और विशेषज्ञ अनुभव की आवश्यकता है। यहां ट्रेकिंग की व्यवस्था करने का सबसे अच्छा समय नवंबर से फरवरी तक का होता है। यह पांडवपुरा नामक शहर में स्थित है, जिसका नाम महाभारत के महान भारतीय महाकाव्य के पांडवों के नाम पर रखा गया है और माना जाता है कि पांडवों ने महाभारत के समय यहां का दौरा किया था।

3. सावनदुर्ग ट्रेक

दक्षिण भारत में ट्रेंकिग के स्थल

बैंगलोर से लगभग 60 किमी दूर, सावनदुर्ग पर्वत श्रृंखला ट्रेकिंग के लिए एक महान जगह है। बिलिगुड्डा और करीगुड्डा के शिखर कर्नाटक राज्य में सबसे प्रसिद्ध और लोकप्रिय ट्रेकिंग स्पॉट्स में से हैं। पूरी श्रृंखला समुद्र तल से 1226 मीटर ऊपर है और पहाड़ी की चोटी विशेष रूप से चढ़ाई और ट्रेकिंग के लिए आदर्श स्थान हैं। सावनदुर्ग पहाड़ी एशिया में सबसे आकर्षक और उच्चतम मोनोलिथ में से एक है।  यहां की पहाड़ी रेंज जंगल से ढकी हुई है और सही मार्गों के साथ आगे बढ़ने के लिए विशेषज्ञ मार्गदर्शन की आवश्यकता पड़ती है ताकि रास्ता ना भठक जाएं। इस जगह पर चढ़ाई और ट्रेकिंग के लिए सबसे अच्छा समय नवंबर से फरवरी तक का है।

4. रामानगर ट्रेक


दक्षिण भारत में ट्रेंकिग के स्थल

शोले फिल्म का आपने वो डायलॉग तो सुना ही होगा कि ‘कितने आदमी थे’। ये शब्द सुनते ही आपको आपको गांव के ऊंचे-ऊंचे पहाड़, सूखी धरती और रामगढ़ का गब्बर याद आ जाता है। जी हां यह जगह असल में बैंगलोर के पास स्थित रामनगर में है। शोले का प्रसिद् रामगढ़ रामानगर नामक बैंगलोर शहर के पास एक सुंदर पहाड़ी जगह है। जो बैंगलोर से लगभग 50 किमी दूर स्थि है।  रामानगर के पास रस्सी के द्वारा चढ़ाई करना, रैपलिंग, टेर्किंग के लिए कई स्थान उपलब्ध है। यहां इन सुविधाओं के लिए छः किलोमीटर का ट्रेकिंग पथ है। यह इलाका शुद्ध ग्रेनाइट से बना है। यहां ढेर ढलानों के लिए एक अच्छी चुनौती है  जो ट्रेकर्स और पर्वतारोहियों को खासी पसंद आती है। कर्नाटक राज्य का रामानगर सबसे ज्यादा पर्यटकों और व्यस्तम वाले ट्रेकिंग स्पॉट्स में से एक है। यहां कई अन्य स्थानों की तरह ट्रेकिंग के लिए रामानगर यात्रा करने का सबसे अच्छा समय नवंबर से फरवरी तक का महीना होता है।

5. मेकेदातु ट्रेक

बैंगलोर शहर से 98 किमी दूर, मेकेदातु चढ़ाई और ट्रेकिंग के लिए बहुत अच्छा विकल्प है। यह श्रीरंगपट्टन में मैसूर रोड पर स्थित है। करिंगट्टा पहाड़ी (समुद्र तल से 2697 फीट) की दूरी पर स्थित है। यहां का ट्रेकिंग पॉइंट कावेरी नदी के पास है जो अपने आप में आकर्षण का केन्द्र है।

6. एंथर्गेंज ट्रेक

बैंगलोर के आसपास एक और लोकप्रिय ट्रेकिंग गंतव्य एंथर्गेंज है। यह शहर से 68 किमी दूर स्थित है। एंथर्गेंज (समुद्र तल से 1226 मीटर ऊपर) है। यहां  ज्वालामुखिय चट्टानों का गठन होता है और आमतौर पर ट्रेकिंग और लंबी पैदल यात्रा के लिए एक आदर्श स्थान होता है। यहां की गुफाओं और पहाड़ियों की श्रृंखला आनंददायक ट्रेकिंग सत्र के दौरान पर्यटकों को प्राचीन समय में ले जाती है। एंथर्गेंज भद्दा ट्रेकर्स के बीच भी लोकप्रिय है क्योंकि इस जगह को न्यूनतम विशेषज्ञता की आवश्यकता है। यहां ट्रेकिंग, चढ़ाई और लंबी पैदल यात्रा के लिए आदर्श समय नवंबर से फरवरी तक है।

7. स्कंदगिरी ट्रेक

बैंगलोर शहर से 70 किमी दूर एक और खूबसूरत जगह है जो साहसिक पर्यटकों को अपने खुली बांहों से लुभाती है इस जगह को स्कंदगिरी कहा जाता है। स्कंदगिरी जिसे कालवरा दुर्गा भी कहा जाता है, एक पहाड़ी की चोटी है जो घने घने जंगलों से ढकी हुई है और नंदी पहाड़ियों को नजरअंदाज करती है। यह बैंगलोर के बाहर स्थित सबसे लोकप्रिय ट्रेकिंग स्थलों में से एक है। पर्यटक टिपू सुल्तान के किले की दीवारों के माध्यम से आठ किलोमीटर लंबी यात्रा का पालन करते हैं। पहाड़ियों के शीर्ष तक पहुंचने के लिए कोई विशेष प्रशिक्षण की आवश्यकता नहीं है, लेकिन पहाड़ी ढलानों के माध्यम से घूमते हुए सतर्क आंखें निश्चित रूप से अप्रत्याशित दुर्घटनाओं को चकित करने में मदद करती है।

8. मधुगिरि

एशिया में दूसरा सबसे बड़ा मोनोलिथ, मधुगिरी है यह 3030 फीट की शानदार ऊंचाई वाला एक पहाड़ी स्थान है। मधुगिरि बैंगलोर शहर से 100 किमी दूर स्थित एक लोकप्रिय ट्रेकिंग जगह है। यह चोटी की ओर से एक चुनौतीपूर्ण सुखद ट्रेकिंग ट्रेल प्रदान करता है। इसकी चोटी पर गोपालकृष्ण मंदिर के खंडहर हैं। आसपास के क्षेत्र चोटी से आश्चर्यचकित लगते हैं। ट्रेक की कुल लंबाई लगभग तीन किलोमीटर है यह प्रकृति से जुड़ी हुई है।

9. अंतारा गैंज

बैंगलोर से 65 किमी दूर स्थित, अंतारा गैंज कोलार जिले में एक पहाड़ है जो इसके चारों ओर कई अच्छे ट्रेकिंग स्पॉट प्रदान करता है। तीन किलोमीटर की लंबाई के साथ सीमा रॉक पर्वतारोहियों के लिए भी विकल्प प्रदान करता है। आसपास के जंगल ट्रेकिंगको  थोड़ा और चुनौतीपूर्ण बनाते हैं।

10. कनकपुरा ट्रेक

यह बहुत खूबसूरत कनकपुरा पहाड़ी श्रृंखला बैंगलोर के नजदीक कई लोकप्रिय ट्रेकिंग स्थलों की पेशकश करती है। कनकपुरा शहर से लगभग 55 किलोमीटर दूर स्थित है और समुद्र तल से 2090 फीट उपर  आर्कवथी नदी के तट पर स्थित है। इसकी सीमा की सुंदर ट्रेकिंग को और अधिक सुखद बनाती है। यह जगह सभी प्रकार के ट्रेकर विशेष रूप से युवाओं के लिए आदर्श है। ट्रेकिंग ट्रेल की कुल लंबाई चार किलोमीटर है।

11. शिवगंगा

दक्षिण भारत में ट्रेकिंग के स्थल

शिवागंगा के आकार के समान, शिवगंगा पहाड़ी को बैंगलोर शहर के पास सबसे अधिक बार जाने वाले ट्रेकिंग स्थानों में से एक माना जाता है। शहर से 54 किमी दूर स्थित शिवगंगा शिखर समुद्र तल से 1350 मीटर ऊपर है। स्थानीय स्तर पर यह गंगा नामक बहने वाली धारा से घिरा हुआ है। यह जगह ट्रेकर्स और चट्टानी पर्वतारोही के लिए एक आदर्श स्थान है जो चोटी की ओर कई चुनौतियों की पेशकश करता है। यहां की ढलानें खड़ी हैं और शीर्ष पर पहुंचने में कठिन यात्रा करनी होती है। लेकिन पहाड़ी रेंज की प्राकृतिक सुंदरता सभी कठिनाइयों को मिटा देती हैं। इसकी कुल लंबाई चार किलोमीटर है। नवंबर से फरवरी का महीना ट्रेकिंग और चढ़ाई के लिए यहां सबसे उपयुक्त माना जाता है।

कर्नाटक में अन्य लोकप्रिय ट्रेकिंग और क्लाइंबिंग गंतव्यों हैं:

1. ताडियांडमोल, कूर्ग

दक्षिण भारत में ट्रेंकिग के स्थल

कूर्ग कर्नाटक राज्य की पहाड़ी रानी है जो कई खूबसूरत और चुनौतीपूर्ण ट्रेकिंग स्थलों की पेशकश करती है। तंदियांदमोल कूर्ग में सबसे अद्भुत ट्रेकिंग स्थानों में से एक है जो बैंगलोर शहर से 250 किमी दूर पर स्थित है। यह कोडागु में सबसे ऊंची चोटी है और ट्रेकरों के लिए आरामदायक मौसम के साथ एक सुंदर और शांत माहौल प्रदान करती है। सर्दियों के मौसम के दौरान इसकी सीमा अधिक भव्य हो जाती है। सुन्दर हरियाली, बहने वाली धाराएं, और आरामदायक हवा- ये सभी आठ किलोमीटर की ट्रेकिंग ट्रेक को एक महान यात्रा से संपूर्ण बनाती है।

2. कुमार पाराता, कूर्ग

दक्षिण भारत में ट्रेकिंग के स्थल

समुद्र तल से 1712 मीटर की दूरी पर स्थित, कुमर पर्वत सौंदर्य और चुनौतियों से भरे एक महान ट्रेकिंग गंतव्य को प्रदान करता है। शारीरिक रूप से सख्त ट्रेकरों के लिए यह कर्नाटक राज्य की सबसे खूबसूरत जगहों में से एक में ले जाने का अनुभव प्रदान करती है। कुमाड़ा पर्वत राज्य की तीसरी सबसे ऊंची चोटी है। 16 किमी ट्रेकिंग ट्रेक में सुन्दर जंगलों, संकीर्ण झरने, और असमान छूती चट्टानी पथ शामिल हैं। कुमार पाराता में ट्रेकिंग को पूरा करने के लिए दो-तीन दिन की जरूरत होती है और इसके लिए पेशेवर प्रशिक्षण की आवश्यकता है।

3. भिमेश्वरी

दक्षिण भारत के ट्रेकिंग स्थल

कर्नाटक साहसी और रोमांचकारी पर्यटकों को तलाशने के लिए अद्भुत विकल्प से भरा राज्य है। यहां के कई महान ट्रेकिंग स्थलों में एक भिमेश्वरी है यह बहुत लोकप्रिय स्थान है। भिमेश्वरी रिवे कावेरी और तीन खूबसूरत झरनो के बीच स्थित है। जिसके कारण इसकी खूबसरती इसे और अद्भुद बना देती है। भिमेश्वरी में ट्रेकिंग एक आसान विकल्प है और किसी भी उत्साही पर्वतारोही को ही यह जगह आसानी से पंसद आ सकती है। जो भी आरामदायक मार्ग से घूमकर परिपक्व गोद में दिमागी शरीर को फिर से जीवंत करने चाहते है उन्हें यहां अवश्य ट्रेंकिग का लुत्फ उठाना चाहिए। भिमेश्वरी के पास पांच किलोमीटर का ट्रेकिंग-पथ है और कैंपिंग, कयाकिंग और नदी राफ्टिंग के लिए भी यह एक अच्छी जगह है।

4. सिद्धारा बेटा

दक्षिण भारत के ट्रेंकिंग स्थल

मुख्य रूप से एक पक्षियों को देखने की प्रसिद्ध जगह सिद्धारा बेटा कर्नाटक के तुम्कर में एक ट्रेकिंग पॉइंट के रूप में भी लोकप्रिय है। यह चट्टानी इलाके हरियाली से ढके हुएं है। यहां औषधीय मूल्य वाले कई पौधे उपलब्ध हैं। भव्य दृश्यों और शीर्ष पर जाने के लिए एक खूबसूरत फव्वारा ट्रेकर्स को मज़ेदार कर देता है। यहां पर ट्रेकिंग करना बहुत दिलचस्प हो जाता है क्योंकि प्राकृतिक गुफाएं और भगवान सिद्धेश्वर के एक प्राचीन मंदिर में प्रकृति का अद्बुद नाजारा देखने को मिलता है। यह मंदिर हर साल हजारों भक्तों को अपनी ओर आकर्षित करता है। चार किमी लंबा ट्रेक किसी भी ट्रेकिंग उत्साही को प्रसन्न कर सकता है। यह स्थान बैंगलोर शहर से लगभग 100 किमी की दूरी पर स्थित है।

5. बाबा बुडांगिरी

बाबा बुडांगिरी समुद्र तल से 6217 फीट पर स्थित एक महान ट्रेकिंग गंतव्य है। पहाड़ी की चोटी जो पश्चिमी घाटों की दत्तागिरी रेंज का हिस्सा है। यह एक खूबसूरत पहाड़ी निशान के माध्यम से हिरणों और आश्चर्यजनक झरने के बीच आसान ट्रेकिंग स्थल प्रदान करती है। मणिक्यधारा देखने में एक भव्य माहौल लगता है। इस ट्रेक की कुल लंबाई 10 किलोमीटर है और यह एक अद्भुत यात्रा प्रदान करता है।

