भारत कई महान हस्तियों की जन्म भूमि है। भारत की धरती पर कई महानुभवों ने जन्म लेकर इस धरती को कृत-कृत किया है। भारत के स्वतंत्रता प्राप्ति में यूं तो कई देशभक्तों का योगदान रहा है किन्तु इन देशभक्तो में एक ऐसे भी स्वतंत्रता सैनानी थे जिन्होंने ना केवल स्वतंत्रता प्राप्ति में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका अदा की बल्कि स्वंतत्रता प्राप्ति के बाद भारत को बिखरने से बचाने में अहम योगदान दिया। भारत को एक करने का का एकमात्र श्रेय केवल भारत के लौह पुरुष सरदार वल्लभभाई पटेल को जाता है। सरदार वल्लभभाई पटेल के इस बहुमूल्य योगदान के स्वरुप आजादी के 74 सालों बाद दूनिया को उनके कार्यों को दिखाने एवं विश्व में उनका रुतबा बढ़ाने के हेतु देश के पहले गृहमंत्री सरदार वल्लभभाई पटेल की प्रतिमा 'स्टैच्यू ऑफ यूनिटी' का अनावरण 31 अक्टूबर 2018 को उनके जन्मदिवस के अवसर पर किया गया। 'स्टैच्यू ऑफ यूनिटी' यानि की एकता की प्रतिमा को दुनिया की सबसे ऊंची प्रतिमा होने का गौरव प्राप्त हुआ है। 31 अक्टूबर को भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसका अनावरण किया, जिसके साथ ही ये जगह पर्यटकों के लिए खुल गई। स्टैच्यू ऑफ यूनिटी नर्मदा जिले के सरदार सरोवर बांध से करीब 3.5 कि.मी. की दूरी पर साधु-बेट टापू पर बनी यह विश्व की सबसे ऊंची (182 मीटर) मूर्ति है। प्रतिमा के बाद 'वैली ऑफ फ्लोवर्स', टेंट सिटी भी हैं। इस मूर्ति का निर्माण राम वी. सुतार की देखरेख में हुआ है।
स्टैच्यू ऑफ यूनिटी के मुख्य आकर्षण
स्टैच्यू ऑफ यूनिटी की लंबाई 182 मीटर है और यह इतनी बड़ी है कि इसे 7 किलोमीटर की दूरी से भी देखा जा सकता है।
इस मूर्ति में दो लिफ्ट भी लगी है, जिनके माध्यम से आप सरदार पटेल की छाती तक पहुंचेंगे और वहां से आप सरदार सरोवर बांध का नजारा देख सकेंगे और खूबसूरत वादियों का मजा ले सकेंगे। सरदार की मूर्ति तक पहुंचने के लिए पर्यटकों के लिए पुल और बोट की व्यवस्था की जाएगी।
यह स्टैच्यू 180 किमी प्रति घंटा की रफ्तार से चलने वाली हवा में भी स्थिर खड़ा रहेगा। यह 6.5 तीव्रता के भूकंप को भी सह सकती है। इस मूर्ति के निर्माण में भारतीय मजदूरों के साथ 200 चीन के कर्मचारियों ने भी हाथ बंटाया है। इन लोगों ने सितंबर 2017 से ही दो से तीन महीनों तक अलग-अलग बैचों में काम किया।
मूर्ति के 3 किलोमीटर की दूरी पर एक टेंट सिटी भी बनाई गई है। जो 52 कमरों का श्रेष्ठ भारत भवन 3 स्टार होटल है। जहां आप रात भर रुक भी सकते हैं। वहीं स्टैच्यू के नीचे एक म्यूजियम भी तैयार किया गया है, जहां पर सरदार पटेल की स्मृति से जुड़ी कई चीजें रखी जाएंगी।
चीन स्थित स्प्रिंग टेंपल की 153 मीटर ऊंची बुद्ध प्रतिमा के नाम अब तक सबसे ऊंची मूर्ति होने का रिकॉर्ड था। मगर सरदार वल्लभ भाई पटेल की प्रतिमा ने अब चीन में स्थापित इस मूर्ति को दूसरे स्थान पर छोड़ दिया है। 182 मीटर ऊंचे 'स्टैच्यू ऑफ यूनिटी' का आकार न्यूयॉर्क के 93 मीटर उंचे 'स्टैच्यू ऑफ लिबर्टी' से दोगुना है।
सरदार पटेल की प्रतिमा का दर्शन करने आने वाले टूरिस्ट सरदार सरोवर डैम, सतपुड़ा और विंध्य के पर्वतों के दर्शन भी कर पाएंगे।