6. मुलयांगिरी, चिकमंगलूर

दक्षिण भारत में ट्रेकिंग स्थल

कर्नाटक राज्य में एक और अद्भुत ट्रेकिंग स्पॉट चिकमगलूर की मुलयांगिरी है। मुलयांगिरी पश्चिमी घाटों की नीलगिरी सीमा का सर्वोच्च शिखर है। यह ट्रेकिंग, चढ़ाई और लंबी पैदल यात्रा का एक बड़ा अनुभव प्रदान करता है। नवंबर से फरवरी के महीनों के दौरान मौसम वास्तव में अद्भुत हो जाता है जिसके कारण इस  समय ट्रेकिंग बहुत उपयुक्त होती है। चोटी तक पहुंचने में कम से कम दो दिन का समय लगता हैं, जिनमें से कुल सात किलोमीटर को मध्यम ट्रेकिंग के दस घंटे के साथ पूरा किया जा सकता है। पर्यटक कई प्राकृतिक गुफाओं और पथ पर नंदी की एक सुंदर प्रतिमा का भी आनंद ले सकते हैं।

7. नरसिम्हा पर्वत

दक्षिण भारत में ट्रेकिंग स्थल

नरसिम्हा पर्वत बैंगलोर से 350 किलोमीटर दूर स्थित है और ट्रेकिंग उत्साही लोगों के लिए एक और लोकप्रिय गंतव्य है। यह चोटी पश्चिमी घाटों की अगुम्बे रेंज की सर्वोच्च शिखर पर है। पूरे निशान को कवर करने के लिए  दो दिन की जरूरत होती है। पहाड़ी के शीर्ष तक पहुंचने के लिए लगभग 10 घंटे की मामूली सख्त ट्रेकिंग की आवश्यकता होती है। नरसिम्हा पर्वत का ट्रेकिंग पथ अच्छे हरे जंगलों और नीले असमान,भूरी घासों के साथ घिरा हुआ होता है जो इसे सुंदरता प्रदान करती हैं। पहाड़ी और सूर्य का विंहगम दृश्य इस नजारे को अद्भुद बनाता है।

8. कोडाचद्री

दक्षिण भारत के ट्रेंकिंग स्थल

कोडाचाद्री शिमोगा इलाके में स्थित एक पहाड़ी क्षेत्र है जो घने हरे जंगलों के साथ एक हज़ार मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। यह ट्रेकिंग के लिए एक शानदार स्थल प्रदान करता है। कोडाचद्री एक ट्रेकिंग गंतव्य के रूप में प्रसिद्ध है साथ ही यहां प्रसिद्ध मूकंबिका मंदिर है। इस पहाड़ी का ट्रेकिंग ट्रेल एक कठिन और पेशेवर ट्रेकर के बीच विशेष रूप से लोकप्रिय है। इस लंबे इलाके में वन्यजीव विविधता के साथ-साथ कुछ रमणीय झरने और एक आकर्षक नागा किला भी शामिल है। यदि पर्यटक मानसून ट्रेकिंग के लिए उपयुक्त मार्गदर्शन से संपूर्ण है तो यह जगह उनके लिए बिल्कुल उपयुक्त है।

9. कुद्रमुख

दक्षिण भारत के ट्रेंकिग स्थल

चिकमगलूर कर्नाटक राज्य में कई खूबसूरत ट्रेकिंग की जगह उपलब्ध है। कुद्रमुख हिलटॉप चिकमगलूर में स्थित असाधारण सुंदर पहाड़ी है जो अद्भुत ट्रेकिंग ट्रेल्स प्रदान करती है। चोटी 6214 फीट की विशाल ऊंचाई पर स्थित है। कुद्रमुख चोटी घोड़े के मुंह जैसी दिखती है जिसके कारण इसका नाम बी इसी से मिलता है।  यह इस राज्य में स्थित सबसे खूबसूरत पहाड़ी श्रेणियों में से एक है। हर साल यहां कई ट्रेकिंग पेशेवरों और उत्साही आकर्षित होकर ट्रेंकिंग के लिए यहां आते हैं। इसकी ट्रेकिंग ट्रेल लगभग 20 किलोमीटर लंबी है और प्रकृति से जुड़ी हुई है।

10. कम्पा भूप

भारत में ट्रेकिंग के स्थल

कम्पा भूप प्रकृति प्रेमियों और इतिहास उत्साही दोनों पर्यटकों के लिए महत्वपूर्ण स्थान है। कम्पा भूप लोकप्रिय रूप से कम्पा भूप पथ के रूप में जाना जाता है। यह उत्तरी कर्नाटक के हम्पी में स्थित है। हम्पी के पास विश्वव्यापी मान्यता है क्योंकि हम्पी भारत की सबसे अद्भुत ऐतिहासिक विरासत स्थलों में से एक है। हम्पी में खूबसूरत ट्रेकिंग ट्रेल भी दो किलोमीटर लंबी चट्टानी इलाके प्रदान करते है जो हम्पी बाजार से शुरू होती है और पौराणिक विट्टल मंदिर के पास समाप्त होती है।

इस स्थल में ऐतिहासिक स्थान के विजयनगर साम्राज्य से कई अविश्वसनीय स्मारक और संरचनाएं शामिल हैं। 500 साल पुराने खंडहरों के बीच लगभग 45 मिनट के लिए इस चट्टानी मार्ग के साथ घूमना निश्चित रूप से आगंतुकों के दिमाग पर गंभीर प्रभाव डालता है जो उसे इतिहास से रुबरु कराते हैं। इस ट्रेक में कोई भी प्रमुख चढ़ाई या लंबी पैदल यात्रा शामिल नहीं है; कोई भी दूरी को कवर करने के लिए साइकिल की सवारी ले सकता है। पूरा ट्रेक महान तुंगभद्रा नदी के किनारे पर समानांतर रुप से चलता है।

तमिलनाडु में ट्रेकिंग

भारत के दक्षिण भारतीय राज्यों में सागर और पहाड़ियों दोनों का प्राकृतिक संगम स्थित है। हालांकि कर्नाटक में प्राकृतिक साहसिक स्थानों की अधिकतम संख्या है। लेकिन तमिलनाडु राज्य, आंध्र प्रदेश और केरल में भी रोमांचकारी पर्यटकों के लिए बहुत सी जगह हैं जो उन्हें साहसिक गतिविधियों को करने का स्थल प्रदान करती हैं। तमिलनाडु में ट्रेकिंग के लिए ये कुछ लोकप्रिय गंतव्य हैं:

1. उधगममंडलम (ऊटी)

तमिलनाड़ू के ट्रेकिंग स्थल

नीलगिरी पर्वत अक्सर साहसिक साधकों के लिए स्वर्ग के रूप में माना जाता है। इस पर्वत श्रृंखला में कर्नाटक, केरल और तमिलनाडु के तीन दक्षिणी राज्यों में बिखरे हुए ट्रेकिंग और चढ़ाई वाले स्थानों की बड़ी संख्या है। उधगममंडलम में विभिन्न चुनौतियों के साथ विभिन्न चुनौतीपूर्ण पहाड़ी इलाकों और घने जंगलों के बीच कई ट्रेकिंग मार्ग उपलब्ध कराता है। जो पर्वतारोहियों के लिए आकर्षण का केन्द्र हैं।

2. सिरुवानी झरने

तमिलनाड़ू के ट्रेंकिग स्थल

सिरुवानी या कोवाई कुत्रलम वाटरफॉल(झरना) चेन्नई से 535 किमी दूर और कोयंबटूर रेलवे स्टेशन से लगभग 36 किमी दूर पर स्थित है। यह फसल सिरुवानी हिल्स के हिस्से में है। यहां की पहाड़ी ज्यादातर घने जंगल से ढकी हुई हैं। सिरुवानी बांध और मदवरायपुरम के पार से शुरू होने वाली चार किलोमीटर की ट्रेक  में झरने तक पहुंचने की आवश्यकता होती है। यहां का ट्रेकिंग इलाका एक चुनौतीपूर्ण ट्रेक प्रदान करता है।

3. पेरुमल शिखर

तमिलनाड़ू के ट्रेकिंग स्थल

नीलगिरी रेंज ट्रेकिंग जैसे साहसिक यात्राओं के लिए कुछ बेहतरीन स्थानों की पेशकश करता है। पेरुमल शिखर एक ऐसी जगह है जो तमिलनाडु राज्य के सबसे लोकप्रिय ट्रेकिंग स्थलों में से एक है। पेरुमल शिखर या पेरुमल मलाई शिखर कोडाइनकाल में स्थित है और यह कोयंबटूर शहर से 11 किमी दूरी पर है। इसकी ऊंचाई 2440 मीटर है। पेरुमल शिखर पर ट्रेकिंग चुनौतीपूर्ण है जिसके लिए विशेषज्ञता की आवश्यकता होती है। ट्रेकर में पास के खूबसूरत पन्नाकाडु गांव जाने के लिए समय निकाला जा सकता है।

4. डॉल्फिन की नाक

तमिलनाड़ू के ट्रेंकिग स्थल

डॉल्फिन की नाक तमिलनाडु में सबसे आसान लेकिन लोकप्रिय ट्रेकिंग स्थलों में से एक है। यह कोडाईकनाल में स्थित है। यह हरे जंगल और एक खूबसूरत नदी के किनारे पर एक आठ किमी लंबा ट्रेकिंग ट्रेक प्रदान करती है।

5. थलाययार झरना

तमिलनाड़ू के ट्रेकिंग स्थल

तमिलनाडु में थालययार सबेस प्रसिद्ध झरना है। थलाययार फॉल्स कोडाईकनाल (40 किमी) के पास स्थित है और इसकी ऊंचाई 297 मीटर है। आम तौर पर फॉल्स तक पहुंचने का कोई दूसरा रास्ता नहीं है, लेकिन पर्वत-पैरों से छः किलोमीटर की ट्रेकिंग यात्रा है। ट्रेकिंग को खत्म होने में लगभग दो घंटे लगते हैं। फॉल्स का रास्ता सुंदर है, लेकिन थोड़ा मुश्किल है।

6. इलागिरी हिल्स

तमिलनाड़ू के ट्रेंकिग स्थल

इलागिरी हिल्स ट्रेकिंग उत्साहियों के लिए कुछ दिलचस्प ट्रेकिंग यात्रा प्रदान करते हैं। यह चेन्नई-कोयंबटूर रेल ट्रैक पर जोलारपेत जंक्शन से लगभग 25 किमी दूर स्थित है। इसकी एक सुंदर पहाड़ी और एक शांत झील किसी भी प्रकृति प्रेमी के लिए एक अद्भुत गंतव्य बनाती है। इलागिरी पहाड़ियों से जलगंबरराई जल फॉल्स तक कुछ घंटों की एक आसान यात्रा द्वारा पहुंचा जा सकता है। यह नौसिखिया ट्रेकरों के लिए भी एक सुखद यात्रा प्रदान करती है। 

आंध्र प्रदेश में ट्रेकिंग

भारतीय मिट्टी के दक्षिणी क्षेत्र में स्थित, आंध्र प्रदेश राज्य में साहसिक साधकों को लुभाने के लिए कुछ महान ट्रेकिंग स्थल है। राज्य के कुछ महत्वपूर्ण स्थानों का उल्लेख नीचे दिया गया है:

1. अहोबिलम

आन्ध्र प्रदेश के ट्रेकिंग स्थल

आवास के लिए मुख्य रूप से प्रसिद्ध दो पवित्र मंदिर, अहोबिलम या अहोबलम एक लोकप्रिय ट्रेकिंग स्पॉट भी प्रदान करता है। अहोबिलम आंध्र प्रदेश के कुरनूल जिले में स्थित है। इस पहाड़ी की चोटी की ऊंचाई 327 मीटर है। पौराणिक कथा कहती है कि यह वह स्थान है जहां भगवान विष्णु के नरसिम्हा अवतार ने प्रहलाद को बचाने के लिए हिरण्यकसिपु को मारा था। यहां 16 वीं शताब्दी में मंदिरों का निर्माण किया गया था। यहां हालांकि कई शिलालेख पाए गए थे जो 8 वीं शताब्दी के चालुक्य से संबंधित थे। यह पहाड़ी नल्लामाला के घने जंगल से ढकी हुई है। इन मंदिरों के मुख्य द्वार तक पहुंचने के लिए किसी को भी असमानी चट्टानी ट्रेकिंग पथ पर चलना होगा। इन मंदिरों को लगातार दो दिनों में देखा जा सकतै है। यहां का सबसे अच्छा ट्रेकिंग बेस लोअर अहोबिलम है।

2. कदलिवानम गुफाएं

आन्ध्र प्रदेश के ट्रेकिंग स्थल

कदलिवानम गुफाएं प्राकृतिक गुफाएं हैं जो अक्का महादेवी गुफाओं से 12 किमी दूर और श्रीशैलम से 22 किमी दूर स्थित हैं। महादेवी सेव्स से ट्रेकिंग मार्ग कई पहाड़ियों के माध्यम से कदलिवानम की गुफाओं तक ट्रेकिंग उत्साही लोगों के लिए एक महान भाग निकालता है। प्राकृतिक रॉक आश्रय के तहत विशाल गुफा आसानी से लगभग 500 लोगों को रख सकती है। इस साइट पर कई मानव निर्मित और इस्तेमाल किए गए पत्थर-उपकरण पाए गए हैं जो  पाषाण युग में मानव के अस्तित्व को साबति करते हैं। यहां गुफाओं के बगल में बहने वाली एक खूबसूरत नदी जगह को और अधिक आकर्षक बनाती है। यहां का ट्रेकिंग ट्रेल आसान है। यहां प्राकृतिक स्थान के ऐतिहासिक मूल्य का अनुभव करने की कोशिश कोई भी व्यक्ति कर सकता है।

3. तयडा प्रकृति शिविर

आन्ध्र प्रेदश के ट्रेकिंग स्थल

प्रकृति-प्रेमी और स्वंय की खोज करने वाले पर्यटकों के लिए तयड़ा प्रकृति शिविर एक उपयुक्त स्थान है। जो अराकू से 40 किमी दूर और विज़ाग शहर से 70 किलोमीटर दूर स्थित है। यह छोटा जनजातीय गांव विजाग और अराकू के बीच घूमने वाले पूर्वी घाटों की पहाड़ियों पर स्थित है। प्रकृति कैम जिसे जंगल बेल के नाम से भी जाना जाता है यह ट्रेकिंग, रॉक क्लाइंबिंग और पक्षियों को देखने आदि का विंहगम दृश्य प्रदान करती हैं। प्रकृति शिविर  इस क्षेत्र की जैव विविधता के साथ-साथ आदिवासी जीवनशैली और संस्कृति को जानने का अवसर प्रदान करती  है। पहाड़ी इलाके में घूमना आगंतुकों के लिए एक अलग जीवन का अनुभव हो सकता है। इस पूरी यात्रा में दो दिन का समय लग सकता है़।

4. तालाकोना झरना ट्रेकिंग

आंध्र प्रदेश के ट्रेंकिग स्थल

तालाकोना आंध्र प्रदेश राज्य में सबसे ज्यादा प्रसिद्ध झरने में से एक है जिसकी ऊंचाई 270 फीट है। यह झरना आंध्र प्रदेश के चित्तूर जिले में श्री वेंकटेश्वर राष्ट्रीय उद्यान के अंदर स्थित है। यह तिरुपति से 49 किलोमीटर दूर और बकरपेटा शहर से 23 किमी दूर है। झरने तक पहुंचने के लिए सिद्धाश्वर स्वामी मंदिर से एक विशाल और घने जंगल के साथ चट्टानी इलाके के माध्यम से दो किलोमीटर की यात्रा करने की जरूरत पड़ती है। ट्रेक को पूरा करने में एक घंटे से अधिक का समय लगने की संभावना होती है। तालाकोना झरने में ट्रेक पाने का सबसे अच्छा मौसम नवंबर से जनवरी तक का है।

5. कतिकी झरना

आंध्र प्रदेश के ट्रेकिंग स्थल

एक घने हरे जंगल के माध्यम से एक छोटी लेकिन साहसी ट्रेक और एक संकीर्ण असमान और फिसलन वाले इलाके के साथ आपको प्राकृतिक सौंदर्य का अद्भुद नजारा काटिकी झरने में देखने को मिलेगा जो आपकों एक अलग दुनिया का एहसास कराता है। कातिकी झरना बोरा के प्रसिद्ध चूना पत्थर की गुफाओं के पास अराकू से 38 किमी दूर स्थित है। आंध्र प्रदेश में यह 120 फीट ऊंचाई से गिरता है। यह एक मध्यम ट्रेकिंग प्वाइंट के रूप में क लोकप्रिय गंतव्य है। ट्रेकिंग में लगभग 2-3 घंटे लगते हैं।

भारत में स्कीइंग

दुनिया में ऐसी कई चीजें हैं जिनका नाम सुनते हैं लोग काफी रोमांचित हो जाते हैं। पहाड़ और उनपर पड़े बर्फ देखने का अपना एक अलग हीं मज़ा होता है और अगर आप एडवेंचर खेलों के शौक़ीन हैं तो बर्फबारी में होने वाला स्कीइंग खेल आपके लिए बेहतरीन विकल्प है। स्कीइंग रोमांचकारी लोगों के लिए निश्चित रूप से एक तरह का साहसिक अनुभव है। उत्तरी भारत के सफेद बर्फ से ढके ढलानों ने दुनिया भर से साहसिक पर्यटकों को अपनी और खींचा है। प्रकृति ने हमें ऐसी कई चीजें दी हैं जिनकी खूबसूरती बेमिसाल है। ऊँचे पहाड़ों पर गिरे हुए सफ़ेद बर्फ भी ऐसी ही एक चीज है। सर्दियाँ आते हीं हिमाचल, उत्तराखंड, कश्मीर आदि जैसे पहाड़ी जगहें मानो बर्फ की चादर में सिमट जाते हैं। सर्दियों में बर्फबारी के कारण इन जगहों पर भारी मात्रा में बर्फ देखने को मिलता है। अगर आप भी बर्फबारी में स्कीइंग खेल या प्रकृति की इस सुंदरता को महसूस करना चाहते हैं तो आपके लिए दिसम्बर जनवरी का समय बेहतरीन रहेगा। भारी बर्फबारी के बीच स्कीइंग का मजा छुट्टियों को और भी अधिक रोमांचक बना देता है। शक्तिशाली हिमालयी रेंज कई प्रकार के साहसिक खेलों के लिए एक अनुकुल स्थान रहा है और स्कीइंग एक गतिविधि है जो एक निश्चित प्रकार के लोगों को सबसे अधिक आनंद लेती है। उत्तर भारत में कई जगहें हैं जहां स्कीइंग करना क्लासिक अनुभव होगा।   इसीलिए आज हम आपको भारत में स्कीइंग के लिए प्रमुख स्थलों के  के बारे में बताएंगे जो आपको रोमांच का एक अलग अनुभव प्रदान करेगीं।

1. पहलगाम, जम्मू और कश्मीर

भारत में स्कीइंग

जम्मू-कश्मीर के अनंतनाग जिले में सुंदर छोटा शहर शायद भारत में स्कीइंग के बारे में बात करते हुए सबसे लोकप्रिय नाम है। हजारों स्कीइंग उत्साही लोगों के लिए बर्फ से ढकी घाटियां यहां आकर्षण का केन्द्र बनी हुई है। यहां के आस-पास के क्षेत्रों के शानदार दृश्य निश्चित रूप से लुभावने अनुभव को मज़ेदार करेंगे। पहलगाम में स्कीइंग के लिए सबसे अच्छा समय दिसंबर और मार्च के बीच का होता है जब बर्फ की परते मोटी और दृढ़ रहती है। अन्यथा लोकप्रिय पर्यटन स्थल होने के नाते, पहलगाम हमेशा उपलब्ध रहता है। पहलगाम कई रहने के विकल्प प्रदान करता है।

2. मनाली, हिमाचल प्रदेश

भारत में स्कीइंग

मनाली से केवल 12 किमी दूर सोलांग घाटी भारत में सबसे लोकप्रिय स्कीइंग गंतव्यों में से एक है। सोलांग घाटी को सोलांग नाला के नाम से भी जाना जाता है, जिसमें कुछ असाधारण ढलान होते हैं जो आपको सबसे उत्साहजनक स्कीइंग अनुभव दे सकती हैं। घाटी के चारों ओर प्राकृतिक सुंदरता भी अविश्वसनीय रूप से स्थित है जो सवारी को और भी विशेष बनाती है। सर्दियों के मौसम में बर्फ की मोटी परतें एक अद्भुत साहसिक भरे अनुभव को प्रदान करती हैं।

3. गुलमर्ग, जम्मू और कश्मीर

भारत में स्कीइंग

जम्मू और कशमीर के बारामुला जिस्टिक में यह छोटा सा शहर साहसिक उत्साही लोगों के लिए एक अद्भुत स्कीइंग अवसर प्रदान करता है। जम्मू कश्मीर के जिले बारामूला में स्थित गुलमर्ग स्कीइंग के लिए जाना जाता है। सर्दियों के दौरान यहां बर्फ से खेलने वाले हजारों की तादाद में स्की लवर्स पहुंचते हैं। गुलमर्ग का नाम एशिया की भारत में स्कीइंग के लिए महत्पूर्ण स्थलो में सातवें नंबर पर आता है। ऐसा नहीं है की आप गुलमर्ग में केवल स्कीइंग हीं कर सकते हैं, वहाँ आप स्की के अलावा गंडोला केबल कार का लुफ्त उठा सकते हैं। हर साल हर जगह से गुलमर्ग और इसकी प्रसिद्ध का कारण स्कीइंग का अनुभव करने के दुनिया भर के हजारों पर्यटक यहां आते हैं। विशेष रूप से स्कीइंग के लिए गुलमर्ग जाने के लिए दिसंबर से मार्च तक का मैसम आदर्श मौसम माना जाता है।

4. औली, उत्तराखंड

भारत में स्कीइंग

भारत सबसे लोकप्रिय और सुंदर स्कीइंग स्थलों में से एक औली है। औली के स्कीइंग के लिए पूरी तरह से आदर्श सुंदर परिदृश्य है। औली उत्तराखंड में स्थित एक बेहद सुन्दर जगह है जो कि स्कीइंग के लिए काफी लोकप्रिय है। औली ऋषिकेश से 250 किलोमीटर की दूरी पर बसा है। इस जगह को जब आप देखेंगे तो मानो ऐसा लगेगा जैसे स्वर्ग यही है। मनोरम नजारों और खूबसूरत ढलानों वाली ये जगह बेहद खूबसूरत है। स्कीइंग के दीवानों के लिए औली किसी जन्नत से कम नहीं है। औली में स्कीइंग के लिए ढलान लगभग 2500 से 3000 मीटर की ऊंचाई पर स्थित हैं। यहाँ से स्कीइंग का मजा लेना काफी रोमांचक अनुभव होता है। कई कारणों से औली को पसंद किया जाता है। यहां की प्राकृतिक शुद्धता अभी तक खराब नहीं हुई है। औली 2011 में भारत में पहले एसएएफ शीतकालीन खेलों का गर्व लिए मेजबान करता है। और तब से यह बर्फ के पहने हुए पर्वत घाटी कई शीतकालीन खेलों के लिए एक महत्वपूर्ण स्थान बन गया है।

कुछ स्कीइंग संस्थान औली में हैं जो एक बेहतर और सुरक्षित स्कीइंग अनुभव को सीखने और उपकरणों के साथ सुरक्षा प्रदान करते है। औली में बर्फ की सवारी के लिए जाने का सबसे अच्छा समय दिसंबर से फरवरी तक का होता है उस समय बर्फ की मोटी परते यहां जमा होती हैं।

5. कुफरी, हिमाचल प्रदेश

भारत में स्कीइंग

भारत में स्कीइंग के लिए एक और लोकप्रिय गंतव्य कुफरी है। कुफरी हिमाचल प्रदेश में स्थित एक मनमोहक हिल स्टेशन है। सर्दियों के समय यहां सभी रास्ते बर्फ से पोरी तरह ढक जाते हैं। पाइन के पेड़ पर पड़ी सफेद बर्फ की चादर को दूर खड़े हो कर देखना अंतर-आत्मा को तृप्त कर देता है। यहाँ की ढलान ढीली है, जहाँ से बर्फ स्कीइंग करना काफी रोमांचक लगता है। प्रसिद्ध पहाड़ी स्टेशन शिमला के बहुत पास स्थित, कुफरी सभी प्रकार के पर्यटकों के लिए आसानी से सुलभ है। लेकिन सर्दियों के मौसम के दौरान, जब स्थल बर्फ के मोटे द्रव्यमान में ढके होते हैं, तो कुफरी साहसिक खेल प्रेमियों के लिए अनिवार्य रूप से प्ले ग्राउंड बन जाता है। कुफरी शौकिया स्कीइंग उत्साही लोगों के बीच एक बहुत ही लोकप्रिय नाम है क्योंकि यहां ढलान बहुत ही सभ्य हैं और सीमा के दौरान कुछ रोमांचक मोड़ों के साथ सीमित लेकिन आनंददायक सवारी प्रदान करता हैं। हिमाचल प्रदेश पर्यटन बोर्ड द्वारा आयोजित वार्षिक शीतकालीन खेल त्यौहार भारी भीड़ को अपनी ओर खींचता है। स्कीइंग का मजा लेने के लिए आप यहाँ नवंबर से फरवरी के बीच जा सकते है।

6. नारकंद, हिमाचल प्रदेश

शिमला से लगभग 65 किमी दूर, नारकंद नामक स्कीइंग के लिए आदर्श एक और दिलचस्प जगह है। यह जगह ढलानों की विभिन्न श्रेणियों की पेशकश करती है जिससे विभिन्न प्रकार के पर्यटक स्कीइंग अनुभवों के कई अलग-अलग स्तर महसूस कर सकते हैं। चूंकि छोटे और यहां तक कि ढलान शुरुआती लोगों के साथ शुरू करने के लिए सबसे अच्छे प्लेटफार्म देता हैं। साथ ही यह बड़ी और अधिक कठिन ढलान पेशेवर और अनुभवी स्कीयरों को कुछ चुनौतीपूर्ण और रोमांचकारी सवारी प्रदान करते हैं। हिमाचल प्रदेश का पर्यटन बोर्ड राज्य में खेल और पर्यटन को एक मजेदार तरीके से बढ़ावा देने के लिए सर्दियों के मौसम के दौरान हर साल नारकंद में विभिन्न स्कीइंग पाठ्यक्रम भी व्यवस्थित करता है।

7. दयारा बुगल, उत्तराखंड

भारत में स्कीइंग

प्रसिद्ध औली के अलावा, उत्तराखंड में कुछ अन्य महान स्कीइंग गंतव्यों भी हैं। दयारा बुगल साहसी एवं रोमांचकारी अनुभव को तलाशने वालों के बीच स्कीइंग के लिए लोकप्रिय जगह है। यहां भारी बर्फ से भरी विभिन्न प्रकार की ढलाने सभी प्रकार के स्कीयर चुनौतियों के साथ मजा करने का अनुभव प्रदान करती हैं।