स्टैच्यू ऑफ यूनिटी की खासियत
देश के लौह पुरुष के नाम से विख्यात सरदार वल्लभ भाई पटेल की स्टैच्यू ऑफ यूनिटी का कुल वजन 1700 टन है इसकी ऊंचाई 522 फिट यानी 182 मीटर है। यह प्रतिमा अपने आप में अनूठी है। इसके पैर की ऊंचाई 80 फिट, हाथ की ऊंचाई 70 फिट, कंधे की ऊंचाई 140 फिट और चेहरे की ऊंचाई 70 फिट है।लर्सन एंड टर्बो और राज्य सरकार के सरदार सरोवर नर्मदा निगम लिमिटेड ने 250 इंजीनियर, 3,400 मजदूरों की मदद से चार साल में निर्माण कराया। प्रतिमा के निर्माण के लिए भारत ही नहीं चीन के भी शिल्पियों की मदद लेनी पड़ी है।
सरदार पटेल की इस मूर्ति को बनाने में करीब 2,989 करोड़ रुपये का खर्च आया। कंपनी के मुताबिक, कांसे की परत चढ़ाने के आशिंक कार्य को छोड़ कर बाकी पूरा निर्माण देश में ही किया गया है। यह प्रतिमा नर्मदा नदी पर सरदार सरोवर बांध से 3.5 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। कंपनी ने कहा कि रैफ्ट निर्माण का काम वास्तव में 19 दिसंबर, 2015 को शुरू हुआ था और चार साल में इसे पूरा कर लिया गया।
सरदार पटेल का जीवन परिचय
सरदार पटेल का जन्म 31 अक्टूबर, 1875 को गुजरात के नाडियाड में हुआ। पिता का नाम झावेर भाई और माता का नाम लाडबा पटेल था। माता-पिता की चौथी संतान वल्लभ भाई कुशाग्र बुद्धि के थे। उनकी रुचि भी पढ़ाई में ही ज्यादा रही। सरदार पटेल की शादी 16 वर्ष की उम्र में ही हो गई। पत्नी का नाम झावेरबा था। लॉ डिग्री हासिल करने के बाद वो वकालात करने लगे। इनके दो बच्चे थे। बेटी का नाम मणिबेन और बेटे का दाहया भाई पटेल था। सरदार कितने मेधावी थे इसका अनुमान इसी तथ्य से लगाया जा सकता है कि 1910 में वो पढ़ाई के लिए इंग्लैंड गए और लॉ का कोर्स उन्होंने आधे वक्त में ही पूरा कर लिया। इसके लिए उन्हें पुरस्कार भी मिला। इसके बाद वो भारत लौट आए। 1928 में बारडोली सत्याग्रह के वक्त ही वहां के किसानों ने उन्हें ‘सरदार’ की उपाधि से सम्मानित किया था।1947 में भारत को आजादी तो मिली लेकिन बिखरी हुई थी। देश में कुल 562 रियासतें थीं। कुछ बेहद छोटी तो कुछ बड़ी। ज्यादातर राजा भारत में विलय के लिए तैयार थे। लेकिन, कुछ ऐसे भी थे जो स्वतंत्र रहना चाहते थे। यानी ये देश की एकता के लिए खतरा थे। सरदार ने इन्हें बुलाया और समझाया। वो मानने के लिए तैयार नहीं हुए तो पटेल ने सैन्य शक्ति का इस्तेमाल किया। आज एकता के सूत्र में बंधे भारत के लिए देश सरदार पटेल का ही ऋणी है। जिनके योगदान के स्वरुप ही आज हम भारत के किसी भी राज्य में बिना रोक-टोक के आ जा सकते हैं। अन्यथा हमें भी किसी दूसरे राज्य में जाने के लिए वीजा का आवेदन करना होता। यह केवल सरदार वल्लभभाई पटेल के योगदान से ही संभव हो पाया है।स्टैच्यू ऑफ यूनिटी देखने का प्रवेश शुल्क
पताः सरदार सरोवर बांध, केवादिया गांव, नर्मदा, गुजरातप्रवेश शुल्क
2 से 15 साल के बच्चों के लिए – रुपए 60/-
वयस्कों के लिए – रुपए 120/-
बस का शुल्क – रुपए 30/-
वेबसाइट - https://www.statueofunity.in/
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