8. मुनसियारी, उत्तराखंड

सुंदर उत्तराखंड में स्थित स्कीइंग स्थलों के बीच एक और लोकप्रिय नाम मुनसियारी है। रोमांच प्रेमी और एडवेंचर प्रेमियों को मुनसियारी की यात्रा पर अवश्य जाना चाहिए क्योंकि यह सुंदर छोटा शहर उत्कृष्ट स्कीइंग अनुभव प्रदान करता है। बर्फ से ढंके ढलान, प्रशिक्षित स्कीयर के लिए एक अविस्मरणीय और आश्चर्यजनक स्कीइंग अभियान बनाते हैं।

9. यमथांग, सिक्किम

भारत में स्कीइंग

सिक्किम सभी प्रकार के पर्यटकों के लिए उपयुक्त स्थल है। यहां सभी तरह के पर्यटकों के लिए कुछ ना कुछ खास है। रोमांचकारी पर्यटक स्पष्ट रूप से सिक्किम में कट्टर रोमांचकारी साहसी गतिविधियों का चयन करते हैं। यदि स्कीइंग का  बात है, तो यमथांग हिमालय की गोद में स्थित इस खूबसूरत स्थिति में आपके लिए एक उपयुक्त जगह है। सर्दी के दौरान घाटी पूरी तरह बर्फ में ढक जाती है। जिसके कारण स्कीइंग का मजा दुगना हो जाता है। यमथांग घाटी स्कीइंग क्षेत्र में नौसिखियों और पेशेवर दोनों पर्यटकों के लिए स्कीइंग का अवसर प्रदान करती है।

10. फुनी, लचुंग, सिक्किम

भारत के उन स्थानों में से जो हाल ही में स्कीइंग ग्राउंड के रूप में बेहद लोकप्रिय हो गए हैं उनमें लचुंग के पास फुनी घाटी निश्चित रूप से सूची के शीर्ष पर रखी गई है। 11000 फीट की ऊंचाई पर स्थित, सिक्किम में यह खूबसूरत जगह उग्र स्कीयर के कुछ बेहतरीन स्कीइंग अनुभव प्रदान करती है। चांदी की बर्फ की सजावट वाली लंबी ढलानें ग्लाइडर को रोमांच का अनुभव करा अद्भुद दुनिया में ले जाती हैं।

11. तवांग, अरुणाचल प्रदेश

यदि आप उन सभी आम नामों के अलावा साहस के लिए अपनी प्यास बुझाने के लिए एक अलग जगह की तलाश करते हैं, तो तवांग आपके लिए एकदम सही जगह है। अरुणाचल प्रदेश के उत्तरी हिस्से में यह खूबसूरत घाटी बहुत अच्छी स्कीइंग व्यवस्था प्रदान करती है। यद्यपि शहर जाने के लिए भारत सरकार से उचित अनुमति की आवश्यकता होती है क्योंकि राज्य भारत और चीन के बीच सीमा विवाद के संबंध में राजनीतिक स्कैनर के अधीन है, तवांग की यात्रा निश्चित रूप से एक यादगार यात्रा होगी। स्कीइंग इत्यादि जैसे साहसिक स्थलों को अब पर्यटकों को खींचने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है।

भारत में व्हाइट वाटर राफ्टिंग (जल क्रीड़ा)

भारत में व्हाइट वाटर राफ्टिंग (जल क्रीड़ा)

रिवर राफ्टिगं यानि नदीयों की उफनती लहरों को चीरते हुए नावों की सवारी करना। यह वही कर सकता है जो रोमांच प्रेमीं हो और साहसी हो। नदियों की लहरों के बीच नाव चलाने का एक अलग ही अनुभव होता है। यह रोमांच को दूसरे स्तर पर ले जाता है। सफेद पानी राफ्टिंग ज्यादातर सफेद पानी के रूप में जाना जाने वाले किसी न किसी जल निकायों पर होता है जो एक मनोरंजक मॉड्यूल में कढ़ाई वाले कट्टर खेल और रोमांच का एक मिश्रण है। भारत में कई जगहें हैं जो सफेद पानी राफ्टिंग के लिए बहुत अच्छा अवसर प्रदान करती हैं। उत्तर भारत का कच्चा जल निकाय सबसे चुनौतीपूर्ण और रोमांचकारी राफ्टिंग अनुभव प्रदान करता है जहां भारत के दक्षिणी हिस्सों में कुछ मामूली कठिन राफ्टिंग अवसर प्रदान किए जाते हैं। भारत में रिवर राफ्टिंग कुछ 15-20 साल पुराना है। इसने हाल के कुछ सालों में बड़ी तेजी से लोकप्रियता हासिल की है। ऋषिकेष के पास गंगा नदी, जम्मू-कश्मीर के सिंध और जांस्कर, सिक्किम में तीस्ता नदी और हिमाचल प्रदेश की बीस नदी कुछ ऐसी जगहें हैं जहां पर आप रिवर राफ्टिंग का लुत्फ़ उठा सकते हैं। रिवर राफ्टिंग के लिए आप उत्तराखंड के अलकनंदा, भागीरथी इसके अलावा अरुणाचल प्रदेश के ब्रह्मपुत्र और सुबनसारी जैसे रोमांचक जगहों पर जा सकते हैं।

अगर आप इनमें से रिवर राफ्टिंग के लिए किसी भी केंद्र को चुनते हैं तो आपको बहुत सारी बातों को ध्यान में रखना होगा। अगर आप नए हैं तो सबसे पहले उस व्यक्ति से संपर्क करना पड़ेगा जिसके पास राफ्टिंग को लेकर कई सालों का अनुभव हो। जिस हिसाब का मौसम होता है उस हिसाब से आपको गाइड करने वाले विशेषज्ञ मिल जाएंगे।  जिस जगह से आप रिवर राफ्टिंग कर रहे हैं वहां आपकी सुरक्षा के लिए पर्याप्त साधन उपलब्ध किए जाते हैं ताकि कोई अनहोनी हो तो ऐसी अवस्था में इसका इस्तेमाल किया जा सके। नीचे भारत के कुछ प्रमुख रिवर राफ्टिंग वाले स्थलों के बारे में जानकारी दी गई है।

1. ऋषिकेश

ऋषिकेश में कभी भी सबसे अच्छा राफ्टिंग अनुभव हो सकता है। गंगा नदी के किसी न किसी प्रवाह में कुछ बड़े अनुभव होते हैं यदि साहस आपके नसों में चलता है। और आप रोमांच प्रेमी है तो यह जगह आपके लिए एकदम सटीक है।  शिवपुरी से लक्ष्मण झुला तक 16 किमी लंबी खिंचाव में रैपिड्स के विभिन्न ग्रेड हैं जिनमें से 13 रैपिड्स बहुत लोकप्रिय हैं। जिनके प्रेषक, रोलर कोस्टर, तीन ब्लाइंड चूहे, डबल परेशानी, टी ऑफ और गोल्फ कोर्स कुछ अविश्वसनीय नाम हैं। सुंदर कुमाऊं पहाड़ों के खिलाफ सुंदर सफेद रेत नदी समुद्र तटों पर कैम्पिंग भी एक लोकप्रिय साहस है। शिवालिक के इस क्षेत्र का वास्तविक आकर्षण ऋषिकेश में नदी राफ्टिंग है।। ऋषिकेश में राफ्टिंग के लिए जाने का सबसे अच्छा समय सितंबर से जून तक है।

भारत में व्हाइट वाटर राफ्टिंग (जल क्रीड़ा)

2.  सिंधु नदी (लद्दाख, जम्मू और कश्मीर के माध्यम से) और ज़ंकर

सिंधु नदी एक अद्भुत नदी राफ्टिंग का अवसर प्रदान करती है। कुछ स्थानों पर ग्रेड 1-2 से नदी सीमा पर चुनौतीपूर्ण रैपिड्स ग्रेड 3-5 रैपिड्स है। नदी राफ्टिंग के लिए अधिक चुनौतीपूर्ण मार्ग अल्ची और खालसी के बीच स्थित है, जहां रैपिड्स की एक लंबी श्रृंखला छत को रोमांचित करती है। नदी के साथ कैम्पिंग साहस में रोमांच को जोड़ता है। कट्टर साहसी जगहो से प्यार करतने वालों के लिए यह एकदम सही जगह है। गहरी घाटियों, खूबसूरत पहाड़, पहाड़ियों पर गांव, लद्दाख और कश्मीर घाटी उत्साही लोगों के लिए सबसे चरम साहसिक खेल प्रदान करते हैं। सिंधु का प्राचीन राइव अभी भी घाटी को खिलाता है और सफेद पानी राफ्टिंग के लिए एक शानदार अवसर प्रदान करता है। जून, जुलाई और अगस्त के बरसात के महीनों के दौरान पानी का स्तर बढ़ता है।
ज़ंकर नदी के किनारे पर अधिक चुनौतीपूर्ण राफ्टिंग की जाती है। पदम और ज़िमो क्षेत्रों के बीच का विस्तार भारत में सबसे कठिन राफ्टिंग मार्गों में से एक माना जाता है। यहां घास समुद्र तल से 12000 फीट की ऊंचाई पर स्थित है। घाट के दोनों किनारे हजारों फीट के शक्तिशाली पहाड़ों से घिरे हुए हैं जिनमें से कुछ सबसे चरम इलाकों और मौसम की स्थिति प्रदान करते हैं। इस नदी पर राफ्टिंग पूरी तरह से एक पेशेवर खिलाड़ी का खेल है। ज़ंकर पर खेल के लिए जाने का सबसे अच्छा समय जुलाई से अगस्त तक या सर्दी से पहले का समय होता है।

3. तीस्ता नदी, सिक्किम और दार्जिलिंग

तीस्ता नदी सिक्किम, दार्जिलिंग और कालीम्पोंग हिल क्षेत्र के माध्यम से बहती है। यह एक शक्तिशाली नदी और रोमांचकारी नदी राफ्टिंग स्पॉट है और ग्रेड 1-4 में रेटेड रैपिड्स की एक स्ट्रिंग से धन्य हैं , यह एक सच्चे उत्साही के लिए विशेष अनुभव बनती है। उत्तर-पूर्वी भारत के सिक्किम और दार्जिलिंग क्षेत्र दोनों की प्रमुख और सबसे प्रसिद्ध नदी है। इस नदी में कई तीव्रता के स्तर और रैपिड्स हैं । तीस्ता पर राफ्टिंग मार्ग चुनौतियों और रोमांच को प्रदान करता है। तीस्ता और इसकी सहायक रंगीट का सुंदर संगम राफ्टर्स के लिए सबसे यादगार अनुभव होता है। राफ्टिंग सीजन अप्रैल में शुरू होता है और जून के पहले सप्ताह तक चलता है।

4. टॉन, गढ़वाल, उत्तराखंड

उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश की सीमा में स्थित, नदी टॉन राफ्टिंग पेशेवरों और उत्साही लोगों के बीच बहुत लोकप्रिय है। टोन यमुना नदी की सबसे बड़ी सहायक नदी है और माना जाता है कि यमुना की तुलना में अधिक इसमें पानी है। इसे राफ्टिंग पैमाने पर III से IV तक वर्गीकृत किया गया है। तंग पानी और एक असमान चट्टानी इलाके रैपिड्स के कई स्तरों के साथ प्रदान करते हैं इसलिए टोंस एक चुनौतीपूर्ण राफ्टिंग अनुभव प्रदान करता है।

5. बारपोल, कूर्ग, कर्नाटक

कूर्ग में बारपोल नदी भारत के दक्षिणी हिस्सों में सबसे लोकप्रिय राफ्टिंग गंतव्यों है। बारपोल का ऊपरी हिस्सा एक रोमांचकारी सफेद पानी राफ्टिंग अभियान के लिए सबसे उपयुक्त है। नदी दक्कन पठार के साथ पश्चिमी घाटों में बहती है और द्वितीय और चतुर्थ के बीच में वृद्धि होती है। बारपोल के ऊपरी और निचले हिस्सों दोनों में रैपिड्स के कई स्तर होते हैं। जून और अक्टूबर के बीच  के महीनों का लंबा हिस्सा एक तंत्रिका-छिद्रण साहसिक भरे नदी राफ्टिंग का अनुभव करने का सबसे अच्छा समय है क्योंकि मानसून का मौसम हमारे देश के दक्षिणी हिस्सों में बहुत लंबा रहता है।

6. ब्रह्मपुत्र, ऊपरी हिमालयी क्षेत्र

भारत में सबसे चुनौतीपूर्ण नदियों में से एक, ब्रह्मपुत्र मुख्य रूप से तिब्बती क्षेत्र और अरुणाचल प्रदेश के ऊपरी हिमालयी क्षेत्र के कुछ हिस्सों के माध्यम से बहती है। ब्रह्मपुत्र पर राफ्टिंग अभियान अरुणाचल प्रदेश में ट्यूटिंग से शुरू होता है और पासीघाट में खत्म होता है। राफ्टिंग स्केल नदी को एक चौथाई भाग के रूप में मापता है जो एक शानदार रोमांचकारी अनुभव सुनिश्चित करता है। 180 किमी राफ्टिंग अभियान भारत के उत्तर-पूर्वी क्षेत्र की उस लंबी अवधि की प्राकृतिक सुंदरता के शानदार दृश्य पेश करता है।

7. काली नदी, उत्तराखंड

काली वह नदी है जो भारत और नेपाल के बीच प्राकृतिक सीमा खींचती है। यह उत्तराखंड में पिथौड़गढ़ से निकलती है और पहाड़ों और जंगलों के खूबसूरत इलाकों की एक विस्तृत श्रृंखला के माध्यम से बहती है। यह जौलजीबी, झौघाघाट या पंचेश्वर क्षेत्रों से सफेद जल राफ्टिंग का एक बड़ा भाग्य भी प्रदान करती है।

8. कुंडलिका नदी, कोलाद, महाराष्ट्र

महाराष्ट्र कई शानदार पहाड़ों और नदियों का घर है। कुण्डलिका नदी मुंबई से ड्राइव करके बस 2 घंटे का रास्ता पार कर, आपको एक सबसे बेहतरीन जगह मिलेगी जहाँ पर आप असीमित रोमांचक और साहसिक क्रियाओं का मज़ा ले सकते हैं, वो है महाराष्ट्र की कुण्डलिका नदी। यह 14 किलोमीटर तक नीचे(ढलान) की ओर बहने वाली राफ्टिंग का हिस्सा है जहाँ अगर आप रोमांचक कार्य के लिए बहुत उत्साहित हैं, तो बिल्कुल भी जाना ना भूलें।

कोलाद में कुंडलिका नदी पूरे दक्षिण भारतीय क्षेत्र में सबसे तेजी से बहती नदी है। शक्तिशाली सह्याद्री इस नदी की उत्पत्ति की जगह हैं और इसलिए नदी में रैपिड्स के प्रचुर मात्रा में विभिन्न स्तर हैं। कुं नुभवहीन लोगों के लिए रिवर राफ्टिंग का यह हिस्सा बिल्कुल भी सुरक्षित नहीं होगा क्युंकी इस नदी का बहाव ढलान की ओर होता है जो ख़तरे का संकेत है। यह हिस्सा लगभग 10 किलोमीटर तक का है। कुंडलिका दक्षिण-पश्चिमी भारत में एक बहुत ही लोकप्रिय राफ्टिंग गंतव्य है।

9. अलकनंदा नदी

अलकनंदा गंगा नदी की दूसरी सबसे बड़ी सहायक नदी है और भारत में सबसे डरावनी और चुनौतीपूर्ण राफ्टिंग अनुभवों में से एक प्रदान करती है। राफ्टींग अभियान रामोली में शुरु होता है और रुद्रप्रयाग में समाप्त होता है। भारी सवारी का यह लंबा हिस्सा जीवन भर का अनुभव करने वाले सबसे रोमांचकारी रोमांचों में से एक सुनिश्चित करता है।

भारत में जल क्रीडा (वाटर सफ्रिंग)

भारत में जल क्रीडा (वाटर स्किंग)

भारत मे जल क्रीडा यानी पानी के अंदर किए जाने वाले एंजवेंचर के लिए कई स्थल मौजूद है। जो रोमांच प्रेमियों को अपनी ओर आकर्षित करते हैं। कई तेजी से बहने वाली नदियां और पश्चिम-दक्षिण और इसके पूर्वी हिस्सों के आसपास विशाल तट रेखा, भारत में लोगों रोमांच के लिए कुछ महान जल निकासी प्रदान करता है। पानी स्कीइंग, कयाकिंग, स्कूबा डाइविंग, एनलिंग, याटिंग आदि के अद्भुत अवसरों को भारत के कई स्थल प्रदान करते हैं। पानी के खेल भारत में साहसिक पर्यटन क्षेत्र में तेजी से बढ़ रहे प्लेटफॉर्म हैं। नीचे भारत में पानी स्कीइंग के लिए सबसे लोकप्रिय स्थलों की जानकारी दी गई हैं।

जम्मू-कश्मीर, जल और नागिन झील

डल झील श्रीनगर राज्य की ग्रीष्मकालीन राजधानी से लगभग 32 किमी दूर स्थित है और यह भारत में सबसे प्रसिद्ध झीलों में से एक है। यह खूबसूरत झील पानी स्कीइंग के लिए महान सुविधाएं प्रदान करती है। कई निजी स्वामित्व वाली बाथिंग बोट उपलब्ध हैं जो पेशेवर प्रशिक्षकों के मार्गदर्शन सहित इस खेल के लिए सभी आवश्यक उपकरण प्रदान करती हैं। पानी पर स्कीइंग के रोमांच का आनंद लेने के दौरान पर्यटकों को झील और आसपास के प्राचीन सौंदर्य का निरीक्षण करने का एक शानदार मौका मिलेता है।

नागिन झील डल झील का सिर्फ एक हिस्सा है जो बाद में एक तरफ से विभाजित है। नागिन झील भी उचित स्कीइंग सुविधाएं प्रदान करती है और स्कीयर के बीच भी एक बहुत लोकप्रिय स्थान है। गर्मियों के मौसम में दोनों डल और नागिन झील का पानी स्कीइंग के लिए उत्तम जगह बन जाता हैं।

आसन बैराज, उत्तराखंड

आसन बैराज उत्तराखंड के देहरादून से 43 किलोमीटर दूर स्थित पानी के खेल के विशेष अनुभवों में से एक का स्थल है। विशेष रूप से पानी स्कीइंग यहां प्रसिद्ध है। गढ़वाल मंडल विकास निगम ने 1994 में बैराज में एक जल क्रीडा रिसॉर्ट विकसित किया था और तब से पानी के खेल को काफी पोषित किया गया है। स्कीयर सुंदर झील के माध्यम से स्कीइंग का आनंद लेते हैं जिसे लोकप्रिय रूप से ढलीपुर झील के नाम से जाना जाता है।

मानसबल झील, जम्मू और कश्मीर

जम्मू-कश्मीर राज्य में एक और अद्भुत पानी स्कीइंग जगह लेक मानसबल है। पक्षियों के लिए स्वर्ग, मानसबल झील मई और अगस्त के दौरान बहुत सुंदर हो जाती है। पानी के खेलों के लिए यह जगह उपयुक्त है। वैश्विक झीलों को लाने के लिए राज्य के पर्यटन बोर्ड ने इस झील में जल स्कीइंग को प्रोत्साहित किया है। मानसबल झील और इसकी शीनी पानी की सतह का विशाल क्षेत्र इस खेल को लोकप्रिय होने में मदद करता है।

गोवा

भारत में जल क्रीडा (वाटर स्किंग)

भारत के सबसे मशहूर और भीड़ खींचने वाले समुद्र तट गंतव्य गोवा में स्थित है। यह सभी प्रकार के जल खेल प्रदान करता है। आप यहां साहसी पानी स्कीइंग का चयन कर सकते हैं क्योंकि समुद्र तटों पर यह सुविधाएं उपलब्ध हैं। अद्भुत समुद्र तट, शांत-नीला पानी और उपयुक्त मौसम- गोवा अक्टूबर से अप्रैल में पानी के खेल के एक आदर्श गंतव्य है। कैंडोलिम बीच, कैलंग्यूट बीच, बोगमलो बीच, सिडाडे डी गोवा और ताज होटल पानी स्कीइंग के लिए कुछ लोकप्रिय नाम हैं।

अंडमान और निकोबार द्वीप समूह

अंडमान और निकोबार द्वीप समूह स्कीइंग के कुछ महान अनुभव प्रदान करते हैं। इन भारतीय द्वीपों के संख्यात्मक समुद्र तटों में दो बड़े जल क्रीडा परिसर हैं जो डिगलीपुर में हैं और दूसरा पोर्ट ब्लेयर में है। जो कई प्रकार के जल खेलों का अनुभव प्रदान करते हैं। यही कारण है कि बड़ी संख्या में पर्यटक इनकी ओर आकर्षित होते हैं। पर्यटक एक स्पीड बोट के पीछे स्कीइंग सवारी करके समुद्र की सतह का पता लगा सकते हैं।

भारत में वाटर सर्फिंग (लहरबाजी)

भारत में वाटर (जल) सर्फिंग

वाटर सर्फिंग यानि लहरबाजी। एक और पानी का खेल है जो एड्रेनालाईन की दौड़ में तेजी लाता है। लहरबाज़ी समुद्र की लहरों पर किया जाने वाला एक खेल है जिसमें लहरबाज़ (सरफ़र) एक फट्टे पर संतुलन बनाकर खड़े रहते हुए तट की तरफ़ आती किसी लहर पर सवारी करते हैं। लहरबाज़ों के फट्टों को 'लहरतख़्ता' या 'सर्फ़बोर्ड' (कहा जाता है। लहरबाज़ी का आविष्कार हवाई द्वीपों के मूल आदिवासियों ने किया था और वहाँ से यह विश्वभर में फैल गया है। लहर बाजी भी कई प्रकार की होती है। खड़े होकर, बैठ कर, हवा लहरबाज़ी, पतंग लहरबाजी जिसमें पतंग की आकृति को पकड़ कर नावों द्वार व्यक्ति को खींचा जाता है। नाव से खींच कर करी गई लहरबाज़ी में एक मोटर-चालित लहरबाज़ को ऊँची लहरों की उच्चतर गति के बराबर की रफ़्तार देता है जो बिना नाव की मदद के लहरबाज़ नहीं पा सकता। इन सभी में चप्पू और हवा के अतिरिक्त लहरों की शक्तियों का भी प्रयोग किया जा सकता है। कभी-कभी शक्तिशाली इंजन वाली नौकाओं के ज़रिये भी पानी में लहरें बनाई जा सकती हैं और लहरबाज़ इनपर सवारी कर सकते हैं। भारत में कई समुद्री समुद्र तट हैं जो आपके साहसी भावना को चुनौती देने के लिए जल सर्फिंग का शानदार अवसर प्रदान करते हैं। नीचे दिए गए कुछ लोकप्रिय नाम यहां दिए गए हैं:

अंडमान और निकोबार द्वीप समूह

बंगाल की खाड़ी के गोद में  बसे अंडमान और निकोबार द्वीप समूह में कई ऐसे स्थल है जो आपकी जल क्रीडा को और खास बना देते हैं। इन उष्णकटिबंधीय द्वीपों के समुद्र तटों पर लहरें ज्यादातर उथले तीखे चट्टानों पर टूट जाती हैं। इसलिए यह क्षेत्र सर्फिंग के लिए सभी प्रकार से बहुत उपयुक्त है। ऐसे कई स्थल यहां है जो विशेष रूप से सर्वश्रेष्ठ सर्फिंग अनुभव प्रदान करते हैं। बिंदु कुमारी प्वाइंट, जरावा प्वाइंट, जैक्सन क्रीक, मुड्डी आदि हैं। अंडमान और निकोबार द्वीपसमूह भारत के सबसे पसंदीदा सर्फिंग स्थलों में से एक हैं। अंडमान में सफ्रिंग करने का सबसे अच्छा मौसम मार्च से मई तक का है।

कोवेलोंग, तमिलनाडु

भारतीय दक्षिणी तटों पर पश्चिमी तटों की तुलना में लोकप्रिय सर्फिंग स्थल अधिकतर नहीं हैं। तमिलनाडु में कोवेलोंग उन कुछ पसंदीदा तटों में से एक है जिसने दक्षिण तट को एक सुंदर सर्फिंग गंतव्य के रूप में विश्व के सामने रखा है।  कोमल लहरों और शांत समुद्र तटों ने कोवेलोंग को उन सर्फर्स के लिए प्राकृतिक पसंद बनने में मदद की है जो छोटी गोपनीयता और आसपास की सफाई एंव शांति की तलाश में हैं। कोवेलोंग विदेशी सर्फर के बीच ज्यादातर लोकप्रिय है। कोवेलोंग में कई संगठन भी उपलब्ध हैं जो उचित उपकरणों और सर्फर के लिए अन्य मार्गदर्शन करने के लिए लोगों की सहायता करते हैं।

मुलकी, मैंगलोर, कर्नाटक

भारतीय तटरेखा के पश्चिमी तट में कई सर्फिंग स्थल उपलब्ध हैं। मैंगलौर के पास मुल्की कर्नाटक राज्य में स्थित एक लोकप्रिय स्थल है। यह आश्रम सर्फिंगं रिट्रीट नामकरण करने वाला एक समर्पित संगठन है जो मुख्य रूप से जल क्रीडा और जल सुरक्षा प्रशिक्षण आदि के साथ आवास और भोजन की सुविधा पर्यटकों को प्रदान करता है। यह  विभिन्न सुविधाओं के साथ सर्फिंग के लिए सभी आवश्यक त्तवों को उपलब्ध कराता है। मुल्की अब अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर  बहुत लोकप्रिय नाम बन गया है।

मनपद, तुतीकोरिन

कोवेलोंग के बाद तमिलनाडु में सर्फिंग गंतव्यों के रुप में सबसे अधिक पसंद की जाने वाली जगह मनपद है। हाल ही में इस शांत समुद्र तट को एक नया रूप मिला है और सागर सर्फिंग रिज़ॉर्ट की स्थापना यहां हुई है। पर्यटकों को सौम्य तरंगों पर सर्फिंग का एक बड़ा मौका देने के लिए एवं रोमांच प्रदान करने के लिए ही इस रिजॉर्ट की स्थापना की गई है। अधिकांशतः इसे विदेशी पर्यटकों द्वारा पसंद किया जाता है।  मनपैड एक अच्छे सर्फिंग के लिए आवश्यक आधुनिक उपकरणों को प्रदान करता है। जो राज्य पर्यटन उद्योग के लिए उत्साह बन गया है।

भारत में पैरा पैराग्लाइडिंग

भारत में पैरा पैराग्लाइडिंग

भारत में रोमांचक एवं साहसिक खेलों के रुप में पैरा ग्लाइंडिंग बहुत मशहूर है। यह खेल लोगों के साहस को उच्च स्तर पर ले जाता है। हवा के साथ बातें करना ही पैर ग्लाइंडिग का उद्देश्य है। जिस तरह पक्षी हवा में उड़ान भरते हैं वैसे ही पैराग्लाइंडिग के द्वारा उड़ने का अनुभव कराया जाता है। निश्चित रूप से आपकी पीठ पर लगाए गए पंखों की तरह पैराशूट लगाए जाते हैं। पैराग्लाइडिंग निश्चित रूप से कमजोर दिल वालों के लिए नहीं है।  यह खेल आपको बादलों पर ले जाता है जहां से आप अपने पैरों के नीचे दुनिया को देख सकते हैं। हालांकि दुनिया भर के साहसी लोग इस रोमांचकारी खेल का आनंद ले रहे हैं, पैराग्लाइडिंग तुलनात्मक रूप से भारत में साहसिक खेलों का एक नया जीन है जो लोकप्रियता को बहुत तेजी से प्राप्त कर रहा है।  भारत में पैराग्लाडिंग विश्व कप भी आयोजित किया जाता है। पैराग्लाइडिंग विश्व कप 2015 भारत के हिमाचल प्रदेश के बीड़ बिलिंग में आयोजित किया गया। तब से, पूरे देश में कई पैराग्लाइडिंग स्थल विकसित किए गए हैं। भारत में कुछ लोकप्रिय पैराग्लाइडिंग गंतव्य हैं:

हिमाचल प्रदेश

हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले में बीर बिलिंग सिर्फ भारत में ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया में पैराग्लाइडिंग के लिए मशहूर है। यहां पर हर साल दुनियाभर से पर्यटक आते हैं। इसे भारत की पैराग्लाइडिंग राजधानी भी कहते हैं। पहाड़ों से घिरा बीर बिलिंग का दृश्य बहुत ही मनोहर दिखता है।  इसके अलावा, सोलांग, कंगड़ा घाटी, कुल्लू, लाहुल और स्पीति इत्यादि हिमाचल में स्थित सबसे प्रसिद्ध पैराग्लाइडिंग स्थल हैं। सुंदर पहाड़, सुन्दर हरे जंगलों, चमकदार नदियों के साथ हिमाचल के आकाश में उड़ने से ग्लाइडर्स को एक अच्छा अनुभव मिलता है।

उत्तराखंड

उत्तराखंड के गौवाल में नौकुचियाताल, दयारा बग्याल, धनोलती रिज मक्खी उत्तराखंड में सबसे अच्छे पैराग्लाइंडिगं के स्थानों में एक है। इसके अलावा मसूरी जिसे पहाड़ों की रानी कहा जाता है यहां पैराग्लाइंडिग करने का आपको अलग ही अनुभव मिलेगा। यहां के नजारे सिर्फ दिलचस्प ही नहीं बल्कि यहां रोमांच भी है। पैराग्लाइडिंग का मजा यहां लिया जा सकता है। 

महाराष्ट्र

महाराष्ट्र का माथेरान पैराग्लाइडिंग के लिए एक उत्कृष्ट जगह है। यह निर्विवाद सुरम्य पहाड़ी स्टेशन महान पैराग्लाइडिंग अनुभव प्रदान करके आप में साहस के खेल को खेलने का शानदार अनुभव प्रदान करता है इसके साथ ही महाराष्ट्र के पुणे से लगभग 65 किलोमीटर दूर पावना में पैराग्लाइडिंग करने का मजा ही अलग है। पहाड़ों से अपने पंख लगाकर जब आप पावना लेक के ऊपर उड़ान भरते हैं, तो नजारा ही कुछ और होता है।

राजस्थान

राजस्थान में भी जयपुर, जोधपुर, बीकानेर, उदयपुर और जैसलमेर के शहरों में कई पैराग्लिडिंग स्थल हैं। जो आपकों नीले आकाश में सुनहरे रेगिस्तान के ऊपर पैरापैराग्लाइडिंग करने का अद्भुत अनुभव प्रदान करते है।

तमिलनाडु

तमिलनाडु में प्राचीन और शांत पहाड़ी स्टेशनो पर पैराग्लाइडर उड़ान भरते समय कुछ स्वर्गीय दृश्यों का अनुभव करते है यहां पैराग्लाइंडिग का प्रमुख स्थल येलगिरी है। यह स्थान दक्षिण भारतीय क्षेत्र में सबसे लोकप्रिय पैरापैराग्लाइडिंग स्थलों में से एक बन गया है। येलगिरी पूरे साल कई पैराग्लाइंडिग खेलों की की मेजबानी करता है।

भारत में बंजी जंपिंग (ऊंची कूद)

भारत में बंजी जंपिंग (ऊंची कूद)

भारत में रोमांच प्रेमियों का एक और पंसदीदा खेल है जिसे ऊंची कूद यानि बंजी जंपिंग कहा जाता है। यह खेल एख साहसिक खेल है जो दिन प्रतिदिन लोकप्रियता प्राप्त कर रहा है। बंजी जम्पिंग एक प्रमुख एडवेंचर खेल है जो एक ऐसी गतिविधि है जिसमे व्यक्ति को ऊंची संरचना से एक बड़ी लोचदार रस्सी की सहायता से कूदना होता है। प्रायः ये भी देखा गया है कि हॉट-एयर-बलून या हेलिकॉप्टर का भी इस्तेमाल करते हैं। बंजी जंपिंग का अर्थ है आपके शरीर से जुड़ी लंबी लोचदार कॉर्ड के साथ ऊँचे स्थान से कूदना। ऊँचा स्थान आमतौर पर एक निर्माण, पुल या क्रेन है। उत्साह तो तब आता है जब बंजी जंपिंग के दौरान फ्रीफॉल और बाउंस बैक कराया जाता है। जब कोई छलांग लगाता है, तो रस्सी फैल जाती है और जंपर फिर से उड़ता है, जैसा कि रस्सी को फिर से आना पड़ता है, और जब तक सभी बल नष्ट नहीं हो जाते, तब तक आगे और नीचे आगे बढ़ना जारी रहता है। यह साहसी खेल आपको पहाड़ के किनारे या किसी उंती जगहों पर रोमांच महसूस कराने में लाभदायक होता है।  हम आपको उन जगहों के बारे में बताएंगे, जहा बंजी जंपिंग होती है और आप भी उसका लुत्फ उठा सकते हैं:

मोहन चट्टी, ऋषिकेश

बंजी जंपिंग का नाम आते ही सबसे पहले दिमाग में ऋषिकेश का नाम आता है। ऋषिकेश के मोहनचट्टी गांव में स्थित जंपिंग हाइट्स बंजी जंपिंग के लिए फेवरिट स्पॉट है। भारत में सिर्फ यही एक ऐसी जगह जहां एक फिक्स्ड प्लैटफ़ॉर्म से बंजी जंपिंग कर सकते हैं। यहां बंजी जंपिग के लिए प्लैटफ़ॉर्म जमीन से करीब 83 मीटर ऊपर बनाया गया है। यह कूदने के लिए एक निश्चित मंच प्रदान करता है और यह देश में अपनी तरह का एकमात्र बंजी जंपिग स्थल है। चट्टान पर निर्मित एक 83 मीटर ऊंचा कैंटिलीवर मंच कूदने का एक बहुत ही सुरक्षित और रोमांचक अनुभव प्रदान करता है।

ओजोन, बैंगलोर

बैंगलोर भारत में एक लोकप्रिय साहसिक गंतव्य है। जहां विभिन्न तरह के रोमांचकारी खेल खेले जाते हैं। भारत की सबसे प्रसिद्ध बंजी जंपिग स्थल बेंगलुरु का ओज़ोन अडवेंचर्स है। यहां 18 से 60 साल की उम्र के लोग आराम से बंजी जंपिंग का लुत्फ उठा सकते हैं। यह 80 फीट ऊंचाई प्लेटफॉर्म से 130 फीट ऊंची मोबाइल क्रेन तक फैला हुआ है।

ग्रेविटी एडवेंचर

गोवा में भारत का सबसे अच्छा समुद्री तट है। यह विभिन्न मज़ेदार और फ्रोलिक्स के बीच पानी के सभी प्रकार के खेल प्रदान करता है। यह साहसिक खेलों के कुछ अन्य रूप भी प्रदान करता है जो पर्यटन को और बढ़ावा देने में मदद करते हैं। गोवा का ग्रैविटी ज़ोन बंजी जंपिग के लिए काफी प्रसिद्ध है। खास बात यह है कि यहां बंजी जंपिंग के लिए एक 25-मीटर ऊंची टावर बनाया गया है।  ग्रेविटी एडवेंचर जोन में बंजी जंपिंग उन लोगों के लिए एक विशेष अनुभव है जो चुनौतियों और रोमांच से प्यार करते हैं। यह लोकप्रिय अंजुना बीच के पास स्थित क्षेत्र में 25 मीटर ऊंचा टावर है जो शुरुआती स्तर पर बंजी जंपिग करने वाले लोगों के लिए एक आदर्श स्थान है।

वंडरलस्ट, दिल्ली

देश की राजधानी दिल्ली में भी बंजी जंपिग के लिए स्थल मौजूद है। दिल्ली में मौजूद वंडरलस्ट नामक स्थान एडवेंचर के उत्साही हज़ारों लोगों का ध्यान अपनी तरफ आकर्षित करता है। इस स्थान की ख़ास बात ये है कि यहां काम करने वाले सभी लोगों को जर्मनी में प्रशिक्षित किया गया है। यहां पर 130 फ़ीट की ऊँचाई से क्रेन के माध्यम से बंजी जम्पिंग कराई जाती है। कोई भी 14 से 50 साल का एडवेंचर का शौक़ीन व्यक्ति यहां बंजी जम्पिंग का लुत्फ़ ले सकता है। दिल्ली में वंडरलास्ट आपको बंजी जंपिंग का अनुभव करने के लिए सबकुछ देता है। यह उत्तर भारत में एक बहुत लोकप्रिय बंजी जंपिग स्थल है।

डेला एडवेंचर, लोनावाला

भारत के सबसे बड़े साहसिक पार्कों में से एक, महाराष्ट्र के लोनावाला में डेला एडवेंचर, पश्चिमी भारत में बंजी जंपिंग के लिए एक लोकप्रिय गंतव्य है। लोनावाला स्थित डेल्ला एडवेंचर एक अन्य ऐसी जगह है जहां आप बंजी जम्पिंग का लुत्फ़ ले सकते हैं। इस स्थान का भी शुमार भारत के प्रमुख बंजी जम्पिंग डेस्टिनेशन में होता है। यहां बनाया गया जम्पिंग प्लेटफार्म 45 मीटर ऊंचा है और यहां पर जम्प का समय 4 से 5 मिनट रहता है। यहां 10 साल से ऊपर आयु वर्ग के लोगों को बंजी जम्पिंग कराई जाती है  पश्चिमी घाटों के बीच यह बंजी जंपिग का एक शानदार अनुभव प्रदान करता है।

भारत में स्कूबा डाइविंग और स्नॉर्कलिंग

भारत में स्कूबा डाइविंग और स्नॉर्कलिंग

प्रकृति मां की गोद में आनंद लेने का एक अलग ही अनुभव होता है। भारत में कई रोमांचकारी खेल खेले जाते हैं जो रोमां प्रेमियों को बहुत पसंद आते हैं। भारत में पहाड़ों पर से कूदना, हवा में उड़ना, पानी पर दौड़ना जैसे कई रोमांचकारी खेल खेले जाते हैं इन्ही रोमांचकारी खेलों में स्कूबा डाइविंग और सनार्कलिंग रोमांच प्रेमियों में बहुत प्रसिद्ध है।  पानी के भीतर जाना और मछलियों संग तैरना एक अलग ही अनुभव  प्रदान करता है। प्रकृति के करीब होने का एहसास इन खेलों के जरिए किया जा सकता है। स्कूबा डाइविंग पानी के नीचे डाइविंग की एक विधा है जिसमें स्कूबा गोताखोर एक सेल्फ कोंतैनेड अंडरवाटर ब्रेथिंग स्कूबा) का प्रयोग करता हैं। जो पानी के नीचे साँस लेने के लिए सतह की आपूर्ति से पूरी तरह से स्वतंत्र होता हैं।  वहीं स्नॉर्कलिंग पानी में तैराकी का एक अभ्यास है जिसके तहत गोताखोरी के मुखौटे, स्नॉर्कल नाम की नली और आमतौर पर स्विम फिन से लैस होता है। अपेक्षाकृत ठंडे पानी में वेटसूट भी पहना जा सकता है। इस यन्त्र का प्रयोग, स्नॉर्कल करने वाले को अपेक्षाकृत कम प्रयास के साथ पानी के अन्दर की हलचलों का ज्यादा वक्त तक निरीक्षण करने की अनुमति देता है। स्नॉर्कलिंग, दिल बहलाव का एक लोकप्रिय तरीका है यह खेल साहसी लोगों द्वारा ही खेला जाता है। इसमें सुरक्षा का भी विशेष ध्यान रखा जाता है।

स्कूबा डाइविंग और स्नॉर्कलिंग निस्संदेह अद्भुत पानी के नीचे की दुनिया का पता लगाने का सबसे अच्छा तरीका है। गोताखोर समुद्र में डाइव करता है और एक सांस लेने के उपकरण की मदद से स्वतंत्र रूप से चलता है। पश्चिमी, दक्षिणी और पूर्वी भारत में विशाल तटीय रेखा दिलचस्पी रखने वालों को समुद्री दुनिया के आश्चर्यजनक अनुभव को महसूस करने का शानदार अवसर प्रदान करती है।

भारत में स्कूबा डाइविंग और स्नॉर्कलिंग के लिए सबसे अच्छे स्थान नीचे सूचीबद्ध हैं:

अंडमान और निकोबार द्वीप समूह

भारत में वाटर (जल) सर्फिंग

अंडमान और निकोबार द्वीप समूह भारत के दो रत्नों की तरह हैं जो बंगाल की फ़िरोज़ा खाड़ी के गोद में स्थित हैं। शांत समुद्र तट और स्पष्ट नीले पानी स्वाभाविक रूप से घूमने वाली आत्माओं को आकर्षित करते हैं। यह द्वीप भी साहसिक खेल की विभिन्न श्रेणियों की पेशकश करते हैं। पानी स्कीइंग सर्फिंग के अलावा अंडमान और निकोबार द्वीप समूह स्कूबा डाइविंग और स्नॉर्कलिंग के लिए भी एक महान जगह है। मोहक हवेली द्वीपों में कुछ अद्भुत चट्टानों और खूबसूरत समुद्री वनस्पतियों और जीवों का घर है।  साथ ही चट्टानों ने पानी को डाइविंग के लिए एक महान स्थान बना दिया है। स्कूबा डाइविंग और स्नॉर्कलिंग के लिए अंडमान और निकोबार द्वीप समूह जाने का सबसे अच्छा समय अक्टूबर और मई के बीच का महीना है।

लक्षद्वीप द्वीप समूह

भारत में स्कूबा डाइविंग और स्नॉर्कलिंग

लक्षद्वीप द्वीप समूह, 36 छोटे द्वीपों का एक समूह है। यह मालाबार तट से 240 किमी दूर स्थित है और सुंदर समुद्र तटों, क्रिस्टल स्पष्ट पानी, चमकीले सफेद रेत, और एक पर्याप्त वनस्पति और जीवों के साथ एक खूबसूरत उपहार के रुप में प्रस्तुत है। अरब सागर के नीले पानी में डाइविंग और इसकी खूबसूरत समुद्री दुनिया निश्चित रूप से जीवन भर का अनुभव प्रदान करती है। नवंबर और मई के बीच के महीनों में आगाट्टी और बंगाराम द्वीपसमूह जाने का सबसे अच्छा समय है, अन्यथा सार्वजनिक दौरे के लिए केवल दो द्वीप खुले होंते हैं।

गोवा

भारत में स्कूबा डाइविंग

भारत में सबसे लोकप्रिय समुद्री तट गंतव्य, गोवा में स्थित है। गोवा रोमांच प्रेमियो की सबसे पसंदीदा जगह है। यहां हर तरह के साहसी खेल खेले जा सकते हैं। साहसिक खेल प्रेमियों के लिए भी एक अद्भुत जगह है। यह जगह स्कूबा डाइविंग और स्नॉर्कलिंग समेत लगभग सभी प्रकार के जल खेलों की पेशकश करती है। समृद्ध वनस्पतियों और जीवों और समुद्री दुनिया के बीच तैरने का अलग ही अनुभव यहां प्राप्त होता है। गोवा में कुछ लोकप्रिय गोताखोरी स्थल डेवी जोन्स के लॉकर, सूजी के मलबे, उमा गुमा के रीफ, शेल्टर के कोव, लोबस्टर एवेन्यू इत्यादि हैं।

नेत्रानी द्वीप, कर्नाटक

नेत्रानी द्वीप भारत में स्कूबा डाइविंग स्थलों के रुप में सबसे पंसदीदा जगह है। इस दिल के आकार वाले द्वीप में एक खूबसूरत समुद्री तट और क्रिस्टल साफ़ पानी है जो अद्भुत समुद्री जीवन को एक शानदार तरीके से प्रदर्शित करता है। स्नॉर्कलिंग और स्कूबा डाइविंग के माध्यम से इस पानी के नीचे की दुनिया की खोज करना किसी को भी अपना दीवाना बना देगी। यहां कुछ अद्भुत डाइविंग स्पॉट ग्रैंड सेंट्रल स्टेशन, जेनी एक्वेरियम, डिनीज़ डिलाइट इत्यादि हैं।

स्कूबा डाइविंग और स्नॉर्कलिंग के लिए महत्वपूर्ण टिप्स

स्कूबा डाइविंग और स्नॉर्कलिंग दोनों के लिए शारीरिक निपुर्णता आवश्यक है।
• गियर और उपकरण आपकी सुरक्षा के लिए हैं, गाइड द्वारा दी गई सलाहों को अनदेखा न करें।
• समुद्री जानवरों को देखना तब तक अद्भुत होता है जब तक आप उनमें से कुछ द्वारा चुस्त नहीं होते हैं। अनावश्यक स्पर्श से सावधान रहें।

भारत में मछली पकड़ना और मत्स्य पालन

भारत में मछली पकड़ना और मत्स्य पालन

भारत नदियों और विशाल समुद्रो से घिरा एक देश है। जहां विभिन्न नदियां और समुद्र स्थित है। जो भारत की सुंदरता में चार चांद लगा देते हैं। भारत में नदियों की भरमार है। जो मछली पालने एवं मछली पकडने वालों के लिए किसी स्वर्ग से कम नहीं है। एंडवेचर के विभिन्न खेलों की तरह भारत में रोमांच प्रेमियों के लिए मछली पकड़ने के खेल की भी उपलब्धता है। उत्तर भारतीय आवर्ती नदियों और डेक्कन और तटीय हिस्सों के मौसम मछली पालने एवं पक़ड़ने के कुछ बेहतरीन गंतव्यों की पेशकश करते है जो एक सुखद अनुभव प्रदान करते हैं। भारत में मत्स्य पालन के लिए सबसे अच्छे स्थान नीचे सूचीबद्ध हैं:

रामगंगा नदी, कॉर्बेट नेशनल पार्क, उत्तराखंड

इस प्रसिद्ध राष्ट्रीय उद्यान में केवल बाघों और अन्य जंगली प्राणियों की तुलना में रोमांचकारी लोगों के लिए भी बहुत सारी चीजं हैं। जो लोग मछली पकड़ने ग से प्यार करते हैं और मत्स्य पालन से अपार खुशी पाते हैं उनके लिए रामगंगा नदी एक आदर्श जगह है क्योंकि इस नदी में महसीर, ट्राउट से गोन्च आदि से शुरू होने वाली मछलियों की एक बड़ी श्रृंखला है। यहां मछली पकड़ने के लिए सबसे अच्छा समय है अक्टूबर और जून का है।

कोसी नदी, उत्तरखंड

मछली पकडने और मत्स्य पालन के लिए एक और लोकप्रिय जगह कोसी नदी का  है। यह नदी विभिन्न मछलियों की एक अच्छी श्रृंखला भी प्रदान करती है। अक्टूबर से जून तक का महीना यहां मछली पकड़ने के प्रेमियों के लिए एक स्पष्ट गंतव्य बन जाता है।

तीर्था घाटी, हिमाचल प्रदेश

हिमाचल प्रदेश की तीर्थ घाटी भारत में सबसे लोकप्रिय मछली पकडने के  स्थलों में से एक है। यह विशेष रूप से ट्राउट मत्स्य पालन स्थान के रूप में प्रसिद्ध है। नदी में इंद्रधनुष ट्राउट और वाइल्ड ब्राउन ट्राउट आसानी से पाए जाते हैं। राज्य सरकार ने घाटी को एक मत्स्य पालन के लिए आरक्षित घोषित कर दिया है। यहां उकिफायती सुविधाएं उपलब्ध कराईं जाती है। सुंदर इलाके, स्पष्ट पानी, शांतिपूर्ण वातावरण- सभी मत्स्य पालन व मछली पकड़ने के  के लिए एकदम सही वातावरण प्रदान करते हैं।

महाकाली नदी, पंचेश्वर, उत्तराखंड

महाकाली नदी पंचेश्वर में स्थित है और हर साल एक अंतरराष्ट्रीय मत्स्य पालन प्रतियोगिता आयोजित करती है। प्रतियोगिता मार्च के महीने में होती है और यह मत्स्य पालन और मछली पकड़ने के प्रेमियों के बीच बहुत लोकप्रिय है।

जम्मू-कश्मीर

इस सुंदर राज्य में कई खूबसूरत नदियां और झीलें हैं जिनमें मछलियों की एक बड़ी विविधता है। जर्मन ब्राउन एंड ट्रौट्स जम्मू-कश्मीर में सबसे प्रसिद्ध मछली हैं। यह राज्य मछली पकड़ने की जगह के लिए प्रसिद्ध है। जम्मू-कश्मीर में मछली पकड़ने का सबसे अच्छा समय अप्रैल से अक्टूबर तक का है।

पब्बार घाटी, हिमाचल प्रदेश

हिमाचल प्रदेश पर्यटकों को विभिन्न प्रकार की साहसिक गतिविधियों की पेशकश करता है। मछली पकड़ने के प्रेमी अक्सर यहां रहने के लिए धन्य महसूस होता है क्योंकि राज्य में कई ताजे पानी की नदियां हैं जो मछलियों की एक बड़ी किस्मों का घर हैं। मछली पकड़ने और मछली पालने के लिए पब्बर घाटी सिर्फ एक लोकप्रिय केंद्र है। हॉटस्पॉट मुख्य रूप से पब्बर नदी के तट पर हैट्कोटी और रोहरु हैं। घाटी में यहां गोल्डन महासेर मछली का सबसे लोकप्रिय विकल्प है। अक्टूबर और अप्रैल के बीच के महीने में पब्बार में मछली पकड़ने के लिए सबसे उपयुक्त समय हैं।

जिया भोरेल्ली नदी, असम

जिआ भोरेल्ली नदी असम के नामरी राष्ट्रीय उद्यान की सीमा पर स्थित है। इस नदी में विभिन्न मछलियों की एक भव्य श्रृंखला है।  इसे राज्य में मछली पकड़ने के लिए सबसे अच्छे स्थानों में से एक माना जाता है। जिया भोरेल्ली में हर साल एक मछली पकड़ने की प्रतियोगिता और त्योहार आयोजित किया जाता है। अक्टूबर और अप्रैल के बीच का महीनां यहां सबसे अनुकूल महीना हैं।

भिमेश्वरी, कर्नाटक

कावेरी नदी विभिन्न मछलियों की एक महान श्रृंखला का समृद्ध स्रोत है। कावेरी के किनारे स्थित भिमेश्वरी विशेष रूप से कर्नाटक राज्य में मत्स्य पालन और मछली पकड़ने  के लिए एक प्रमुख स्थल के रूप में जाना जाता है। महसीर, लुप्तप्राय मछली यहां बहुतायत में पाई जाती है। यह मछली वास्तव में अपने लड़ने की प्रकृति के माध्यम के लिए जानी जाती है। भिमेश्वरी के आकस्मिक अनुभव से सभी मछली पकड़ने के उत्साही बहुत संतुष्ट हो जाते हैं। भिमेश्वरी में मछली पकड़ने के लिए जाने का सबसे अच्छा समय नवंबर से फरवरी तक का है।

पासीघाट, अरुणाचल प्रदेश

भारत के उत्तर-पूर्वी भाग में कई मत्स्य पालन और मछली पकड़ने गंतव्य हैं। अरुणाचल प्रदेश का पासीघाट देश के सबसे लोकप्रिय मत्स्य पालन स्थानों में से एक है। यह राज्य का सबसे पुराना शहर, पासीघाट में सियांग नदी के किनारे पर स्थित है। कि नदी के पास मछलियों की संख्या अलग-अलग है। मछली पकडने और पालने वालो के लिए यह सबसे लोकप्रिय विकल्प हैं। पासीघाट में मछली पकड़ने के लिए उपयुक्त महीना मार्च, अप्रैल और नवंबर का होता है

भारत में मछली पकड़ना और मत्स्य पालन

भारत में मत्स्य पालन के लिए आवश्यक तत्व

• भारत में मत्स्य पालन और मछली पकडने के लिए  राज्य सरकार या एक विशेष मछली पकड़ने की जगह के स्थानीय निकायों से मत्स्य पालन लाइसेंस और परमिट की मांग आवश्यक है।
• यह अत्यधिक सुझाव दिया जाता है कि इच्छुक लोग मछली पकड़ने के उद्यम में शामिल होने से पहले उचित चैनल के माध्यम से परमिट और लाइसेंस की व्यवस्था करते हैं।
• आम तौर पर, मानसून के मौसम से बचा जाना चाहिए क्योंकि इस दौरान अनुमति के लाइसेंस प्रदान किए जाने की संभावना नहीं होती है।

भारत में ऊंट सफारी

भारत में ऊंट सफारी

भारत लगभग हर चीज की विविधता के साथ वास्तव में धन्य स्थल है। विविधताएं इसके भौगोलिक विशेषताओं पर भी दिखाई देती हैं। देश के उत्तरी हिस्से को शक्तिशाली पहाड़ों से संरक्षित किया गया है तो पूर्वी भाग पहाड़ों और कई जल निकायों दोनों को प्रदर्शित करता है। जबकि पूरे दक्षिणी हिस्से को बंगाल की खाड़ी, अरब सागर और हिंद महासागर द्वारा संपूर्ण किया गया है। पश्चिमी भारत ज्यादातर नमी से वंचित है इसलिए भाग थार, मशहूर रेगिस्तान के साथ प्रसिद्ध है। यही कारण है कि भारत में पर्यटन के वजह दुनियाभर की लोगो की तादाद बढ़ती ही जा रही है।

राजस्थान भारत का पश्चिमी राज्य है जो अपने इतिहास और राजाओं के बनाए गए किलों के लिए तो प्रसिद्ध है ही साथ ही अपने रेगिस्तान और ऊंट की सवारी के लिए भी विश्व भर में प्रसिद्ध है। राज्स्थान के रेगिस्तान में  आगंतुकों की पेशकश करने के लिए असंख्य चीजें हैं। रेगिस्तान में अनूठे प्राकृतिक सौंदर्य का खजाना छिपा है। इसका आनंद केवल वह लोग ही उठा पाते हैं, जिनकी आम तौर पर साहसिक गतिविधियों में रुचि होती है। सर्दियों में जब पहाड़ी इलाकों या ठंडे प्रदेशों में पर्यटकों का जाना रूक जाता है तब मरुस्थल मानो ऐसे लोगों को आमंत्रित करता है। ट्रेकिंग तथा चांदनी रात में कैमल सफारी (ऊंट सवारी) जैसी यात्राएं इन्हीं स्थानों पर उपलब्ध होते हैं। ऊंटों के पीछे खूबसूरत देहाती रेगिस्तान के माध्यम से रोमिंग सबसे अविस्मरणीय और रोमांचकारी सवारी में से एक है जो कभी भी रेत की भूमि में हो सकती है। राजस्थान में ऊंट की सवारी करना एक अद्भुद अनुभव है। रेगिस्तान राज्य में चार बड़े गंतव्य हैं जो ऊंट सफारी पेश करते हैं। इन स्थलों के विवरण नीचे दिए गए हैं:

जैसलमेर ऊंट सफारी

"जैसलमेर" भारत के राजस्थान राज्य का एक मशहूर शहर है, यह पश्चिमोत्तर भारत में स्थित है। यह नगर पीले सुंदर पत्थर का बना हुआ है जो इस की नगर की विशेषता है। जैसलमेर स्वर्ण नगरी के रूप में विख्यात है, यहां के मंदिर, प्राचीन भवन और प्रासाद भी पिले पत्थर के बने हुए है। जैसलमेर निस्संदेह सबसे लोकप्रिय गंतव्य है जहां से ऊंट सफारी का संबंध है। सैम और खुरी ट्यून्स के लिए छोटी सी यात्राएं सुनहरे रेत पर चलने और टिब्बा से सूर्यास्त देखने का अद्भुद अनुभव प्रदान करती है।

बीकानेर ऊंट सफारी

राजस्थान के ऊंट शहर, बीकानेर राज्य भर में ऊंट सफारी स्थलों के मामले में एक अद्भुत जगह है। छोटी और लंबी दूरी की क्रॉस-रेगिस्तान यात्राएं, रेत स्कीइंग, रेगिस्तान फोटोग्राफी कार्यशालाएं, रेगिस्तान रैंप पर फैशन शो- बीकानेर जो कुछ भी मांग सकता है वह प्रदान करता है।

पुष्कर ऊंट सफारी

राजस्थान में ऊंट सफारी का अनुभव करने के लिए पुष्कर शहर का स्थान बहुत लोकप्रिय है। विश्व प्रसिद्ध सुफी मंदिर अजमेर शरीफ से सिर्फ 11 किमी दूर, पुष्कर के पास तीर्थ स्थान के रूप विख्यात है। थार के मरूस्थल रेगिस्तान से पूरी तरह घिरा बीकानेर शहर अपने एतिहासिक जुनागढ़ फोर्ट और करणी माता मंदिर की वजह से प्रदेशभर में पॉपुलर है। रेत के धोरो के बीच कैमल सफारी सफारी का अपना ही एक मजा है। रात में दूर तक फैला ठंडा रेगिस्तान और सनसेट एक देखने लायक जगह है। ऊंट उत्सव यहां का सबसे प्रसिद्ध मेला है जिसे राजस्थान पर्यटन विभाग आयोजित कराता है। यह छोटा अभी तक खूबसूरत शहर विभिन्न ऊंट सफारी के माध्यम से महान रेगिस्तान को दर्शाता है।  सफारी पर्यटकों को पास के रोज गार्डन, ग्रामीण गांवों, या यहां तक कि लंबी दूरी पर भी ले जाते हैं, ऊंट गाड़ियां शहर से मंडवा, नागौर या जैसलमेर तक जाते हैं। रेतीले क्षितिज और कुछ स्वादिष्ट स्थानीय खाद्य पदार्थों पर अद्भुत सवारी और सूर्यास्त का अनुभव - पुष्कर में ऊंट सफारी को कभी भी ना भूलाने वाला अनुभव प्रदान करता है।

जोधपुर ऊंट सफारी

राजस्थान में प्राकृतिक रेगिस्तान यात्रा के अलावा, जोधपुर एक शहरी जगह है जो भारतीय शाही उपचार के लिए इच्छुक उत्साही लोगों के लिए शानदार और शाही सफारी प्रदान करता है। जोधपुर कभी मारवाड़ रियासत की राजधानी था। यहां अथाह रेगिस्तान होने की वजह से पानी की कमी है लेकिन इसके बाद भी यहां आने वाले पर्यटकों की कोई कमी नहीं है। जोधपुर में सबसे लोकप्रिय ऊंट सफारी गंतव्य ओसीन है। इस भव्य गांव में राजस्थान में कुछ सबसे मरुस्थल रेगिस्तान सफारी शिविर हैं। यहां के जनजीवन को करीब से देखने का सबसे अच्छा साधन है कैमल सफारी। ऊंट की सवारी करते हुए सैलानी गांवों के बीच से होकर निकलते हैं। कैमल सफारी प्राय: सुबह और शाम को की जाती है। चांदनी रात में कैमल सफारी का अनुभव और भी रोमांचक हो सकता है।

राजस्थान में ऊंट सफारी जाने के दौरान ध्यान रखने योग्य चीजें

• थार में ऊंट सफारी के लिए शीतकालीन सबसे लोकप्रिय मौसम है। नवंबर से मार्च तक का महीना रेगिस्तान यात्रा के लिए सबसे आदर्श समय माना जाता है।
• सूर्यास्त के बाद रेगिस्तान बहुत ठंडा हो जाता है, इसलिए पर्यटकों को उनके साथ पर्याप्त गर्म ऊनी कपड़े और अन्य आवश्यक सामान रखना चाहिए। गर्म कपड़े, सोने के लिए कुछ बिस्तर इत्यादि की व्यवस्था को रखना भी उपयोगी होगा।
• रेगिस्तान यात्रा के दौरान हाइड्रेशन स्तर को बनाए रखने के लिए पानी और अन्य तरल पदार्थों को भरपूर मात्रा में रखना अनिवार्य है।

भारत में जंगल / वन्यजीव सफारी

भारत में जंगल / वन्यजीव सफारी

भारत एक विविधताओं का देश है यहां एक से बढ़कर एक पर्यटन स्थल है दो रोमांच प्रेमियों को बहुत पसंद आते हैं। सुंदर पहाड़ी स्टेशनों के अलावा, बर्फ से ढके पहाड़ों पर स्कीइंग, डेक्कन पठार पर ट्रेकिंग,समुद्री सागरों को सर्फिंग करने के अलावा भारत में कुछ अन्य अद्भुत गतिविधियां भी हैं जो रोमांच पसंद करने वाले लोगों की तलाश को पूरा करती है। उनके रोमांच की प्यास को बुझाती है। देश की असाधारण विविध पर्यावरण प्रणाली बहुमुखी वन्यजीवन के साथ संख्यात्मक गंतव्यों को प्रदान करती है। इन्हीं में से एक वन्यजीव सफारी भी है। यदि आपको जानवरों से प्यार है। विभिन्न तरह के पशु-पक्षी और पेड़ पौधे देखने का आपको शौक है तो जंगल सफारी आप ही के लिए बनाई गई है। देश भर में अद्भुत जंगल अभयारण्यों की यात्रा निश्चित रूप से आप में साहसी को बढ़ाने का काम करती है। भारत में सबसे लोकप्रिय वन्यजीव अभयारण्यों की सूची यहां दी गई है:

जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क, उत्तराखंड

जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क, उत्तराखंड

जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क भारत का पहला और सबसे पुराना राष्ट्रीय उद्यान है और भारत में पर्यटकों की तलाश में साहस के लिए एक जरूरी जगह भी है। जिम कॉर्बेट राष्ट्रीय उद्यान को लुप्तप्राय बंगाल बाघ की रक्षा के लिए बनाया गया था। यह पार्क बाघ अभयारण्य के रूप में प्रसिद्ध है हालांकि इस लुप्त होते राष्ट्रीय जानवर की झलक प्राप्त करना बहुत ही असंभव है। लेकिन यह पार्क आगंतुकों को जंगली वनस्पतियों और जीवों की एक बड़ी विविधता के की पेशकश करता है जहां आप विभिन्न जीवों को एक साथ देख सकते हैं। यहा भारत है सबसे पहला और आज बहुत ही प्रसिद्ध बाघ छेत्र और अब पर्यटकों और वन्यजीवन प्रेमियों के लिए सबसे अच्छी जगह है।

सुंदरबन राष्ट्रीय उद्यान, पश्चिम बंगाल

सुंदरबन राष्ट्रीय उद्यान, पश्चिम बंगाल

दुनिया का सबसे बड़ा डेल्टा, सुंदरबन मंगलोवों की भूमि है और रॉयल बंगाल टाइगर्स का मूल स्थान है। यह देश मके सबसे बड़े बंगाल टाइगर की आरक्षित जगह है। सुंदरबन राष्ट्रीय उद्यान गंगा डेल्टा का हिस्सा है और जलीय वन द्वारा घिरा हुआ है। सुंदरबन के दलदल मे बाघों की अच्छी तादात है जो कभी कभी मनुष्य पर ह्मलो के ज़िम्मेदार माने जाते है, आज के समय मे यह प्राकृतिक वन 400 से अधिक बाघों का घर है। क्षेत्र की विशिष्ट पारिस्थितिक प्रणाली वनस्पति और जीवों को एक अद्भुत विविधता प्रदान करती है जिसमें कई सरीसृप, अपरिवर्तित प्रजातियां और कई पक्षि शामिल हैं। बाघों की स्वभावपूर्ण प्रकृति आगंतुकों के लिए उनके सामने दिखाई नहीं दे सकते है, लेकिन गंगा नदी के गोद में नौका सवारी और रहस्यमय जंगल में रहने का अनुभव स्वयं ही एक अलग अनुभव है।

कान्हा राष्ट्रीय उद्यान, मध्य प्रदेश

कान्हा राष्ट्रीय उद्यान, मध्य प्रदेश

कान्हा नेशनल पार्क मध्य प्रदेश के मांडला में स्थित एक और बाघ आरक्षित वन है। कान्हा राष्ट्रीय उद्यान मध्य प्रदेश का सबसे बड़ा राष्ट्रीय उद्यान है और भारत मे आने वाले पर्यटक के लिए शीर्ष 10 प्रसिद्ध स्थानों में से एक है। इस पार्क में बंगाल के बाघो के साथ साथ बारहसिंगा या दलदली हिरण, भारतीय जंगली कुत्ते और चीतल हिरनो की अच्छी आबादी है। यह गहरा, विशाल जंगल पर्यटकों को पार्क में जीप की सवारी करने और बंगाल बाघों और कई अन्य जंगली प्राणियों और पौधों की दुर्लभ को देखने की जगहों का अनुभव करने की अनुमति देता है।

गिर वन राष्ट्रीय उद्यान, गुजरात

गिर वन राष्ट्रीय उद्यान, गुजरात

जंगली एशियाई शेरों के लिए पूरी दुनिया में एकमात्र घर, गिर वन वन्यजीव प्रेमियों के लिए एक जरूरी यात्रा है। गिर राष्ट्रीय उद्यान दुनिया का एकमात्र स्थान है जहां एशियाई शेर पाए जाते है जिन्हे भारतीय शेर भी कहते हैं। इस विशाल पार्क में जीप की सवारी करते हुए शेर, तेंदुए, हाथियों और गिर के अन्य जंगली वनस्पतियों की जगहों का अनुभव करने का अद्भुत तरीका देखने को मिलता है। गुजरात का यह पार्क भारतीय शेरों की सबसे बड़ी आबादी को आश्रय देता है और आज के समय मे भारत मे एशियाई शेरों की कुल आबादी 523 है।

रणथंभौर राष्ट्रीय उद्यान, राजस्थान

रणथंभौर राष्ट्रीय उद्यान, राजस्थान

रणथंभौर भारत में एक और महत्वपूर्ण और लोकप्रिय राष्ट्रीय उद्यान है। यह पूरे उत्तर-पश्चिमी भारत में सबसे बड़े राष्ट्रीय उद्यानों में से एक है। यह राजस्थान के सवाई माधोपुर जिले में स्थित है। यह अभयारण्य बाघों और अन्य जंगली प्राणियों जैसे नीलगाई, तेंदुए, सांबर, जंगली सूअर, हिना, चीतल, सुस्त भालू और विभिन्न सरीसृपों को खोजने के लिए एक प्रसिद्ध स्थान भी है। इसमें फूलों के पौधों और फ्लोरस की अन्य किस्मों की लगभग 539 प्रजातियां भी हैं। नवंबर से मई तक का मौसम रणथंभौर में बाघ के दृश्यों का सबसे अच्छा समय माना जाता है। खुली शीर्ष जिप्सी या कैंटर पर सफारी सवारी एक तरह का रोमांचकारी अनुभव प्राप्त होता है।

काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान

काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान,असम

असम का काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान भारतीय गैंडों की एक अच्छी ख़ासी एवं स्वस्थ आबादी का घर है और यह पार्क बाघों, जंगली पानी भैंस और हाथियों के साथ साथ बारहसिंगा के भी आबादी के लिए जाना जाता हैं। यह भारत में लॉर्ड कर्ज़न के तत्कालीन वाइसराय द्वारा ब्रिटिश शासन के तहत स्थापित किए गए भा सबसे पुराने राष्ट्रीय उद्यानों में से एक है। काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान में विशाल क्षेत्र है जहां जंगली बाघों, हाथियों, स्वैप हिरण, भारतीय बाइसन, तेंदुए बिल्ली, जंगल बिल्ली, कैप्ड लैंगूर, जैकल, हॉर्नबिल्स, एगेट, कॉर्मोरेंट्स और गुज़ इत्यादि जैसे जानवर एक साथ रहते हैं।यहां यात्रा का सबसे अच्छा मौसम नवंबर से अप्रैल तक का है।

जंगल सफारी के दौरान ध्यान रखने वाली आवश्यक बातें

• जंगल सफारी में भाग लेने के दौरान परिधान बहुत महत्वपूर्ण है, इसलिए प्रकृति के साथ मिश्रण करने वाले कपड़े लेने की कोशिश करें और उज्ज्वल और हल्के रंग के कपड़े पहनें क्योंकि इससे जानवरों का अनावश्यक ध्यान आकर्षित नहीं होता वहीं चटकीले रंग के कपड़े पहनने से जानवरों को परेशानी हो सकती है। इनका ध्यान आपकी ओर हो सकता है जो नुकसानदेह है।
• वन्य जानवरों को खाना खिलाने में शामिल नहीं होना चाहिए।
• याद रखें, ये जंगली जंगली प्राणियों का घर हैं।
• जानवरों के साथ बहुत अधिक करीब और व्यक्तिगत होने से खुद को रोकें।
• किसी भी तरह का शोसे जंगल-शांति तोड़ सकती है, यह एक तेड बात या जोरदार रंग या कैमरे की चमक भी हो सकती है। उत्साहित हो, तस्वीरें लें लेकिन वातावरण को यथासंभव शांत रखने की कोशिश करें।

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